कब्जे की सनक में दो लाशें गिरीं रुद्रपुर में खून से सनी रात, पुलिस ने मोर्चा संभाला शैल ग्लोबल टाइम्स/हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स अवतार सिंह बिष्ट, संवाददाता, रुद्रपुर (उत्तराखंड)

Spread the love

रुद्रपुर की गल्ला मंडी में रविवार की रात कब्जे की सनक ने दो जिंदगियों को मौत के घाट उतार दिया। एक सुनियोजित साजिश के तहत दुकान पर कब्जा करने पहुंचे बदमाशों ने दुकान मालिक गुरमेज सिंह और उनके बेटे मनप्रीत सिंह को गोलियों से छलनी कर दिया।

घटना ने शहर को दहला दिया है। पुलिस हरकत में है, लेकिन अपराधियों के हौसले देखकर सवाल उठने लगे हैं — रुद्रपुर में अब कानून का राज है या गुंडों का?

घटना का तानाबाना
गल्ला मंडी की एक दुकान को गुरमेज सिंह ने बैंक नीलामी से खरीदा था। लेकिन इस संपत्ति पर एक पक्ष जबरन कब्जा करना चाहता था। रविवार रात, जब दीवार तोड़ने की कोशिश हो रही थी, तभी गुरमेज सिंह ने मोबाइल पर CCTV फुटेज देखी और तुरंत अपने बेटे के साथ वहां पहुंचे।

जैसे ही वे पहुंचे, पहले से घात लगाए हमलावरों ने उन पर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। दोनों बुरी तरह घायल होकर मौके पर ही गिर पड़े। घटनास्थल पर खून का तालाब बन गया था। स्थानीय लोगों की भीड़ जुटने से पहले हमलावर फरार हो गए।

पुलिस की कार्रवाई
सूचना पर SSP मणिकांत मिश्रा, फॉरेंसिक टीम, SOG और भारी पुलिस बल मौके पर पहुंचे। हत्या में शामिल आरोपियों की पहचान के प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। CCTV फुटेज खंगाली जा रही है और शक के आधार पर कुछ संदिग्धों से पूछताछ भी की जा रही है।

दोनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेजा गया है। पुलिस ने मामले में हत्या और आपराधिक षड्यंत्र की धाराओं में केस दर्ज कर लिया है।

शहर में खौफ का माहौल
डबल मर्डर से रुद्रपुर में दहशत का माहौल है। व्यापारी वर्ग खासा आक्रोशित है और प्रशासन से सुरक्षा बढ़ाने की मांग कर रहा है। लोग सवाल कर रहे हैं — जब दुकान पर कब्जे को लेकर दिनदहाड़े गोलियां चल सकती हैं, तो आम आदमी कितना सुरक्षित है?

क्या बोले SSP
SSP मणिकांत मिश्रा ने कहा — “घटना बेहद गंभीर है। आरोपियों की पहचान कर ली गई है। शीघ्र गिरफ्तारी सुनिश्चित की जाएगी। कानून-व्यवस्था से खिलवाड़ किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं होगा।


कब्जे को लेकर रुद्रपुर में पहले भी बहा है खून

रुद्रपुर शहर में संपत्ति विवाद खासकर दुकानों और भूखंडों पर कब्जे को लेकर खून-खराबा कोई नई बात नहीं है। पिछले कुछ वर्षों में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिन्होंने कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े किए।

1. ट्रांजिट कैंप फायरिंग (2022):
साल 2022 में ट्रांजिट कैंप क्षेत्र में जमीन कब्जे को लेकर दो पक्षों के बीच खूनी संघर्ष हुआ था। झगड़े के दौरान एक युवक की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। पुलिस ने काफी मशक्कत के बाद मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार किया था, लेकिन घटना ने इलाके में दहशत फैला दी थी।

2. आजाद नगर विवाद (2023):
आजाद नगर में एक पुराने मकान पर कब्जे को लेकर हुए विवाद में चाकूबाजी हुई थी। इस झगड़े में एक व्यक्ति की जान चली गई थी जबकि तीन लोग घायल हो गए थे। पुलिस को हालात काबू में करने के लिए भारी फोर्स तैनात करनी पड़ी थी।

3. खेड़ा विवाद (2024):
खेड़ा क्षेत्र में एक भूखंड पर कब्जे को लेकर दो गुटों के बीच संघर्ष हुआ था। लाठी-डंडों से हुई मारपीट में कई लोग घायल हुए थे। बाद में दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर जानलेवा हमले के मुकदमे दर्ज कराए।

रुद्रपुर में तेजी से बढ़ती जमीनों और दुकानों की कीमतों के चलते कब्जों के मामलों में हिंसा बढ़ती जा रही है। स्थानीय प्रशासन कई बार चेतावनी देने और समझौते कराने के बावजूद इस प्रवृत्ति पर पूरी तरह लगाम नहीं लगा पाया है।रुद्रपुर की गल्ला मंडी आज तड़के गोलियों की आवाज से गूंज उठी, जब एक प्रॉपर्टी विवाद ने खूनी मोड़ ले लिया। “एग्रीकल्चर” नामक विवादित दुकान पर कब्जे की कोशिश के दौरान हुई ताबड़तोड़ फायरिंग में एक पिता गुरमेज सिंह और उसके बेटे मनप्रीत सिंह (26) की मौके पर ही मौत हो गई। तीसरा सदस्य, हनी, किसी तरह जान बचाकर भाग निकला।

इस दोहरे हत्याकांड ने न केवल गल्ला मंडी बल्कि पूरे रुद्रपुर शहर में दहशत का माहौल पैदा कर दिया है। घटना के तुरंत बाद भारी पुलिस बल तैनात किया गया और फोरेंसिक टीम ने मौके से अहम सबूत जुटाए हैं।

विवाद की पृष्ठभूमि:

जानकारी के अनुसार, मृतक परिवार ने पहले उक्त दुकान को किराए पर लिया था, बाद में 48 लाख रुपये में इसे खरीदा। हालांकि, दुकानदार अवधेश कुमार सलूजा और दिनेश कुमार सलूजा सहित अन्य 10-15 लोगों ने कथित तौर पर रात 2:20 बजे जेसीबी मशीन लेकर दुकान को तोड़ने की कोशिश की। जब गुरमेज सिंह अपने बेटों के साथ मौके पर पहुंचे और विरोध किया तो उन पर अंधाधुंध फायरिंग कर दी गई।

सीसीटीवी फुटेज में पूरी वारदात कैद हुई है, जो इस जघन्य हमले का अहम साक्ष्य बन चुका है।

पुलिस की कार्रवाई:

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मणिकांत मिश्रा ने बताया कि आरोपियों की पहचान कर ली गई है। एक हमलावर की गिरफ्तारी हो चुकी है और अन्य की तलाश जारी है। मृतकों के शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है।

पुलिस ने मृतक के पुत्र सुरेंद्र सिंह की तहरीर पर अवधेश सलूजा, दिनेश सलूजा व अन्य के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज कर लिया है। पुलिस का दावा है कि जल्द ही सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

रुद्रपुर में बढ़ते अपराध:

रुद्रपुर एक समय में शांतिपूर्ण औद्योगिक शहर के तौर पर जाना जाता था। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इस शहर की छवि अपराध के गढ़ के रूप में तेजी से बिगड़ी है।

भले ही पुलिस समय-समय पर अपराध नियंत्रण के बड़े दावे करती रही हो, लेकिन सच्चाई यह है कि:

  • भूमि और प्रॉपर्टी विवाद अब हिंसक टकराव में बदलने लगे हैं।
  • व्यापारिक प्रतिस्पर्धा के चलते दबंगई और हथियारों का खुला प्रदर्शन आम हो चुका है।
  • बाहरी राज्यों से आए आपराधिक गिरोह रुद्रपुर जैसे शहरों में पैर जमा चुके हैं।
  • पुलिस तंत्र में राजनीतिक हस्तक्षेप के आरोप लगातार लगते रहे हैं, जिससे कानून व्यवस्था कमजोर पड़ी है।

हालिया घटनाएं जो सवाल खड़े करती हैं:

  • कुछ दिन पहले ट्रांजिट कैंप क्षेत्र में एक युवक की सरेआम गोली मारकर हत्या।
  • सुभाष नगर इलाके में दिनदहाड़े लूटपाट और महिला से मारपीट।
  • गदरपुर रोड पर कार सवार बदमाशों द्वारा फायरिंग की घटना।

इन घटनाओं ने एक बात साफ कर दी है — रुद्रपुर में अपराधी बेखौफ हैं और पुलिस का खौफ खत्म होता जा रहा है।

राजनीतिक चुप्पी और सामाजिक चिंता:

सबसे चिंता की बात यह है कि इतने बड़े अपराधों के बावजूद राजनीतिक नेतृत्व की तरफ से कोई ठोस प्रतिक्रिया सामने नहीं आती।

कुर्सी की राजनीति और पारस्परिक सौदेबाजी ने अपराधियों को शह देने का काम किया है।

जनता का भरोसा पुलिस व्यवस्था पर लगातार कमजोर हो रहा है।

विशेष रूप से व्यापारी वर्ग और आम नागरिक अब अपने आप को असुरक्षित महसूस करने लगे हैं।
गल्ला मंडी का यह दोहरा हत्याकांड सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि रुद्रपुर की बिगड़ती सामाजिक संरचना का संकेत है। अगर शीघ्र ही कठोर कदम नहीं उठाए गए तो रुद्रपुर उत्तराखंड का नया “अपराध राजधानी” बन जाएगा।


Spread the love