रूद्रपुर,सड़क पर खड़े टेंपो, बस, ऑटो के कारण रोजाना जाम लग रहा है।शहर में जाम की समस्या हल करने के लिए कई बार कार्य योजनाएं बनीं लेकिन हालात नहीं बदले। स्थिति यह है कि सुबह 10 बजने से पहले ही यातायात का दबाव बढ़ते ही मुख्य मार्गों पर यातायात रेंगने लगता है। वाहन अड्डा संचालकों और टेंपो, मैजिक, ई-रिक्शा व ऑटो चालकों की मनमानी यातायात व्यवस्था पर भारी पड़ रही थी, रुद्रपुर शहर में ज्यादातर ई रिक्शा चालक, टेंपो चालक, जिन्होंने अपना खुद का भी पुलिक सत्यापन नहीं किया है, बिना रजिस्ट्रेशन के टुकटुक ,टेंपो चला रहे हैं। समय-समय पर अवैध रूप से चलने वाले टेंपो पर जब पुलिस का शिकंजा करता है। स्थानीय नेताओं का संरक्षण प्राप्त टेंपो चालक धरना प्रदर्शन का भी सहारा लेते हैं। जिससे कि उनके अवैध संचालन सुचारु रूप से होता रहे।

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हिंदुस्तान Global Times/print media,शैल ग्लोबल टाइम्स,अवतार सिंह बिष्ट, रुद्रपुर

केंद्र सरकार ने केंद्रीय मोटर यान नियमावली-1989 में संशोधन कर ई-रिक्शा संचालन को हरी झंडी दे दी थी। इसके बाद राज्य में इनको कैसे चलाए जाए, इसके लिए उप परिवहन आयुक्त एसके सिंह की अध्यक्षता में एक कमेटी शासन ने गठित की। इस कमेटी ने जो रिपोर्ट तैयार की है, इसमें कहा गया है कि ई-रिक्शे को टेंपो की तरह रजिस्ट्रेशन, फिटनेस कराने के साथ एक निश्चित टैक्स देना होगा। इसके अलावा चलाने के लिए परमिट भी लेना होगा।

   । रुद्रपुर बेतरतीब दौड़ते ई-रिक्शा और आटो शहर में जाम का झाम बनने के साथ दुर्घटनाओं का कारण बन रहे हैं। वहीं अवैध टैक्सी स्टैंड लोगों से वसूली का अड्डा । फिर भी नगर निगम के जिम्मेदार और यातायात प्रशासन इन पर अंकुश नहीं लगा पा रहा है। रुद्रपुर में वर्तमान में करीब  दस हजार ई रिक्शा और साढ़े सात हजार आटो का संचालन जो रहा है, फिर भी इन्हें न स्थाई स्टैंड मिला न ही रूट निर्धारण हो सका है। ऐसे में आए दिन लोगों को मुसीबत झेलनी पड़ रही है।
ऊधम सिंह नगर में सड़क दुर्घटनाओं के प्रमुख कारणों में से एक ई-रिक्शा और आटो भी हैं। बिना रूट निर्धारण बेतरतीब फर्राटा भरने वाली टैक्सियों से दुर्घटनाओं का भी खतरा बना रहता है। परिवहन विभाग के अनुसार पिछले 10 वर्ष में इनकी संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है। दूसरी और यातायात, पुलिस प्रशासन, नगर निगम इनके लिए अब तक कोई रूट प्लान नहीं बन सका। सहायक संभागीय परिवहन कार्यालय में वर्तमान में 8265 ई-रिक्शा और 5233 आटो पंजीकृत हैं। इसके इतर भारी संख्या में बिना पंजीयन समयावधि पूरी कर चुके आटो भी धड़ल्ले से शहर में दौड़ रहे हैं। सबसे अधिक डग्गामारी किच्छा से रुद्रपुर और रुद्रपुर से किच्छा, सिडकुल ढाल से सिडकुल व ट्रांजिट कैंप के बीच हो रही है। पांच सवारी वाले आटो में 10 से 18 सवारी तक ढो रहे हैं। अवैध आटो स्टैंड पर आए दिन वसूली को लेकर मारपीट और हंगामा होता है। वर्तमान में डीडी चौक, इंदिरा चौक, पंतनगर सिडकुल, किच्छा बाइपास रोड और मोदी मैदान के समीप अवैध पार्किंग है। जबकि ई-रिक्शा की कोई पार्किंग नहीं है,  इनका शहर में अवैध संचालन रहा है। जिम्मेदार पुलीस चालान वसूली कर छोड़ देते हैं।

निगम वसूलता है हर साल चार सौ रुपये नगर निगम की ओर से ई-रिक्शा पर टिकट लगाने के नाम पर हर साल 400 रुपये तक वसूली होती है। यह वसूली किस आधार पर, किस लिए की जाती है, इस बारे में ई-रिक्शा चालकों को भी नहीं पता। ऐसे में रुपये न देने वाले रिक्शा चालकों से दबंगई भी होती है।

राजनीतिक पार्टियों पर वसूली का आरोप
डीडी चौक पर अवैध पार्किंग आए दिन चर्चा में रहती है। वर्तमान विधायक पूर्व विधायक पर और पूर्व विधायक वर्तमान विधायक या पार्टी के कार्यकर्ताओं पर अवैध वसूली का आरोप-प्रत्यारोप लगाते रहते हैं। ऐसे में वसूली जारी रहती है।

वसूली को लेकर कई वार हो चुका है विवाद
डीडी चौक, मोदी मैदान सहित अन्य अवैध ई-रिक्शा स्टैंड पर वसूली को लेकर कई बार हंगामा हुआ है। मारपीट के साथ ही गाली-गलौज तक होती रहती है। जिसे लेकर एसएसपी, विधायक तक मामला पहुंच चुका है, लेकिन कुछ नहीं हुआ।

रुद्रपुर में ई-रिक्शा का किया जा रहा है व्यावसायिक प्रयोग ई-रिक्शा सामान्यतसवारी ढोने के लिए है, इसके बावजूद यहां समयावधि पूरी कर चुके ई-रिक्शा को कामर्शियल प्रयोग में लाया जा रहा है, जबकि इसके लिए ई- कार्ट होना चाहिए। ऐसे में पानी का केन ढोने, प्लास्टिक की पाइपलाइन, कूड़ा उठाने के लिए, गैस सिलिंडर वितरण सहित अन्य प्रयोग में लाए जा रहे हैं।

आटो, ई-रिक्शा से रुद्रपुर में हो चुकी हैं कई बड़ी दुघर्टनाएं इस वर्ष मार्च में अग्निशमन अधिकारी कार्यालय के पास कार ई रिक्शा की टक्कर से पांच सवारी चोटिल हो गई थीं। करीब एक माह पहले रामपुर काठगोदाम हाईवे स्थित अटरिया मार्ग के पास कार ई-रिक्शा की टक्कर में गर्भवती सहित चार लोगों की मृत्यु हो गई थी, जबकि तीन घायल हो गए थे। कुछ दिन पहले काशीपुर हाईवे स्थित गावा चौक के पास कार ई-रिक्शा की टक्कर से चालक सहित तीन लोग घायल हो गए थे। इसके अलावा छोटी छोटी दुर्घटनाएं होती रहती हैं।

वही एसपी ट्रैफिक मनोज कत्याल ने बताया कि यातायात व्यवस्था बनाए रखने के लिए करीब दो साल पहले आटो के संचालन के लिए रूट निर्धारण नगर निगम प्रशासन ने किया था। आटो पर कलर कोड किया गया था, जिससे यह पता चल सके कि आटो निर्धारित रूट पर ही संचालित हो रहा है या नहीं। मगर तीन दिन बाद ही यह व्यवस्था ध्वस्त हो गई और आटो मनमानी पूर्वक संचालित होने लगे।

आटो और ई-रिक्शा से जगह-जगह जाम की स्थिति बनी रहती है। कई बार आटो चालक सड़क पर बीच में खड़े होकर सवारी लेते और उतारते रहते हैं। टैक्सी स्टैंड का कोई मतलब ही नहीं रह गया है। मोहित आर्य

डीडी चौक, इंदिरा चौक पर आटो स्टैंड है, लेकिन वहां आटो या ई-रिक्शा खड़े नहीं होते हैं। सवारी लेने को अचानक आटो रोकने के कारण दुर्घटनाओं का डर बना रहता है। इस पर सख्ती होनी चाहिए। सुनील

किसी भी आटो या ई रिक्शा का रूट निर्धारण नहीं है। कई आटो व ई-रिक्शा परिवहन विभाग में पंजीकृत तब नहीं है। कई चालकों के पास डीएम तक नहीं है तो कई ने नवीनीकरण कराया है। अजय

स्कूलों के सामने सवारी की प्रतीक्षा में आटो चालक जाम लगा देते हैं। ऐसे में जहां 10 मिनट का काम होता है, जाम का झाम झेलना पड़ता है। विजय कुमार

आटो या ई-रिक्शा घुमाते समय चालक इंडिकेटर का प्रयोग नहीं करते। कई वाहनों के इंडीकेटर खराब होते हैं। इससे रात में दुर्घटना की आशंका होती है। कई बार हादसे हो भी चुके हैं। सुमित अग्रवाल

सिडकुल ढाल पर सुबह पांच बजे से रात 10 बजे तक बेतरतीब आटो खड़े होने से जाम लगा रहता है। जहां टैक्सी स्टैंड है भी तो वहां आटो नहीं लगाते, सवारियों के चक्कर में इधर-उधर भागते रहते हैं।


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