
विधानसभा के बजट सत्र के दूसरे दिन शून्यकाल में यह मामला उठाते हुए नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने आरोप लगाया कि अदाणी समूह जैसे व्यवसायिक घरानों को लाभ पहुंचाने के लिए प्रदेश के आम उपभोक्ताओं पर स्मार्ट प्रीपेड बिजली मीटर थोपे जाने की साजिश की जा रही है।


प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)
उन्होंने कहा कि इस योजना से निजी कंपनियां 2027 करोड़ रुपये वसूल करेंगी ।
उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि केंद्र सरकार राज्य पर इन मीटरों को लगाने का यह कहते हुए दवाब बना रही है कि अगर ये मीटर नहीं लगाए गए तो प्रदेश में जारी बिजली संबंधी विकास परियोजनाओं को रोक दिया जाएगा।
आर्य ने कहा कि वैसे भी ये प्रीपेड मीटर मोबाइल ऐप के जरिए रिचार्ज होंगे और अगर इंटरनेट या अन्य वजह से कोई इसे समय पर रिचार्ज नहीं करवा पाया उसके घर की बिजली चली जाएगी ।
उन्होंने इस योजना को ‘जनविरोध, दुखद और गंभीर’ बताते हुए राज्य सरकार से इसे वापस लेने की मांग की ।
प्रदेश में इस मामले का सबसे पहले विरोध करने वाले उधमसिंह नगर के किच्छा से विधायक तिलकराज बेहड़ ने कहा कि प्रदेश के कुमांउ क्षेत्र में अदाणी समूह और गढ़वाल क्षेत्र में भ्रष्टाचार की आरोपों में लिप्त जीनस कंपनी को प्रीपेड मीटर लगाने का काम दिया गया है जो आम उपभोक्ताओं का उत्पीड़न कर रहे हैं ।
उन्होंने दावा किया कि उनके विधानसभा क्षेत्र में अदाणी समूह के लोग उपभोक्ताओं को प्रीपेड मीटर लगाने के लिए जबरदस्ती कर रहे हैं और मीटर न लगवाने पर उनसे दस हजार रुपये का जुर्माना वसूले जाने की बात कह रहे हैं।
बेहड़ ने सरकार से इस योजना को बंद करने का आग्रह करते हुए कहा कि गरीब और कमजोर लोगों को इन कंपनियों के उत्पीड़न से बचाया जाए।
अन्य कांग्रेस सदस्यों, सुमित ह्रदयेश, भुवन कापड़ी, गोपाल राणा, आदेश चौहान, ममता राकेश सहित अन्य कांग्रेस सदस्यों ने भी इस मुददे पर अपना विरोध जताया।
बाद में अपने जवाब में संसदीय कार्यमंत्री प्रेम चंद अग्रवाल ने बताया कि केंद्र सरकार की आरडीएसएस योजना के तहत देश के सभी राज्यों में ये स्मार्ट प्रीपेड बिजली मीटर लगाए जा रहे है।
उन्होंने दावा किया कि उपभोक्ताओं को इससे कोई परेशानी नहीं होगी और उन पर कोई अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि जहां अभी इंटरनेट सुविधा नहीं है, वहां ये मीटर नहीं लगाए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि योजना के तहत जिनके मकानों की रजिस्ट्री नहीं है, उन्हें भी विद्युत संयोजन देने का प्रावधान है ।
भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी जीनस कंपनी को प्रीपेड मीटर लगाने का काम देने के आरोप का जवाब देते हुए अग्रवाल ने कहा कि प्रदेश में उन्हें यह ऑर्डर उन पर प्रवर्तन निदेशालय के छापे पड़ने के छह माह पूर्व ही दिया जा चुका था।
मंत्री ने कहा कि इस योजना में राज्य का कोई धन नहीं लग रहा है और इसके लिए केंद्र सरकार अनुदान दे रही है ।
हालांकि, अग्रवाल के जवाब पर असंतोष व्यक्त करते हुए आर्य ने कहा कि योजना के जरिए जनता पर ‘ज्यादती और जुल्म’ किया जा रहा है जिसके खिलाफ जनता आक्रोशित है। उन्होंने कहा कि यह योजना सरकार के ताबूत में आखिरी कील साबित होगी। इसके बाद कांग्रेस सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन कर दिया।
