वयोवृद्ध कथाकार सुभाष पंत को प्रदेश का पहला उत्तराखंड साहित्य भूषण सम्मान दिया गया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उनको बतौर पुरस्कार पांच लाख की राशि का चेक, स्मृति चिन्ह और शॉल भेंट किया।

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सर्वे चौक पर आईआरडीटी सभागार में सोमवार को उत्तराखंड भाषा संस्थान के उत्तराखंड साहित्य गौरव सम्मान समारोह में मुख्यमंत्री बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे थे। उन्होंने हिंदी, उर्दू, गढ़वाली, कुमाउनी समेत तमाम भाषा-बोलियों से जुड़े 18 साहित्यकारों को सम्मानित किया।

इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार प्रदेश में साहित्य को पर्यटन से जोड़ते हुए साहित्य सृजन का वातावरण बनाने के लिए भरसक प्रयास कर रही है। प्रदेश में दो जगह साहित्य ग्राम बनाकर साहित्यकारों को विशेष सुविधा और वातावरण उपलब्ध कराया जाएगा।

उन्होंने कहा कि देश में तुष्टिकरण के चलते लेखकों को नजरअंदाज किया जाता रहा। मगर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाज को उचित मंच प्रदान किया जा रहा है। भाषा निदेशक स्वाति भदौरिया और अपर सचिव-भाषा पन्ना लाल ने सबका आभार जताया। जबकि, इसका संचालन हेमंत बिष्ट ने किया।

शमा खान और सतीश डिमरी भी सम्मानित उत्तराखंड साहित्य नारी वंदन सम्मान के तहत गौरा पंत शिवानी सम्मान शमा खान को दिया गया। बाल साहित्य लेखन में मंगलेश डबराल सम्मान सतीश डिमरी को मिला। दोनों को 1.51-1.51 लाख की राशि मिली।

आठ साहित्यकारों को एक-एक लाख की सम्मान राशि वितरित

साहित्य गौरव सम्मान के तहत आठ साहित्यकारों को एक-एक लाख की राशि, स्मृति चिन्ह और शॉल भेंट किया गया।

– साहित्यिक पत्र-पत्रिका लेखन सम्मान के तहत भैरव दत्त धूलिया सम्मान हलंत पत्रिका के एमआर ध्यानी को दिया गया।

– महाकाव्य, खंड काव्य, काव्य रचना श्रेणी में महादेवी सम्मान शशिभूषण बडोनी को मिला।

– कथा साहित्य श्रेणी में शैलेश मटियानी पुरस्कार ललित मोहन रयाल को दिया गया।

– हिंदी की अन्य गद्य विधाओं के लिए डॉ. पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल अवॉर्ड नीरज नैथानी को मिला।

– गढ़वाली गद्य विधा का भवानी दत्त थपलियाल पुरस्कार वीरेंद्र पंवार को दिया गया।

– गढ़वाली पद्य विधा का कन्हैया लाल डंडरियाल पुरस्कार मदन मोहन डुकलान को मिला।

– कुमाउनी गद्य विधा का बहादुर बोरा पुरस्कार महेंद्र ठकुराठी को प्रदान किया गया।

– कुमाउनी पद्य विधा का शेर सिंह बिष्ट ‘अनपढ़’ पुरस्कार मोहन जोशी को दिया गया।

उत्तराखंड भाषा संस्थान के लिए जमीन देगी सरकार

इस दौरान भाषा मंत्री सुबोध उनियाल की ओर से भाषा संस्थान के लिए जमीन उपलब्ध कराए जाने की मांग स्वीकार करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके लिए जिला प्रशासन को जल्द दिशा-निर्देश दिए जाएंगे। इस अवसर पर भाषा मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि साहित्यसेवी पुरोधाओं का सम्मान करना भाषा संस्थान का दायित्व है।

पवनेश और अनूप को साहित्य उदीयमान सम्मान

इस अवसर पर उत्तराखंड नवोदित साहित्य उदीयमान सम्मान के तहत गिरीश तिवारी ‘गिर्दा’ पुरस्कार डॉ. पवनेश ठकुराठी को प्रदान किया गया। विद्यासागर नौटियाल पुरस्कार अनूप सिंह रावत को दिया गया। दोनों को ही 50-50 हजार रुपये की सम्मान राशि दी गई। इस दौरान शैलेश मटियानी और शेर सिंह बिष्ट ‘अनपढ़’ के परिजनों को भी सम्मानित किया गया।

सीएम बोले-उत्तराखंड साहित्य सृजन की धरती

मुख्यमंत्री ने कहा कि कथाकार सुभाष पंत समेत तमाम साहित्यकारों ने अपनी लेखनी से उत्तराखंड को गौरव के पल दिए हैं। यह ऐसा सम्मान है, जिसे देकर वे खुद को अच्छा महसूस कर रहे हैं। उत्तराखंड साहित्य सृजन की धरती है, यह सृजन धारा महादेवी वर्मा, राहुल सांस्कृत्यायन, सुमित्रा नंदन पंत, चंद्रकुंवर बर्त्वाल, शैलेश मटियानी, रस्किन बांड और लीलाधर जगूड़ी के माध्यम से बह रही है।

उत्तराखंड दीर्घकालीन उत्कृष्ट साहित्य सृजन पुरस्कार पांच साहित्यकारों को दिया गया। इनको 1.51-1.51 लाख की सम्मान निधि, स्मृति चिन्ह और शॉल भेंट किया गया।

– हिंदी साहित्य क्षेत्र में दीर्घकालीन सेवाओं के लिए सुमित्रा नंदन पंत सम्मान डॉ. दिनेश पाठक को प्रदान किया गया।

– उर्दू साहित्य में दीर्घकालीन सेवाओं के लिए प्रो. उन्वान चिश्ती सम्मान डॉ. सगीर अशरफ को दिया गया।

– कुमाउनी साहित्य में दीर्घकालीन सेवाओं के लिए गुमानी पंत सम्मान गोपाल दत्त भट्ट को दिया गया।

– गढ़वाली साहित्य में दीर्घकालीन सेवाओं के लिए भजन सिंह सम्मान कुलानंद घनशाला को दिया गया।

– अन्य बोलियों में दीर्घकालीन सेवाओं के लिए गोविंद चातक सम्मान सुनीता चौहान को मिला।

इस सम्मान से लेखकों का मनोबल बढ़ेगा पंत

कथाकार सुभाष पंत को उनकी प्रमुख कृतियों में ‘एक रात का फासला’, ‘छोटा हुआ आदमी’, ‘एक का पहाड़ा’, ‘पहाड़ चोर’, ‘मुन्नी बाई की प्रार्थना’, ‘पहाड़ की सुबह’, ‘सुबह का भूला’, ‘सिंगिग बेल’ और ‘इक्कीसवीं सदी की एक दिलचस्प दौड़’ जैसी उत्कृष्ट साहित्य रचना के लिए उत्तराखंड भाषा संस्थान ने वर्ष 2024 का ‘उत्तराखंड साहित्य भूषण सम्मान’ दिया है। पंत ने यह सम्मान मिलने पर कहा कि इससे साहित्य क्षेत्र के और लेखकों का भी मनोबल बढ़ेगा। अस्वस्थ होने के बावजूद वे सम्मान लेने पहुंचे थे।

‘नई पीढ़ी को बोली भाषा से जोड़ने के लिए सरकार प्रतिबद्ध’

इस दौरान धामी ने कहा कि राज्य सरकार बिखरे साहित्य को संकलित करके बोली-भाषा के संरक्षण पर विशेष ध्यान दे रही है। नई पीढ़ी को अपनी बोली-भाषा से जोड़ने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। इससे पहले, उन्होंने पुस्तक मेला स्टॉल का भ्रमण किया और लेखकों से भी बात की। इस दौरान एकलव्य नाट्य संस्था ने साहित्यकार धर्मवीर भारती के लिखे नाटक ‘अंधा युग’ का मंचन किया।

प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स। दिनेश बम रुद्रपुर, (उत्तराखंड)


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