यूं तो हनुमान जी को लेकर बहुत सी प्रचलित कहानियां हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि उन्होंने एक बार पांच मुखों वाला रूप, यानी पंचमुखी अवतार भी लिया था? जी हां, ऐसी मान्यता है कि भगवान के इस रूप की पूजा करने से जीवन से सभी प्रकार के कष्ट दूर होते हैं। वहीं, वास्तु में भी इस तस्वीर को घर पर लगाना बहुत ही शुभ माना गया है। ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि आखिर हनुमान जी ने पंचमुखी अवतार क्यों लिया था। तो चलिए शुरू करते हैं…


प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)संवाददाता
हनुमानजी ने पंचमुखी अवतार क्यों लिया था?
पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान राम और रावण के बीच में युद्ध चल रहा था, तब रावण की सेना युद्ध हार रही थी। ऐसे में अपनी सेना को इस तरह परास्त होता देख रावण ने अपने मायावी भाई अहिरावण से सहायता मांगी। अहिरावण मां भवानी का बहुत बड़ा भक्त था और उसे तंत्र विद्या काफी ज्ञान था। उसने शक्तियों का इस्तेमाल करके भगवान राम की पूरी सेना को नींद में सुला दिया और भगवान राम और लक्ष्मण जी का अपहरण करके पाताल लोक ले गया। अहिरावण को एक वरदान मिला था कि उसे मारने के लिए पांचों दिशा में जल रहे दीपक एक साथ बुझाने होंगे। तब भगवान राम और लक्ष्मण जी को बचाने के लिए हनुमानजी ने पंचमुखी रूप धारण किया और पांचों दीपकों को एक साथ बुझाकर अहिरावण का वध किया।
पंचमुखी अवतार का महत्व
पहला मुख – वानर का
हनुमान जी के पंचमुखी अवतार में पहला मुख वानर का है, जो पूर्व दिशा की ओर है। ऐसा माना जाता है कि वानर मुख शत्रुओं पर जीत दिलाता है।
दूसरा मुख – गरुड़ का
हनुमान जी के पंचमुखी अवतार में दूसरा मुख गरुड़ का है, जो पश्चिम दिशा की ओर है। ऐसा माना जाता है कि गरुड़ मुख जीवन की रुकावटें और परेशानियां दूर करता है।
तीसरा मुख – वराह का
हनुमान जी के पंचमुखी अवतार में तीसरा मुख वराह का है, जो उत्तर दिशा की ओर है। मान्यता है कि इससे आयु बढ़ती है और समाज में इज्जत मिलती है।
चौथा मुख – नृसिंह का
हनुमान जी के पंचमुखी अवतार में चौथा मुख नृसिंह का है, जो दक्षिण दिशा की ओर है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नृसिंह मुख जीवन में आ रहे डर, तनाव को खत्म करता है।
पांचवां मुख – अश्व (घोड़े) का
हनुमान जी का पांचवा मुख आकाश की ओर है, जिसे अश्व मुख भी कहा जाता है। माना जाता है कि हनुमान जी के इस मुख की आराधना करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
घर की इस दिशा में रखें पंचमुखी हनुमान
अगर आप घर में पंचमुखी हनुमान जी की पूजा करना चाहते हैं तो उनकी फोटो या मूर्ति दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम दिशा में लगाएं। हनुमान जी की पूजा मंगलवार और शनिवार के दिन करना सबसे शुभ माना जाता है। पूजा के समय लाल फूल, सिंदूर, चमेली का तेल और गुड़-चने का भोग अर्पित करें। इसके साथ ही हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पंचमुखी हनुमान जी की पूजा करने से डर, तनाव और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। वास्तु के अनुसार, अगर आप उनकी मूर्ति घर के मुख्य दरवाजे पर लगाते हैं, तो इससे बुरी शक्तियां घर में नहीं आतीं।

