राष्ट्रभक्ति के रंग में रंगा उत्तराखंड – सैन्य ऑपरेशन पर जश्न की लहर!शहीदों के परिवारों को श्रद्धांजलि!उत्तराखंड के गांव-गांव में सेना के लिए दीयों की रौशनी और तिरंगे का उत्सव! कांग्रेस और विपक्ष की प्रतिक्रिया पर सवाल

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भारत,जहां तक देश की सीमाओं की रक्षा का प्रश्न है, वहां कोई समझौता नहीं। जवाब उसी भाषा में देना चाहिए, जो दुश्मन समझे।” — यह भावना आज फिर एक बार पूरे उत्तराखंड में सजीव हो उठी है, जब देश ने एक साहसी सैन्य ऑपरेशन में आतंक के उन ठिकानों को निशाना बनाया, जो वर्षों से भारत के शांति और सुरक्षा के दुश्मन बने हुए थे।

रुद्रपुर के विधायक शिव अरोड़ा ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय सेना द्वारा आतंकवादी ठिकानों पर की गई कार्रवाई की सराहना की है। उन्होंने कहा कि यह पूरे देश, विशेषकर उत्तराखंडवासियों के लिए गर्व का क्षण है कि हमारी सेना ने दुश्मनों के ठिकानों को सफलतापूर्वक नष्ट कर भारत की ताकत और संकल्प का प्रदर्शन किया है।

विधायक शिव अरोड़ा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साहसिक निर्णय और सेना को दी गई खुली छूट को भारत की सुरक्षा नीति में ऐतिहासिक मोड़ बताया। उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को भी बधाई दी, जिन्होंने हर स्तर पर राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर स्पष्ट और दृढ़ समर्थन जताया है।

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड वीरों की भूमि है और यहां के हर नागरिक को भारतीय सेना की इस वीरता पर गर्व है। विधायक अरोड़ा ने यह भी कहा कि आज का भारत आतंकवाद का मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम है और यह सब प्रधानमंत्री मोदी की दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति और सेना के अद्वितीय पराक्रम का परिणाम है।

इस ऑपरेशन के तहत पाकिस्तान के भीतर स्थित जिन 9 स्थानों को निशाना बनाया गया, उनमें बहावलपुर (2), मुरीदके, मुजफ्फराबाद, कोटली, गुलपुर, भिंबर, चक अमरू और सियालकोट प्रमुख हैं। इनमें सबसे उल्लेखनीय है बहावलपुर, जो जैश-ए-मोहम्मद जैसे खूंखार आतंकी संगठन का गढ़ माना जाता है। यह वही संगठन है, जिसने भारत में कई निर्दोष नागरिकों और जवानों की जान ली। इस बार भारत ने चुप्पी नहीं साधी, बल्कि अपने वीर सैनिकों के हाथों से दुश्मन को उसकी ही जमीन पर सबक सिखाया।

उत्तराखंड में जश्न का जनसैलाब

इस सैन्य कार्रवाई की खबर जैसे ही सामने आई, उत्तराखंड के शहर रुद्रपुर, हल्द्वानी, नैनीताल, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, देहरादून, हरिद्वार, चमोली, टिहरी और पौड़ी गढ़वाल राष्ट्रभक्ति के रंग में डूब गए। गांव-गांव में ढोल-नगाड़ों की थाप सुनाई दी, मिठाइयां बांटी गईं, और लोग एक-दूसरे को गले लगाकर बधाइयां देने लगे। खासकर युवाओं और पूर्व सैनिकों के चेहरों पर गर्व की चमक देखी जा सकती थी। स्कूलों और कॉलेजों में तिरंगे के साथ रैलियां निकाली गईं, “भारत माता की जय” और “जय हिंद” के नारे गूंज उठे।

उत्तराखंड का इतिहास रहा है सैन्य बलों में सर्वोच्च योगदान देने का। चाहे वो कारगिल युद्ध हो या उरी सर्जिकल स्ट्राइक, उत्तराखंड के जवान हमेशा अग्रिम पंक्ति में रहे हैं। इसलिए जब भी भारतीय सेना कोई साहसिक कार्रवाई करती है, इस देवभूमि के नागरिक खुद को उससे जुड़ा हुआ महसूस करते हैं। यह भावनात्मक संबंध आज भी साफ दिखा।

प्रधानमंत्री मोदी की दृढ़ नेतृत्व शैली

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने बयान में स्पष्ट किया कि देश की संप्रभुता के साथ कोई समझौता नहीं होगा। उनका यह रुख आज भारत की सशक्त विदेश नीति और आक्रामक सुरक्षा रणनीति का प्रमाण है। प्रधानमंत्री का यह संदेश न केवल दुश्मनों को चेतावनी है, बल्कि देश के हर नागरिक में गर्व और आत्मबल भरने वाला है। उनके नेतृत्व में देश ने यह सिद्ध कर दिया है कि भारत अब ‘नीति और नीयत’ दोनों में सशक्त है।

वीडियो और सोशल मीडिया पर उत्तराखंडियों की प्रतिक्रिया

आज के डिजिटल युग में उत्तराखंड के युवाओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और बुद्धिजीवियों ने सोशल मीडिया पर राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत वीडियो पोस्ट किए। रुद्रपुर में उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने जुलूस निकाला। हल्द्वानी में सैनिक परिवारों ने दीप जलाकर सेना को नमन किया। देहरादून में पूर्व सैनिकों के संगठन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सेना को सलामी दी और प्रधानमंत्री के निर्णय की सराहना की।

सैकड़ों वीडियो फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर वायरल हो रहे हैं, जिनमें ‘देश है तो हम हैं’ की भावना झलक रही है। यह केवल जश्न नहीं, एक गहरी चेतना है, जो आज के भारत की पहचान बन चुकी है।

कांग्रेस और विपक्ष की प्रतिक्रिया पर सवाल

जहां एक ओर पूरा देश सेना के साहसिक कदम की प्रशंसा कर रहा है, वहीं कुछ विपक्षी दलों द्वारा इस ऑपरेशन पर सवाल उठाना चिंताजनक है। क्या राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों पर भी राजनीतिक मतभेद उचित हैं? उत्तराखंड के नागरिक इस तरह की बयानबाजी को नकारात्मक दृष्टिकोण के रूप में देख रहे हैं। वक्त की मांग है कि सभी राजनीतिक दल इस समय एकजुट होकर सेना के मनोबल को बढ़ाएं।

शहीदों के परिवारों को श्रद्धांजलि

इस ऑपरेशन की सफलता पर हम जितना भी जश्न मनाएं, वह उन शहीदों की कुर्बानी को कभी नहीं भुला सकता, जिनकी वजह से आज हम यह दिन देख पा रहे हैं। उत्तराखंड की पावन भूमि ने हमेशा मातृभूमि के लिए अपने बेटे न्योछावर किए हैं। इस अवसर पर हमें उनके परिवारों को याद कर नमन करना चाहिए और यह संकल्प लेना चाहिए कि उनका बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा।

एकजुटता और आत्मबल की नई शुरुआत

उत्तराखंड में देखा गया यह राष्ट्रभक्ति का माहौल केवल एक दिन का उत्सव नहीं है, यह उस नए भारत की पहचान है जो अन्याय नहीं सहता, और जवाब देने में संकोच नहीं करता। यह जनभावना, यह उत्साह और यह आत्मगौरव केवल सेना के पराक्रम के लिए नहीं, बल्कि देश की अखंडता और भविष्य के लिए भी ज़रूरी है।

यह संपादकीय केवल सेना का गुणगान नहीं, बल्कि जनता की उस सच्ची भावना का चित्रण है जो आज हर उत्तराखंडी के दिल में धड़क रही है—”हम सब एक हैं, और देश से बड़ा कोई नहीं।”

सेना के पराक्रम पर उत्तराखंड का गर्व—राष्ट्रभक्ति की ज्वाला फिर जगी”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जब भारतीय सेना ने बहावलपुर, मुरीदके, मुजफ्फराबाद जैसे दुश्मन के ठिकानों को निशाना बनाया, तो केवल सीमापार आतंक को जवाब नहीं मिला, बल्कि देशवासियों के हृदयों में गर्व और विश्वास की लौ फिर से जल उठी। इस विजय का सर्वाधिक भावनात्मक स्वागत उत्तराखंड ने किया, जहां हर नगर, हर गांव से तिरंगे लहराते हुए और ‘भारत माता की जय’ के नारे गूंजते दिखाई दिए।

देवभूमि उत्तराखंड की पहचान ही राष्ट्रसेवा रही है। सेना में सर्वाधिक योगदान देने वाले इस राज्य के नागरिकों ने इस ऑपरेशन को न केवल सैन्य सफलता माना, बल्कि प्रधानमंत्री की निर्णायक नेतृत्व शैली को भी सलाम किया। रुद्रपुर, देहरादून, टिहरी और चमोली जैसे जनपदों में जश्न के साथ सोशल मीडिया पर राष्ट्रवादी भावनाओं का सैलाब उमड़ पड़ा।

जब देश के सैनिक दुश्मन को उसी की भाषा में जवाब देते हैं, तब पूरे भारत को यह विश्वास होता है कि उसकी सीमाएं सुरक्षित हाथों में हैं। इस सैन्य कार्रवाई से आतंकवादियों के पनाहगारों को न केवल चेतावनी मिली है, बल्कि देशवासियों के हृदय में आत्मबल की एक नई चिंगारी भी सुलग गई है।


उत्तराखंड के गांव-गांव में सेना के लिए दीयों की रौशनी और तिरंगे का उत्सव”

उत्तराखंड की पहाड़ियों में इन दिनों रात के सन्नाटे में केवल ठंडी हवा नहीं बह रही—वह हवा अब गर्व, आत्मबल और देशभक्ति की भावना से लबरेज है। भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान स्थित आतंकवादी ठिकानों पर किए गए साहसी हमले ने पूरे राज्य में जोश भर दिया है।

शैल ग्लोबल टाइम्स की टीम ने रुद्रपुर, हल्द्वानी, अल्मोड़ा और नैनीताल जैसे स्थानों पर देखा कि युवा हाथों में तिरंगे लेकर जुलूस निकाल रहे हैं, बच्चे ‘जय हिंद’ के नारे लगा रहे हैं और माताएं दीप जलाकर सेना के शौर्य को प्रणाम कर रही हैं। यह केवल सैन्य विजय नहीं, सांस्कृतिक आत्मगौरव का पर्व बन चुका है।

उत्तराखंड की बेटियों ने भी अपनी कविताओं और वीडियो संदेशों के माध्यम से सेना को धन्यवाद दिया। देहरादून और पिथौरागढ़ में स्कूली छात्रों द्वारा बनाए गए पोस्टर और गीत इस बात का संकेत हैं कि यह राज्य केवल प्राकृतिक सुंदरता में ही नहीं, बल्कि देशभक्ति की भावना में भी समृद्ध है।


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