आज गणेश जयंती का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। बता दें कि प्रतिवर्ष माघ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश जयंती मनाई जाती है। इसे विनायक चतुर्थी, वरद चतुर्थी के नाम से भी जानते हैं।

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कब है गणेश जयंती 2025? (Ganesh Jayanti 2025 Date)

चतुर्थी तिथि आरंभ- 1 फरवरी 2025 को 11:38 बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त – 02 फरवरी 2025 को 09:14 बजे तक

गणेश जयंती 2025 का शुभ मुहूर्त (Ganesh Jayanti 2025 Muhurat)

प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)

गणेश पूजा मुहूर्त – 11:38 से 13:34
अवधि – 01 घंटा 57 मिनट

वर्जित चन्द्र दर्शन का समय (Ganesh Jayanti 2025 Chandra Darshan)

गणेश जयंती के दिन चंद्रमा को देखने की मनाही होती है। इस दिन तय अवधि में चंद्रमा देखने से चोरी का दोष लगता है। इसलिए इस दिन सुबह 08:52 से 21:01 तक चंद्र दर्शन न करें।
अवधि – 12 घंटे 08 मिनट

गणेश जयंती 2025 पर बना रहा शुभ योग (Ganesh Jayanti 2025 Shubh Yog)

वैदिक पंचांग के अनुसार, गणेश जयंती पर परिघ योग के साथ शिव और रवि योग बन रहा है। इस दिन परिघ योग दोपहर 12 बजकर 24 मिनट तक रहेगा। इसके बाद शिव योग आरंभ हो जाएगा। इसके साथ ही रवि योग सुबह में 7 बजकर 9 मिनट से बन रहा है, जो अगले दिन 2 फरवरी को तड़के 2 बजकर 33 मिनट तक रहेगा।

गणेश जयंती 2025 पूजा विधि (Ganesh Jayanti 2025 Puja Vidhi)

आज सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद साफ-सुथरे वस्त्र पहनकर गणेश जी का मनन करते हुए व्रत का संकल्प लें। इसके बाद गणपति जी की विधिवत पूजा करें। इसके लिए एक चौकी में पीला रंग का कपड़ा बिछाकर गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें। इसके बाद गणेश जी को जल से आचमन करें। फिर फूल, माला, दूर्वा, सिंदूर, अक्षत आदि चढ़ाएं और फिर मोदक या फिर लड्डू का भोग लगाकर जल अर्पित करें। घी का दीपक और धूप जलाकर गणेश मंत्र, गणेश चालीसा, स्तुति, कथा आदि का पाठ करने के बाद अंत में गणेश जी की आरती कर लें। इसके साथ ही देनभर बिना कुछ खाएं या फिर फलाहारी व्रत रखें। इसके साथ ही चंद्रमा के दर्शन न करें।

गणेश जयंती पर करें गणपति जी के इन मंत्रों का जाप (Shri Ganesh Mantra)

  • ॐ गं गणपतये नमः
  • ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा
  • ॐ हस्ति पिशाचि लिखे स्वाहा
  • ॐ गं क्षिप्रप्रसादनाय नमः
  • ॐ गणेश ऋणं छिन्धि वरेण्यं हुं नमः फट
  • गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्
  • श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा
  • गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः
  • विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लंबोदराय सकलाय जगद्धितायं
  • अमेयाय च हेरंब परशुधारकाय ते। मूषक वाहनायैव विश्वेशाय नमो नमः

नवग्रह किसी न किसी ग्रह के साथ युति करके शुभ और अशुभ योगों का निर्माण करते रहते हैं। ऐसे में ग्रहों के सेनापति मंगल ग्रह अरुण ग्रह के साथ 60 डिग्री पर रहेंगे, जिससे त्रिएकादश योग का निर्माण हो रहा है। ऐसे में तीन राशियों को सबसे अधिक लाभ मिलने वाला है। जानें इन राशियों के बारे में


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