उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच ने रविवार को गांधी रोड स्थित दीनदयाल पार्क में सशक्त भू-कानून और मूल निवास लागू करने के अलावा यूसीसी के दो बिन्दुओं पर विरोध को लेकर धरना प्रदर्शन किया।

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जिसमें काफी संख्या में राज्य आंदोलनकारियों समेत विभिन्न संगठनों के पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया।

प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)

धरने में मौजूद आंदोलनकारी वक्ताओं का कहना था कि अपने जल, जंगल, जमीन, संस्कृति एवं समग्र विकास को लेकर जनता सड़कों पर आई थी, अनेक शहादतें हुईं। लेकिन इन 25 सालों में न तो सशक्त भू-कानून बना और न स्थायी राजधानी बन पाई।

उल्टा हमारा मूल निवास जरूर छीन लिया और देवभूमि में यूसीसी के जरिए लिव इन रिलेशन जैसा अनचाहा कानून थोपा जा रहा है। ये हमारी मातृशक्ति के स्वाभिमान और संस्कृति के ठीक उलट है। मंच के प्रदेश महासचिव रामलाल खंडूड़ी ने कहा कि गृह मन्त्री भी स्वीकार कर चुके हैं कि यूसीसी में अभी चर्चा की गुंजाइश है, कि कहीं कोई संस्कृति, धर्म आदि पर तो इसका दुष्परिणाम तो नहीं।

यूसीसी में सुझाव देने वाले कौन,उल्लेख नहीं

जगमोहन सिंह नेगी, जगमोहन मेहन्दीरत्ता ने कहा कि किसी भी सामाजिक संगठन को यूसीसी ड्राफ्ट में ना तो शामिल किया और न ही सुझाव मांगे, सीधे यूसीसी लागू कर दिया गया। यूसीसी ड्राफ्ट में कहा गया कि दो लाख लोगों से सुझाव लिए गए, मगर ये कौन लोग थे, किस प्रदेश के हैं? इसका कोई उल्लेख नहीं है। संयुक्त नागरिक संगठन से जसबीर रनोत्रा, डीएस गुसाईं ने कहा कि यूसीसी के एक साल वाले स्थायी निवासी के प्रावधान पर स्थिति स्पष्ट नहीं है।


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