
रुद्रपुर में बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं और प्रशासनिक निष्क्रियता के विरोध में गुरुवार को शहर के व्यापारियों ने हेलमेट पहनकर अनूठा प्रदर्शन किया। डीडी चौक पर आयोजित इस विरोध में व्यापार मंडल से जुड़े दर्जनों व्यापारी शामिल हुए। प्रदर्शनकारियों ने ओवरलोड डंपरों और बेकाबू वाहनों पर लगाम न कसने को लेकर जिला प्रशासन को कटघरे में खड़ा किया।


व्यापारियों का कहना था कि रुद्रपुर की सड़कें रोज खून से लाल हो रही हैं, मगर प्रशासन ‘कुंभकर्णी नींद’ में सोया हुआ है। प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई, तो बाजार बंद और अनिश्चितकालीन आंदोलन की राह अख्तियार की जाएगी।
प्रशासनिक लापरवाही से हो रही हैं मौतें
व्यापार मंडल अध्यक्ष संजय जुनेजा ने कहा, “डंपर रुद्रपुर की सड़कों पर मौत बनकर दौड़ रहे हैं। मानकों से कई गुना अधिक ओवरलोडिंग के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हो रही। रोज़ कोई न कोई निर्दोष इन वाहनों की चपेट में आकर जान गंवा रहा है।”
नंबरलेस डंपरों और RTO की संदिग्ध भूमिका पर सवाल
व्यापारियों ने आरोप लगाया कि शहर में दिन-रात दौड़ने वाले बिना नंबर के ओवरलोड डंपर न केवल जानलेवा हैं, बल्कि इनकी आवाजाही में प्रशासन और आरटीओ की मिलीभगत भी साफ दिखाई देती है। सरकारी निर्माण कार्यों में लगे ठेकेदारों पर भी नियमों की धज्जियां उड़ाने का आरोप लगा।
हाल की घटनाओं से आक्रोश
प्रदर्शनकारियों ने हाल ही में प्रीत विहार की रिटायरमेंट पुरुष महिला दंपति की रोडवेज बस की टक्कर से मौत का मामला उठाते हुए कहा कि यह प्रशासनिक उदासीनता का प्रत्यक्ष उदाहरण है। कई घंटे तक दंपति रोड के किनारे झाड़ियां में पड़े रहे , पुलिस की सक्रियता होती तो बच सकती थी दंपति की जान”जब तक प्रशासन ठोस कार्रवाई नहीं करेगा, तब तक यह सिलसिला रुकने वाला नहीं है,” व्यापार मंडल महामंत्री मनोज छाबड़ा ने कहा।
प्रदर्शन में शामिल व्यापारी
प्रदर्शन में संदीप राव, पवन गाबा, राजेश कामरा, विजय फुटेला, सागर छाबड़ा, चंद्र प्रकाश, जिमी ठुकराल, आशीष चांदना, बलविंदर सिंह बल्लू, शिवम सेठी, सोनू चावला, सौरभ भुसारी, सुरेश खुराना, शिवम् छाबड़ा, इरशाद अहमद, सुमित बांगा, राजकुमार सिकरी, मानस दुनेजा सहित कई व्यापारी उपस्थित रहे।
एक नई पहल, लेकिन क्या जागेगा प्रशासन?
हेलमेट पहनकर किया गया यह सांकेतिक विरोध प्रदर्शन निश्चित रूप से समाज में जागरूकता फैलाने की दिशा में एक सकारात्मक पहल है, लेकिन अब सवाल यह उठता है कि क्या सरकार और प्रशासन इस चेतावनी को गंभीरता से लेगा? या फिर जनता को यूं ही हादसों की आग में झुलसना होगा?
