यूपी हरियाणा, दिल्ली, आदि दूसरे राज्यों के लोगों के उत्तराखंड में जाति समेत अन्य प्रमाणपत्र बनाए जाने पर राजस्व विभाग की भूमिका पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं। दूसरी ओर बेसिक शिक्षक भर्ती में शामिल हुए दूसरे राज्यों के अभ्यर्थियों के उत्तराखंड में बने प्रमाणपत्रों के जांच की प्रक्रिया शुरू हो गई है।

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दरअसल, वर्ष 2002 और वर्ष 2004 में कार्मिक विभाग ने दो अलग-अलग आदेश कर सरकारी सेवाओं में एससी-एसटी आदि के आरक्षण पर स्थिति स्पष्ट कर दी थी। इसके बावजूद नियमों का ताक पर रखकर कुछ जिलों में दूसरे राज्य से आए लोगों के जाति प्रमाण बना दिए गए हैं।

हिंदुस्तान Global Times/print media,शैल ग्लोबल टाइम्स,अवतार सिंह बिष्ट

बेसिक शिक्षक भर्ती आरक्षण का लाभ देने का दावा कर रही यूपी, हरियाणा और मध्यप्रदेश की युवतियों ने खुद भी दावा किया है उन्होंने अपने राज्यों में अपने जाति प्रमाण निरस्त करवा लिए हैं। यहां उत्तराखंड में नए प्रमाणपत्र बना लिए हैं।

कार्मिक विभाग के 10 अक्तूबर 2002 के जीओ के अनुसार राज्य की अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति पुनर्गठन अधिनियम की पांचवीं एवं छठीं अनुसूची में पृथक से चिन्हित हो चुकी है। इसलिए यूपी या अन्य किसी राज्य का कोई व्यक्ति उत्तराखंड की राज्याधीन सेवाओं में अनुसूचित जाति अथवा अनुसूचित जनजाति के लिए तय आरक्षण का लाभ नहीं ले सकता।

फिर 16 फरवरी 2004 को कार्मिक विभाग ने एक बार फिर जीओ जारी करते हुए साफ कर दिया था कि प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल अभ्यर्थियों में से आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के प्रमाण-पत्रों की जांच संबंधित जिलों के डीएम के स्तर पर भी अनिवार्य रूप से कराई जाएगी। इसके बावजूद प्रमाणपत्र कैसे बन गए, यह बड़ा सवाल है?

उत्तराखंड में ब्याही दूसरे राज्यों की लड़कियों का मामला

दरअसल, उत्तराखंड में विवाह कर आई दूसरे राज्यों की युवतियों ने राज्य की बेसिक शिक्षक भर्ती में आरक्षण का लाभ देने की मांग की है। कार्मिक विभाग की व्यवस्था के अनुसार दूसरे राज्य के व्यक्ति को आरक्षण का लाभ नहीं मिल सकता है।

डीजी शिक्षा ने बताया कि शासन के आदेश के अनुसार दूसरे राज्य के व्यक्ति का राज्य में आरक्षण का प्रमाणपत्र नहीं बन सकता है। जिला प्रशासन के स्तर पर इनकी जांच कराई जाएगी। मंगलवार को डीजी शिक्षा झरना कमठान ने बताया कि सभी जिलों के सीईओ और डीईओ को जांच के लिए जिला प्रशासन के साथ समन्वय करने के निर्देश दे दिए हैं।

राजस्व विभाग की टीम इन अभ्यर्थियों के आरक्षित वर्ग से जुड़े प्रमाणपत्रों की जांच कर रिपोर्ट देगी। जिनके प्रमाण अवैध पाए जाएंगे, उनके चयन को निरस्त कर दिया जाएगा।


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