
भ्रष्टाचार का गढ़ बनता रुद्रपुर आरटीओ ऑफिस : कब मिलेगी ईमानदारी की राह
उत्तराखंड जैसे शांत, सरल और स्वाभिमानी प्रदेश की कल्पना कभी भी भ्रष्टाचार से लिप्त तंत्र में नहीं की गई थी। यह राज्य बना ही था एक पारदर्शी, जवाबदेह और जनता की सेवा करने वाली व्यवस्था के लिए। लेकिन आज किच्छा-रुद्रपुर रोड पर स्थित देवरिया टोल प्लाजा के पास चल रही आरटीओ विभाग की चेकिंग इस सोच को गहरे झकझोरती है।


आम आदमी देख रहा है कि ओवर हाइट, ओवरलोड और डग्गामार वाहन बेरोक-टोक चल रहे हैं। जिन गाड़ियों पर रोक लगनी चाहिए, जिनसे सवाल पूछे जाने चाहिए, वे आराम से खनन सामग्री से लदे हुए आरटीओ ऑफिस के सामने से गुजर जाते हैं। केवल कुछ चुनिंदा गाड़ियों को दिखावे के लिए रोका जाता है, बाकी सब सेटिंग-गेटिंग के खेल में रफ्तार से दौड़ती रहती हैं।
भ्रष्टाचार की जड़ें और गहराती व्यवस्था
रुद्रपुर आरटीओ ऑफिस का यह हाल केवल एक उदाहरण नहीं है, बल्कि एक बड़ी समस्या का प्रतीक बन गया है। चेकिंग के नाम पर महज खानापूर्ति की जाती है। विभाग के कर्मचारी और अधिकारी इस तरह काम करते हैं मानो उन्हें कोई डर नहीं। कारण साफ है, सबकुछ पहले से ‘सेट’ है।
ईमानदारी से सोचिए, जब जनता से टैक्स वसूला जाता है, नियम बनाए जाते हैं, तो क्या केवल आम जनता पर ही उनका बोझ डाला जाएगा? क्या नियम केवल उन पर लागू होंगे जो मजबूरी में नियम मानते हैं? जबकि बड़े-बड़े ओवरलोड ट्रक, अवैध वाहनों की आवाजाही पर आंखें मूंदी जाती हैं।
समाधान : क्या हो अगला कदम?
आज जरूरत है रुद्रपुर आरटीओ ऑफिस में संपूर्ण जांच की। उन कर्मचारियों को तत्काल यहां से हटाया जाए, जो इस दलदल को और गहरा कर रहे हैं। साथ ही, उत्तराखंड की मूल भावना के अनुरूप ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ और जवाबदेह कर्मचारियों की तैनाती हो।
यह भी जरूरी है कि जनता खुद जागरूक बने, अपने अधिकारों को समझे और आवाज उठाए। क्योंकि जब तक हम चुप रहेंगे, तब तक ऐसे सिस्टम फलते-फूलते रहेंगे।
भ्रष्टाचार नहीं, ईमानदारी से ही बनेगा उत्तराखंड स्वाभिमानी
अब समय आ गया है जब रुद्रपुर ही नहीं, पूरे उत्तराखंड में आरटीओ विभाग जैसी जिम्मेदार संस्थाओं को जवाबदेह बनाया जाए। हर अधिकारी और कर्मचारी से पूछा जाए कि जनता के प्रति उसका दायित्व क्या है। हमें ऐसा उत्तराखंड बनाना है जो अपने सपनों और संकल्पों से न डिगे।
