सशक्त उत्तराखंड को विश्व स्तर पर देखने की इस बेटी की चाह का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि राष्ट्रीय हो या अंतरराष्ट्रीय मंच, उनके भाषण की शुरुआत लोगों के दिलों पर देवभूमि की छाप अवश्य छोड़ जाती है। हम बात कर रहे हैं अरुषि निशंक की।
अरुषि निशंक एक कथक नृत्यांगना होने के साथ ही एक अभिनेत्री हैं। स्पर्श गंगा अभियान की सह-संस्थापक के रूप में, वह पर्यावरण संरक्षण के लिए काम कर रही हैं। और महिलाओं के सशक्तिकरण की एक मुखर समर्थक रही हैं। हाल ही में अब वह निर्माता-निर्देशक के रूप में नजर आ रही हैं।


अरुषि के भाषण की खास बातें
…मैं उस राज्य से हूं जिसे देवभूमि उत्तराखंड कहा जाता है। उस राज्य से हूं जो गंगा की जन्मस्थली है। आयुर्वेद का जनक है। वो राज्य जिसने भरत जैसे शूरवीरों को जन्म दिया है, जिसके नाम पर पूरे भारत वर्ष का नाम रखा गया। और मैं उस राज्य से हूं जहां कि महिलाओं ने पेड़ों से चिपककर उन्हें बचाकर पूरे विश्व को चिपको आंदोलन देकर पर्यावरण और महिला सशक्तिकरण का पहला उदाहरण दिया। ऐसे राज्य की बेटी होते हुए मुझे बहुत गर्व महसूस होता है। अपने राज्य के प्रति उनका प्रेम, सम्मान हमेशा दिखाई देता है। किसी भी कार्यक्रम में दर्शक दीर्घा में बैठे बड़े-बड़े से व्यक्तित्व के सामने बड़े शान से अपने राज्य का परिचय देकर वह उन्हें देवभूमि से रूबरू कराती हैं।
निर्माता निर्देशन की नई राह
बॉलीवुड में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के बाद अब अरुषि यहां नई संभावनाएं तलाश रही हैं। जो कि आने वाले समय में उत्तराखंड के लिए भी एक बड़ा मंच तैयार कर सकेगी। वह महिला निर्देशिका के रूप में अब खुद को स्थापित कर रही हैं। उनके प्रयास भी नजर आ रहे हैं। अरुषि का इस बात पर विशेष जरूर है कि महिला प्रधान फिल्मों को भी तवज्जो दी जाए। पहाड़ की सुंदर वादियों को बड़े पर्दे पर बहुत ही खूबसूरत तरीके से दिखाकर तारीफ बटोरने वाली अरुषि निशंक का उद्देश्य यहां की महिलाओं और युवाओं को बेहतर मंच उपलब्ध कराना है। वह कहती हैं कि बॉलीवुड में एक महिला के रूप में काम करना किसी चुनौती से कम नहीं है। बावजूद इसके बॉलीवुड में आज महिलाएं अभिनेत्री, फिल्म निर्माण, निर्देशक समेत तमाम किरदार बड़ी खूबसूरती के साथ निभा रही हैं। महिलाओं पर आधारित कई ऐसी फिल्में बनी हैं, जिनमें दिखाया गया है कि समाज में जितना योगदान एक पुरुष का है उतना ही योगदान महिला का भी है।
अरुषि का विजन
अरुषि उत्तराखंड की महिलाओं में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में भी सक्रिय हैं। उन्होंने महिलाओं की उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए अनुदान देने की शुरुआत की है, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को अपने व्यवसाय शुरू करने के लिए वित्तीय सहायता और संसाधन मिल सके। इसके साथ ही महिला प्रधान फिल्में बनाने पर उनका जोर है। बदलते समय में बॉलीवुड में भी बदलाव आया है। भारतीय सिनेमा में महिलाओं की भूमिकाएं समय के साथ बदली हैं। अरुषि का कहना है कि अनुष्का शर्मा, कृति सेनन, आलिया भट्ट और कंगना रनौत जैसी अभिनेत्रियों ने साबित किया है कि महिला केंद्रित फिल्में बॉक्स ऑफिस पर राज कर सकती हैं। महिला निर्देशकों ने भी अपने काम से साबित किया है कि वह किसी भी मामले में पीछे नहीं हैं। अरुषि निशंक भी एक प्रमुख निर्माता के रूप में उभरी हैं। वेब सीरीज लाइफ हिल गई से उन्होंने खुद का एक नया हुनर लोगों के सामने रखा।
सामाजिक मुद्दों के प्रति अरुषि की प्रतिबद्धता
फिल्म निर्माण से इतर अरुषि की सामाजिक मुद्दों के प्रति प्रतिबद्धता भी सराहनीय है। स्पर्श गंगा अभियान की सह-संस्थापक के रूप में वह पर्यावरण संरक्षण के लिए काम कर रही हैं। इसके साथ ही वह महिलाओं के सशक्तिकरण की एक मुखर समर्थक रही हैं। इस पहल के माध्यम से आठ हजार से अधिक महिलाओं को रोजगार प्रदान करने के उनके प्रयास उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं। अरुषि का कहना है कि आज बॉलीवुड हो या कोई भी अन्य क्षेत्र महिलाएं पारंपरिक ढांचों को तोड़ रही हैं और उदाहरण पेश कर रही हैं।
हिंदुस्तान Global Times/print media,शैल ग्लोबल टाइम्स,अवतार सिंह बिष्ट
सुंदरता या कौशल…वेतन असमानता पर जानें क्या बोली अरुषि
अरुषि के साथ भले ही उनके पिता पूर्व सीएम व केंद्रीय मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक का नाम जुड़ता हैं, लेकिन अरुषि ने अपने काम से यह साबित किया है कि भले ही उन्हें विरासत में बहुत कुछ मिला है, लेकिन उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाने के लिए अलग और कठिन रास्ता भी चुना है। जहां खुद को स्थापित करना आसान नहीं था। अभिनेत्रियों को अक्सर उनके कौशल की बजाय उनकी सुंदरता से आंका जाता है। साथ ही, पुरुषों और महिलाओं के बीच वेतन असमानता एक महत्वपूर्ण मुद्दा बनी हुई है। फिर भी, महिलाओं द्वारा प्रेरित कहानियों की बढ़ती लोकप्रियता के साथ, अरुषि निशंक जैसी महिलाएं दिखा रही हैं कि प्रतिभा, दृष्टिकोण और कड़ी मेहनत के बल पर, लिंग के बावजूद सफलता हासिल की जा सकती है। नेट फ्लिक्स, अमेजन प्राइम और हॉटस्टार जैसी ओटीटी प्लेटफार्मों के उदय ने भी बॉलीवुड में महिलाओं के लिए अधिक अवसर प्रदान किए हैं। चाहे वह पर्दे के सामने हों या पीछे। अरुषि कहती हैं कि अभिनेत्रियों ने वेब सीरीज में अपनी छाप छोड़ी है। जबकि महिला फिल्म निर्माता और निर्माता अपनी रचनात्मकता के साथ ऐसी कहानियों को प्रस्तुत कर रही हैं, जो पारंपरिक बॉलीवुड स्टीरियोटाइप्स को चुनौती देती हैं। उनकी उपलब्धियां यह दिखाती हैं कि प्रतिभा, दृढ़ संकल्प और बढ़ते अवसरों की ताकत से बॉलीवुड में महिलाओं का भविष्य पहले से कहीं अधिक उज्ज्वल है।

