उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता कानून लागू हो गया है। दरअसल, प्रदेश में अनुसूचित जनजातियों को छोड़कर सम्पूर्ण उत्तराखंड राज्य और साथ ही राज्य से बाहर रहने वाले उत्तराखंड के निवासियों पर यूसीसी लागू होगा।

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मिली जानकारी के अनुसार यूसीसी लागू करने के लिए ग्रामीण क्षेत्र में एसडीएम रजिस्ट्रार और ग्राम पंचायत विकास अधिकारी सब रजिस्ट्रार होंगे। जबकि नगर पंचायत – नगर पालिकाओं में संबंधित एसडीएम रजिस्ट्रार और कार्यकारी अधिकारी सब रजिस्ट्रार होंगे। इसी तरह नगर निगम क्षेत्र में नगर आयुक्त रजिस्ट्रार और कर निरीक्षक सब रजिस्ट्रार होंगे। छावनी क्षेत्र में संबंधित CEO रजिस्ट्रार और रेजिडेंट मेडिकल ऑफिसर या सीईओ द्वारा अधिकृत अधिकारी सब रजिस्ट्रार होंगे। इन सबके ऊपर रजिस्ट्रार जनरल होंगे, जो सचिव स्तर के अधिकारी एवं इंस्पेक्टर जनरल ऑफ रजिस्ट्रेशन होंगे। यदि रजिस्ट्रार तय समय में कार्रवाई नहीं कर पाते हैं तो मामला ऑटो फारवर्ड से रजिस्ट्रार जनरल के पास जाएगा। इसी तरह रजिस्ट्रार या सब रजिस्ट्रार के आदेश के खिलाफ रजिस्ट्रार जनरल के पास अपील की जा सकेगी, जो 60 दिन के भीतर अपील का निपटारा कर आदेश जारी करेंगे।

प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)

  • रजिस्ट्रार और सब रजिस्ट्रार के कर्तव्य

सब रजिस्ट्रार के आदेश के खिलाफ अपील पर 60 दिन में फैसला करना। लिव इन नियमों का उल्लंघन या विवाह कानूनों का उल्लंघन करने वालों की सूचना पुलिस को देंगे। सामान्य तौर पर 15 दिन और तत्काल में तीन दिन के भीतर सभी दस्तावेजों और सूचना की जांच, आवेदक से स्पष्टीकरण मांगते हुए निर्णय लेना,समय पर आवेदन न देने या नियमों का उल्लंघन करने पर जुर्माना लगाने के साथ ही पुलिस को सूचना देना, साथ ही विवाह जानकारी सत्यापित नहीं होने पर इसकी सूचना माता- पिता या अभिभावकों को देना।

  • विवाह पंजीकरण
  • 26 मार्च 2010, से संहिता लागू होने की तिथि बीच हुए विवाह का पंजीकरण अगले छह महीने में करवाना होगा
  • संहिता लागू होने के बाद होने वाले विवाह का पंजीकरण विवाह तिथि से 60 दिन के भीतर कराना होगा
  • आवेदकों के अधिकार
  • यदि सब रजिस्ट्रार- रजिस्ट्रार समय पर कार्रवाई नहीं करता है तो ऑनलाइन शिकायत दर्ज की जा सकती है।
  • सब रजिस्ट्रार के अस्वीकृति आदेश के खिलाफ 30 दिन के भीतर रजिस्ट्रार के पास अपील की जा सकती है।
  • रजिस्ट्रार के अस्वीकृति आदेश के खिलाफ 30 दिन के भीतर रजिस्ट्रार जनरल के पास अपील की जा सकती है।
  • अपीलें ऑनलाइन पोर्टल या ऐप के माध्यम से दायर हो सकेंगी।
  • लिव इन का UCC लागू होने की तिथि से एक महीने के भीतर कराना होगा पंजीकरण

समान नागरिक संहिता लागू होने से पहले से स्थापित लिव इन रिलेशनशिप का यूसीसी लागू होने की तिथि से एक महीने के भीतर पंजीकरण कराना होगा। जबकि संहिता लागू होने के बाद स्थापित लिव इन रिलेशनशिप का पंजीकरण, लिवइन रिलेशनशिप में प्रवेश की तिथि से एक महीने के भीतर पंजीकरण कराना होगा।

  • लिव इन समाप्ति

एक या दोनों साथी ऑनलाइन या ऑफलाइन तरीके से लिव इन समाप्त कर सकते हैं। यदि एक ही साथी आवेदन करता है तो रजिस्ट्रार दूसरे की पुष्टि के आधार पर ही इसे स्वीकार करेगा। यदि लिव इन से महिला गर्भवती हो जाती है तो रजिस्ट्रार को अनिवार्य तौर पर सूचना देनी होगी। बच्चे के जन्म के 30 दिन के भीतर इसे अपडेट करना होगा।

  • विवाह विच्छेद

तलाक या विवाह शून्यता के लिए आवेदन करते समय, विवाह पंजीकरण, तलाक या विवाह शून्यता की डिक्री का विवरण अदालत केस नंबर, अंतिम आदेश की तिथि, बच्चों का विवरण कोर्ट के अंतिम आदेश की कॉपी।

  • वसीयत आधारित उत्तराधिकार

वसीयत तीन तरह से हो सकेगी। पोर्टल पर फॉर्म भर के, हस्तलिखित या टाइप वसीयत अपलोड करके या तीन मिनट की विडियो में वसीयत बनाकर अपलोड करने के जरिए।

  • यूसीसी के क्रियान्वयन की कार्ययोजना
  • ऑनलाइन आवेदन के लिए पोर्टल (ucc.uk.gov.in) विकसित
  • कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) Training Partner के रूप में नामित
  • क्रियान्वयन व प्रशिक्षण के लिए ज़िलों में नोडल अधिकारी नामित
  • सहायता और तकनीकी परामर्श के लिए हेल्पडेस्क (1800-180-2525) स्थापित
  • विधिक प्रश्नों के समाधान के लिए जिला स्तरीय अधिकारी नियुक्त
  • नागरिक जागरूकता और अधिकारियों की सुविधा के लिए Short Video एवं Booklets

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