क्या करें और क्या ना करें): सूर्य के धनु राशि में जाने से आज से खरमास का महीना प्रारंभ हुआ है। इस एक महीने में सभी मांगलिक कामों पर पाबंदी लग जाती है। ये 30 दिन पुण्य और तपस्या का समय माने गए हैं।खरमास को हिंदू धर्म में आत्मचिंतन का वक्त माना जाता है। इसे पौषमास के नाम से भी जाना जाता है। ज्योतिषीय दृष्टि से जब सूर्य बृहस्पति की राशि धनु या मीन में प्रवेश करता है, तब खरमास की शुरुआत होती है।

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इस खरमास का समापन नए साल यानि कि साल 2025 में मकर संक्रांति पर होगा. ऐसे में लोगों के मन में सवाल उठता है कि आखिर खरमास लगता क्यों है. तो आज हम आपको बता रहे हैं.

खरमास की पौराणिक कथा

ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक जब भी सूर्य देव बृहस्पति की राशि धनु और मीन में प्रवेश करते हैं तो खरमास लग जाता है. पौराणिक और धार्मिक मान्यता के मुताबिक सूर्य अपने सात घोड़ों के रथ पर बैठकर ब्रह्मांड का चक्कर लगाते हैं. जिस वक्त ये घोड़े थक जाते हैं उसी समय खरमास लगता है क्योंकि इस वक्त सूर्य देव परिक्रमा नहीं करते हैं. सिर्फ आराम करते हैं.

सूर्य के घोड़े करते हैं आराम

मान्यता के मुताबिक जब सूर्य के घोड़े आराम करते हैं उस वक्त सूर्य देव की गति और तेज कम हो जाता है. मान्यता के मुताबिक जिस वक्त सूर्द देव घोड़े से उतर जाते हैं उस समय वह गदहे पर विचरण करते हैं. चूंकि गदहा धीरे चलता है और उसकी चाल धीरे होती है इस कारण इस महीने को खरमास कहा जाता है.

क्या है खरमास का अर्थ

खरमास को अगर संधि विच्छेद करें तो इसका अर्थ है खर और मास. खर का मतलब होता है गदह और मास का मतलब होता है महीना. यानि जब खरमास लगता है तो कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है. ऐसी मान्यता है कि खरमास के महीने में अगर कोई भी व्यक्ति शुभ कार्य की शुरुआत करता है तो उसे उम्मीद के अनुरूप फल नहीं मिलता है.

इस दौरान धार्मिक दृष्टि से इस समय में दान, पूजा, पाठ और गरीबों की सहायता करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। आपको बता दें कि खरमास आज से शुरू होकर 14 जनवरी को समापंत होंगे।

आइए जानते हैं कि इस महीने में क्या करें और क्या ना करें?

खरमास में क्या करें

  • तीर्थ यात्रा पर जाना।
  • भगवान विष्णु और सूर्यदेव की पूजा करें।
  • गीता, रामायण या अन्य धार्मिक ग्रंथों का पाठ करें।
  • जरूरतमंदों को दान करें।
  • ध्यान, योग और प्राणायाम को अपने दिनचर्या का हिस्सा बनाएं।
  • “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करना लाभकारी माना गया है।
  • गाय को हरा चारा खिलाएं और ब्राह्मणों को भोजन कराएं।

खरमास में क्या न करें

  • शुभ कार्य जैसे विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश।
  • नई योजनाओं की शुरुआत।
  • अनावश्यक विवाद और क्रोध।
  • नया व्यवसाय, संपत्ति खरीदने या बड़े निवेश करने से बचें।
  • अत्यधिक भोजन, मनोरंजन और सांसारिक सुख-सुविधाओं से दूरी बनाएं।

खरमास के दौरान भगवान विष्णु की पूजा और भक्ति करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं। इसे ध्यान, साधना, और ईश्वर के प्रति समर्पण का समय माना जाता है।

भगवान विष्णु की पूजा कैसे करें?

  • इस पूरे महीने सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और पीले रंग के कपड़े पहनें।
  • पूजा से पहले मंदिर की सफ़ाई करें फिर श्रीहरि की मां लक्ष्मी के साथ फोटो या मूर्ति लगाएं।
  • भगवान विष्णु को पीले रंग के फूल, पीले फल, तुलसी दल, और पीतांबर अर्पित करें.।
  • हल्दी का तिलक पहले भगवान को लगाएं फिर खुद को भी लगाएं।
  • भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें, आरती करें और प्रसाद बांटे।

DISCLAIMER: यह सूचना इंटरनेट पर उपलब्ध मान्यताओं और सूचनाओं पर आधारित है। वनइंडिया लेख से संबंधित किसी भी इनपुट या जानकारी की पुष्टि नहीं करता है इसलिए किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृपया किसी जानकार ज्योतिष या पंडित की राय जरूर लें।

इस साल खरमास का प्रारंभ आज से लग रहा है। पंचांग के अनुसार, आज रात 10:19 बजे सूर्य धनु राशि में प्रवेश करने वाले हैं, इसे धनु संक्रान्ति भी कहते हैं, जैसे ही सूर्य की राशि बदलेगी वैसे ही खरमास प्रारंभ हो जाएगा।

इसकी समाप्ति 14 जनवरी 2025 को तब होगी जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे, जिसे कि मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है, इस दिन से सभी शुभ काम प्रारंभ हो जाएंगे।

खरमास का महत्व हम निम्नलिखित बिंदुओं से समझ सकते हैं…

  • आध्यात्मिक उन्नति का समय: खरमास के दौरान भगवान विष्णु की पूजा और भक्ति करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं। इसे ध्यान, साधना, और ईश्वर के प्रति समर्पण का माह माना जाता है।
  • शुभ कार्यों पर रोक: इस अवधि में विवाह, गृह प्रवेश, नया व्यवसाय शुरू करने जैसे शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं।
  • तप और धर्म-कर्म पर जोर: खरमास में संयमित जीवन की बात कही गई है। इस दौरान तप और धर्म-कर्म में ध्यान लगाने पर जोर दिया जाता है।

खरमास में भगवान विष्णु चालीसा का पाठ जरूर करना चाहिए इससे मन को शांति मिलती हैं और इंसान के सारे कष्टों का अंत भी हो जाता है…

विष्णु चालीसा (Vishnu Chalisa)

दोहा

  • विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय ।
  • कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय ॥

विष्णु चालीसा

  • नमो विष्णु भगवान खरारी, कष्ट नशावन अखिल बिहारी ।
  • प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी, त्रिभुवन फैल रही उजियारी ॥
  • सुन्दर रूप मनोहर सूरत, सरल स्वभाव मोहनी मूरत ।
  • तन पर पीताम्बर अति सोहत, बैजन्ती माला मन मोहत ॥
  • शंख चक्र कर गदा विराजे, देखत दैत्य असुर दल भाजे ।
  • सत्य धर्म मद लोभ न गाजे, काम क्रोध मद लोभ न छाजे ॥
  • सन्तभक्त सज्जन मनरंजन, दनुज असुर दुष्टन दल गंजन ।
  • सुख उपजाय कष्ट सब भंजन, दोष मिटाय करत जन सज्जन ॥
  • पाप काट भव सिन्धु उतारण, कष्ट नाशकर भक्त उबारण ।
  • करत अनेक रूप प्रभु धारण, केवल आप भक्ति के कारण ॥
  • धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा, तब तुम रूप राम का धारा ।
  • भार उतार असुर दल मारा, रावण आदिक को संहारा ॥
  • आप वाराह रूप बनाया, हिरण्याक्ष को मार गिराया ।
  • धर मत्स्य तन सिन्धु बनाया, चौदह रतनन को निकलाया ॥
  • अमिलख असुरन द्वन्द मचाया, रूप मोहनी आप दिखाया ।
  • देवन को अमृत पान कराया, असुरन को छवि से बहलाया ॥
  • कूर्म रूप धर सिन्धु मझाया, मन्द्राचल गिरि तुरत उठाया ।
  • शंकर का तुम फन्द छुड़ाया, भस्मासुर को रूप दिखाया ॥
  • वेदन को जब असुर डुबाया, कर प्रबन्ध उन्हें ढुढवाया ।
  • मोहित बनकर खलहि नचाया, उसही कर से भस्म कराया ॥
  • असुर जलन्धर अति बलदाई, शंकर से उन कीन्ह लड़ाई ।
  • हार पार शिव सकल बनाई, कीन सती से छल खल जाई ॥
  • सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी, बतलाई सब विपत कहानी ।
  • तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी, वृन्दा की सब सुरति भुलानी ॥
  • देखत तीन दनुज शैतानी, वृन्दा आय तुम्हें लपटानी ।
  • हो स्पर्श धर्म क्षति मानी, हना असुर उर शिव शैतानी ॥
  • तुमने ध्रुव प्रहलाद उबारे, हिरणाकुश आदिक खल मारे ।
  • गणिका और अजामिल तारे, बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे ॥
  • हरहु सकल संताप हमारे, कृपा करहु हरि सिरजन हारे ।
  • देखहुं मैं निज दरश तुम्हारे, दीन बन्धु भक्तन हितकारे ॥
  • चाहता आपका सेवक दर्शन, करहु दया अपनी मधुसूदन ।
  • जानूं नहीं योग्य जब पूजन, होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन ॥
  • शीलदया सन्तोष सुलक्षण, विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण ।
  • करहुं आपका किस विधि पूजन, कुमति विलोक होत दुख भीषण ॥
  • करहुं प्रणाम कौन विधिसुमिरण, कौन भांति मैं करहु समर्पण ।
  • सुर मुनि करत सदा सेवकाई, हर्षित रहत परम गति पाई ॥
  • दीन दुखिन पर सदा सहाई, निज जन जान लेव अपनाई ।
  • पाप दोष संताप नशाओ, भव बन्धन से मुक्त कराओ ॥
  • सुत सम्पति दे सुख उपजाओ, निज चरनन का दास बनाओ ।
  • निगम सदा ये विनय सुनावै, पढ़ै सुनै सो जन सुख पावै ॥

॥ इति श्री विष्णु चालीसा ॥

खबर)
प्रिंट मीडिया,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर


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