उत्तराखंड में पिछले 24 घंटे में जंगलों में आग की 31 घटनाएँ हुई जिसमें 34 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुए। साल दर साल चल रहे इस सिलसिले का कोई अंत नहीं दिखता। शासन में बड़ी बैठकें, बड़े बड़े दावे और परिणाम सिफ़र। ऐसा लगता है कि जंगलों के पास रहने वाले लोगों से वन विभाग की संवादहीनता है। वो परंपरागत तौर तरीक़े भी ग़ायब है जो आग बुझाने में मददगार होते थे।नवम्बर 2023 से अब तक 575 घटनाएँ सामने आई और 690 हेक्टेयर जंगल जलकर ख़ाक

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उत्तराखंड: बेकाबू हो रही आग! धधक रहे जंगल,अब वायुसेना के हेलिकॉप्टर से मदद
हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/
प्रिंट मीडिया :
शैल ग्लोबल टाइम्स/
संपादक: अवतार सिंह बिष्ट रूद्रपुर, उत्तराखंड

उत्तराखंड में जंगलों की आग बेकाबू होती जा रही है। गढ़वाल और कुमाऊं में जंगल जगह-जगह धधक रहे हैं। गढ़वाल मंडल के टिहरी, पौड़ी, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग और चमोली जिले के जंगल लगातार धधक रहे हैं। ज्यादातर चीड़ के जंगल होने के कारण आग तेजी से फैल रही है। वनकर्मी आग बुझाने में जुटे हैं। एक स्थान पर आग बुझती है तो दूसरी जगह भड़क उठती है। दूसरी तरफ कुमाऊं में जंगलों में लगी आग विकराल होती जाती जा रही है। आज शनिवार को नैनीताल के जंगलों में लगी आग को बुझाने के लिए वायुसेना के हेलिकॉप्टर की मदद ली गई। भीमताल झील से पानी भरकर जंगलों में पानी डालने का काम करना शुरू कर दिया है।

प्रदेश में बीते 24 घंटे में 31 स्थानों पर वनाग्नि के नए मामले सामने आए हैं। वन विभाग के मुताबिक, शुक्रवार को भी वनाग्नि की घटनाओं में ज्यादा संख्या आरक्षित वनों की सामने आई है। अपर प्रमुख वन संरक्षक निशांत वर्मा के मुताबिक, पिछले 24 घंटे में आरक्षित वनों में 29 और सिविल या वन पंचायतों में दो वनाग्नि की घटनाएं सामने आई हैं। इनमें कुल 33.34 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुए हैं। हालांकि कहीं भी कोई मानव हानि सामने नहीं आई। आग से बड़ी मात्रा में वनसंपदा को नुकसान पहुंचा है। वहीं पशुओं के लिए चारे की समस्या भी खड़ी हो गई है। चमोली जिले के जंगलों में फिर आग धधक गई है। शुक्रवार को जिले के अलग-अलग पांच जगह पर वनाग्नि की घटनाएं सामने आई हैं। जिससे बड़ी मात्रा में वन संपदा नष्ट हो गई है। शुक्रवार को गोपेश्वर के पास कोठियालसैंण और ग्वीलों के जंगल में आग भड़क गई। चीड़ के जंगल में आग ने तेजी से विकराल रूप ले लिया। वहीं सुबह इंजीनियरिंग कॉलेज के नीचे के जंगल में भी आग लग गई। आग आईटीबीपी कैंपस में घोड़े के अस्तबल के पास तक पहुंच गई। सूचना पर फायर सर्विस गोपेश्वर की टीम ने मौके पर पहुंची और काफी मशक्कत के बाद आग को बुझा दिया। वहीं दोपहर को देवखाल के जंगल में भी आग भड़क गई। देखते ही देखते आग जंगल के बड़े क्षेत्र में फैल गई है।

वहीं पोखरी विकासखंड के विशाल ग्राम पंचायत की सिविल भूमि में चीड़ के जंगल में आग लग गई। वन सरपंच महिपाल सिंह ने वनाग्नि की सूचना केदारनाथ वन प्रभाग को दी। प्रभाग की नागनाथ रेंज के वन दरोगा आनंद सिंह रावत फायर वाचरों के साथ मौके पर पहुंचे, काफी मशक्कत के बाद वन कर्मियों ने आग को काबू कर लिया है। कंडीसौड़ (टिहरी) में फायर सीजन में जंगलों को आग से बचाने की तैयारी में जुटे वन विभाग की तैयारियां धरी की धरी रह गई है। एक ही समय कई जगहों पर आग लगने पर विभाग असहाय नजर आ रहा है। विभागीय कर्मचारियों को सूचना देने पर वह मैन पावर की कमी का रोना रो रहे हैं। जिससे जगह-जगह जंगल धधक रहे हैं। शुक्रवार को सुबह 10 बजे सुनारगांव के सिविल वन क्षेत्र में लगी आग पांच घंटे बाद काबू की गई। वन कर्मियों के वहां से आग बुझाकर लौटने के डेढ़ घंटे बाद ही कंडीसौड़ का जंगल धधकने लगा। स्थानीय लोगों ने वन विभाग को सूचना दी।

डीवन कर्मियों ने बताया कि वह मैंडखाल क्षेत्र के पदोगी, लवाणी, कस्तल और भंडार्की के जंगल में लगी आग बुझाने में व्यस्त हैं। इस कारण अपराह्न साढ़े चार बजे से शाम साढ़े सात बजे तक चीड़ का जंगल धधकता रहा। वन दरोगा प्रेमलाल डोभाल ने कहा कि वह मैंडखाल क्षेत्र में लगी आग काबू करते ही टीम को कंडीसौड़ क्षेत्र में भेजा जाएगा। उधर भिलंगना ब्लाक के पडागली में भी जंगल घंटों तक जलता रहा। जिससे वन संपदा को काफी नुकसान हुआ है। कुमाऊं के जंगलों में लगी आग को बुझाने के लिए वायुसेना के हेलिकॉप्टर ने शनिवार से भीमताल झील से पानी भरकर जंगलों में पानी डालने का काम करना शुरू कर दिया है। शनिवार की सुबह वायुसेना के हेलिकॉप्टर ने भीमताल झील से टैं पानी भरकर नैनीताल के जंगलों में लगी आग पर डाला। वन क्षेत्राधिकारी विजय मेलकानी ने बताया कि जंगलों में लगी आग को बुझाने के लिए वायुसेना के हेलिकॉप्टर की मदद ली गई है। मेलाकनी ने बताया कि हेलीकॉप्टर ने अभी तक तीन बार झील से पानी भरकर जंगलों में लगी आग पर डालना शुरू कर दिया है। मेलकानी ने बताया कि वन विभाग के कर्मचारी भी आग बुझाने में लगे हुए हैं। आग से भीमताल, पाइंस, रानीबाग, सातताल, बेतालघाट और रामगढ़ के जंगलों की वन संपदा को भारी नुकसान पहुंचा है।

पानी भरकर नैनीताल के जंगलों में लगी आग पर डाला। वन क्षेत्राधिकारी विजय मेलकानी ने बताया कि जंगलों में लगी आग को बुझाने के लिए वायुसेना के हेलिकॉप्टर की मदद ली गई है। मेलाकनी ने बताया कि हेलीकॉप्टर ने अभी तक तीन बार झील से पानी भरकर जंगलों में लगी आग पर डालना शुरू कर दिया है। मेलकानी ने बताया कि वन विभाग के कर्मचारी भी आग बुझाने में लगे हुए हैं। आग से भीमताल, पाइंस, रानीबाग, सातताल, बेतालघाट और रामगढ़ के जंगलों की वन संपदा को भारी नुकसान पहुंचा है।

चंपावत। बाराकोट, लोहाघाट और पाटी के जंगलों में आग की घटनाएं बढऩे पर पुलिस, वन विभाग और ग्राम प्रहरियों की बैठक हुई। इस दौरान जंगलों में लगने वाली आग को नियंत्रित करने पर चर्चा हुई। जंगल में आग लगाने वाले व्यक्तियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का निर्णय लिया गया। पुलिस क्षेत्राधिकारी वंदना वर्मा ने बैठक की अध्यक्षता करते हुए पुलिस और वन कर्मियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए। सीओ ने कहा कि गर्मियों में जंगल में आग लगने की ज्यादा आशंका बनी रहती है। इसलिए सभी विभाग सामंजस्य बनाकर वनाग्नि के नियंत्रण और रोकथाम के लिए प्रभावी कदम उठाएं। कहा कि जिन स्थानों पर आग की घटनाएं अधिक हो रही हैं, उन्हें चिह्नित कर इसमें काबू पाने की रणनीति तैयार करनी होगी। वनों में आग लगाने वाले शरारती तत्वों के विरुद्ध विधिक कार्रवाई की जाएगी।

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संपादक: अवतार सिंह बिष्ट रूद्रपुर, उत्तराखंड

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