उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है, जहां कई प्रसिद्ध मंदिर हैं। इन्हीं में से एक है धारी देवी मंदिर, जिसे प्रदेश की रक्षक देवी माना जाता है। यह मंदिर पौड़ी गढ़वाल जिले के श्रीनगर में अलकनंदा नदी के किनारे स्थित है।

Spread the love

यहां माता के सिर की पूजा की जाती है, जबकि उनके धड़ की पूजा कालीमठ में होती है। नवरात्रि के दौरान यहां हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। देवी काली को समर्पित इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि यह मंदिर उत्तराखंड के चार धामों की रक्षा करती है। यह भी माना जाता है कि इस मंदिर में देवी की प्रतिमा दिन में तीन बार रंग बदलती है। ऐसे में आइए जानते हैं इस मंदिर से जुड़ी मान्यताएं…

बाढ़ में बह गई थी माता की मूर्ति, फिर हुआ चमत्कार

माना जाता है कि द्वापर युग में एक भयंकर बाढ़ आई थी, जिसमें देवी की मूर्ति भी बह गई। बहते-बहते यह मूर्ति धारो गांव के पास एक चट्टान पर रुक गई। तभी आकाशवाणी हुई कि देवी को इसी स्थान पर स्थापित किया जाए। गांव के लोगों ने मूर्ति को वहां स्थापित कर दिया और तब से यहां पूजा होती आ रही है। यह मंदिर चारधाम यात्रा मार्ग पर स्थित है, इसलिए इसे चारधामों का रक्षक भी कहा जाता है।

दिन में तीन बार बदलता है देवी का रूप

धारी देवी मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि माता का रूप दिन में तीन बार बदलता है। सुबह के समय देवी कन्या के रूप में नजर आती हैं। दोपहर के समय देवी का स्वरूप युवती का हो जाता है। जबकि शाम के समय देवी वृद्ध महिला के रूप में दिखाई देती हैं। भक्त इस अद्भुत चमत्कार को देखने के लिए सुबह से शाम तक मंदिर में रुकते हैं।

मूर्ति को हटाने से आयी थी बाढ़

स्थानीय लोगों का मानना है कि 2013 में आई भीषण बाढ़ धारी देवी के क्रोध का परिणाम थी। 16 जून 2013 को मंदिर की मूर्ति को पूर्व स्थान से हटाया गया, और उसी शाम को उत्तराखंड में भयानक बाढ़ आ गई। इस बाढ़ में हजारों लोगों की जान चली गई थी। कहा जाता है कि माता को छेड़ना अशुभ होता है और उनकी मूर्ति हटाने का नतीजा पूरी दुनिया ने देखा।

धारी देवी और कालीमठ का गहरा संबंध

धारी देवी मंदिर में माता काली के सिर की पूजा होती है, जबकि कालीमठ में उनके धड़ की पूजा होती है। यह दोनों मंदिर मां काली को समर्पित हैं। कालीमठ को तंत्र साधना का बड़ा केंद्र माना जाता है, जबकि धारी देवी को चारधामों की संरक्षक देवी माना जाता है।

सुबह 6 बजे खुलते हैं पट, शाम 7 बजे होती है आरती

धारी देवी मंदिर के दर्शन सुबह 6 बजे से शाम 7 बजे तक किए जा सकते हैं। श्रद्धालु यहां माता का आशीर्वाद लेने के लिए दूर-दूर से आते हैं। नवरात्रि के दौरान यहां भारी भीड़ उमड़ती है और खास पूजा-अर्चना होती है। मान्यता है कि इस मंदिर में सच्चे मन से मन्नत मांगने पर मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

मेष वार्षिक राशिफल 2025 वृषभ वार्षिक राशिफल 2025
मिथुन राशिफल 2025 कर्क राशिफल 2025
सिंह राशिफल 2025 कन्या राशिफल 2025
तुला राशिफल 2025 वृश्चिक राशिफल 2025
धनु राशिफल 2025 मकर राशिफल 2025
कुंभ राशिफल 2025 मीन राशिफल 2025

डिसक्लेमर- इस लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, पंचांग, मान्यताओं या फिर धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है। इसके सही और सिद्ध होने की प्रामाणिकता नहीं दे सकते हैं। इसके किसी भी तरह के उपयोग करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।


Spread the love