जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में आतंकवादियों ने एक बार फिर जैसी हरकत की है, हिंदुस्तान Global Times/print media,शैल ग्लोबल टाइम्स,अवतार सिंह बिष्ट, उससे यही पता चलता है कि उनका मकसद देश में लोकतंत्र को बाधित करना है और इसमें नाकामी की वजह से उनके भीतर हताशा गहरा रही है।

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नतीजतन, वे और ज्यादा बेलगाम हो रहे हैं और सुरक्षा बलों पर हमले कर रहे हैं। गौरतलब है कि आतंकियों ने मंगलवार को अनंतनाग इलाके में ‘टेरिटोरियल आर्मी’ के दो जवानों का अपहरण कर लिया था। बाद में एक जवान किसी तरह आतंकवादियों के चंगुल से निकल भागा और एक का शव जंगल में मिला।

निश्चित रूप से यह राज्य में आतंकी तत्त्वों के खिलाफ अभियान छेड़ने वाले सुरक्षा बलों सहित देश के लिए दुख की बात है। मगर इससे यही पता चलता है कि अपनी मंशा में नाकामी के नतीजे में आतंकवादियों ने सोच-समझ और लक्ष्य कर राज्य में सहायक सैन्य संगठन की भूमिका निभाने वाले ‘टेरिटोरियल आर्मी’ के जवानों को अगवा किया और उनमें से एक हत्या कर दी।

दरअसल, पिछले कुछ समय से सुरक्षा बलों ने आतंकवादी समूहों के खिलाफ बेहद सख्त रुख अख्तियार किया हुआ है। हाल में चलाए गए अभियानों और मुठभेड़ों में कई आतंकियों को मार गिराने में सुरक्षा बलों को कामयाबी मिली। हालांकि इस बीच आतंकी हमलों में कई जवान भी शहीद हो गए। इसके बावजूद जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र को बहाल करने का काम नहीं रुका और कुछ दिन पहले राज्य की विधानसभा के लिए हुए चुनावों के नतीजे भी सामने आ गए। इसके बाद अब वहां बाकायदा लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत चुनी गई एक सरकार काम करेगी।

आतंकवादी समूहों को हाथ लगी नाकामी

जाहिर है, आतंकी हमलों के जरिए जिस तरह की उथल-पुथल पैदा करने और राज्य को अशांत बनाए रखने की कोशिश की जा रही थी, उसमें आतंकवादी समूहों को बड़ी नाकामी हाथ लगी है। यह बेवजह नहीं है कि राज्य में एक ओर चुनाव के परिणाम घोषित होने की प्रक्रिया जारी थी, दूसरी ओर उन्होंने दो जवानों को अगवा और उनमें से एक की हत्या करके यह संदेश देने की कोशिश की कि राज्य में आतंकवाद हावी है। मगर सच यह है कि उनकी यह हरकत उनकी हताशा को दर्शाता है।

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यह ध्यान रखने की जरूरत है कि हाल ही में जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के गुगलधार में नियंत्रण रेखा पर सेना और पुलिस के जवानों ने घुसपैठ की कोशिश करते दो आतंकियों को मार गिराया था। उनके पास से भारी तादाद में हथियार और गोला-बारूद बरामद किया था। इसके अलावा भी सुरक्षा बलों के कई अभियानों में आतंकी मारे गए या उनके सहयोगी गिरफ्तार किए गए। साथ ही, स्थानीय आबादी के बीच उनके सहयोग या संरक्षण का पक्ष भी कमजोर हुआ है और अब लोग उनकी हकीकत को समझने लगे हैं।

प्रवासी लोगों पर निशाना बनाने की कोशिश

अब जवानों से लेकर स्थानीय लोगों सहित प्रवासी मजदूरों पर लक्षित हमले करके वे अपनी उपस्थिति जताने की कोशिश कर रहे हैं। मगर यह भी सच है कि सुरक्षाबलों की तमाम चौकसी और आतंकियों पर नकेल कसने के लिए चलाए जाने वाले अभियानों के बावजूद आज भी आतंकवादी संगठनों का पूरी तरह सफाया किया जाना संभव नहीं हो सका है।

अब राज्य में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत चुनी गई सरकार के सामने भी यह चुनौती होगी कि वह सीमा पार स्थित ठिकानों से संचालित आतंकी गतिविधियों से निपटने और आतंकियों के खात्मे के लिए स्थानीय पुलिस और वहां काम कर रहे सुरक्षाबलों के साथ मिल कर एक ठोस रणनीति बनाए।


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