उत्तराखंड में भूमि घोटाले: कब खुलेगी सरकार की आंखें?प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)

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उत्तराखंड में भूमि घोटाले: कब खुलेगी सरकार की आंखें?

उत्तराखंड में भूमि कानूनों के उल्लंघन के मामले लगातार सामने आ रहे हैं, लेकिन सरकार की निष्क्रियता और प्रशासन की लचर कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं। हरिद्वार और कुमाऊं मंडल में सैकड़ों बीघा जमीन का दुरुपयोग कर उसे कॉलोनियों में तब्दील किया गया है, जबकि प्रशासन मूकदर्शक बना रहा।

हरिद्वार में भूमि खरीद का गोरखधंधा

हरिद्वार में भू-कानूनों की धज्जियां उड़ाते हुए औद्योगिक उपयोग के लिए आवंटित जमीन पर कॉलोनियां बना दी गईं। उदाहरण के लिए, 2007 में हरियाणा के एक व्यवसायी को देवपुरा क्षेत्र में फैक्ट्री लगाने के लिए भूमि दी गई थी, लेकिन अब वहां आवासीय भवन खड़े हैं। इसी तरह, समसपुर में भी उद्योग लगाने के नाम पर मिली जमीन पर कॉलोनी खड़ी हो चुकी है। प्रशासन को अब तक ऐसे 20-25 मामलों का पता चला है, लेकिन सख्त कार्रवाई के नाम पर केवल बयानबाजी हो रही है।

कुमाऊं मंडल में भूमि घोटाले की जांच

कुमाऊं मंडल में 250 वर्ग मीटर से अधिक भूमि की खरीद-फरोख्त पर प्रशासन ने नजर डाली है। कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत के अनुसार, 230 से अधिक मामलों की जांच चल रही है, जिनमें से कई में भूमि का उपयोग निर्धारित उद्देश्य से बदल दिया गया है। प्रशासन ने निर्देश दिए हैं कि 2-3 महीनों के भीतर सभी संदिग्ध भूमि की जांच पूरी हो। लेकिन क्या यह जांच भी पिछली बार की तरह ठंडे बस्ते में चली जाएगी?

धार्मिक भूमि का व्यावसायिक उपयोग

धार्मिक उपयोग के लिए खरीदी गई भूमि को होटल और रिसॉर्ट में तब्दील किया जा रहा है। कई जिलों के एसडीएम और तहसीलदारों को इन मामलों की जांच के आदेश दिए गए हैं, लेकिन जब प्रभावशाली लोगों की संलिप्तता सामने आएगी, तो क्या सरकार उनके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई करेगी?

बाहरी लोगों के लिए भूमि खरीद पर रोक का प्रस्ताव

कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत ने कुछ जिलों में बाहरी लोगों के लिए भूमि खरीद पर रोक लगाने का प्रस्ताव रखा है। नैनीताल, ऊधमसिंह नगर, अल्मोड़ा और बागेश्वर में बाहरी व्यक्तियों को भूमि खरीदने से रोका जा सकता है। हालांकि, सवाल यह है कि क्या सरकार इस प्रस्ताव को लागू करेगी, या फिर रसूखदारों को राहत देने के लिए इसे दरकिनार कर दिया जाएगा?

अल्मोड़ा और रानीखेत में विवादित भूमि खरीद

अल्मोड़ा में बाहरी लोगों द्वारा भूमि खरीद की जांच में 23 संदिग्ध नाम सामने आए हैं, जिनमें से 11 अल्मोड़ा जिले से जुड़े हैं। इनमें मशहूर फिल्म अभिनेता मनोज वाजपेयी का भी नाम शामिल है, जिन्होंने 2021 में योग और मेडिटेशन सेंटर के लिए भूमि खरीदी थी, लेकिन अब तक उसका उपयोग नहीं किया गया। क्या प्रशासन बड़े नामों के खिलाफ भी कार्रवाई करेगा?

रुद्रपुर में बिल्डरों और नेताओं की मिलीभगत

रुद्रपुर में अवैध कॉलोनियों का खेल बिल्डरों, नेताओं और प्राधिकरण की मिलीभगत से चल रहा है। आरोप लगे हैं कि नेताओं ने खुद अवैध रूप से कॉलोनियां काटी हैं, और बर्खास्त सरकारी कर्मचारियों ने भी इस गोरखधंधे में हाथ आजमाया है। सूत्रों के मुताबिक, विकास प्राधिकरण प्रत्येक एकड़ पर मोटी रकम वसूलता है। सवाल उठता है कि क्या सरकार इस पर कार्रवाई करेगी या हमेशा की तरह लीपापोती कर दी जाएगी?

भूमि जब्ती और प्रशासन की निष्क्रियता

हाल ही में प्रशासन ने अल्मोड़ा जिले में मुंबई के एक उद्योगपति की 108 नाली भूमि जब्त की, जो नियमों का उल्लंघन करके खरीदी गई थी। इसी तरह, उत्तर प्रदेश के बाहुबली विधायक राजा भैया की पत्नी द्वारा खरीदी गई भूमि भी जब्त की गई। लेकिन क्या यह कार्रवाई केवल छोटे मामलों तक सीमित रहेगी, या फिर बड़े बिल्डरों और रसूखदारों पर भी गिरेगी गाज?

सरकार को क्या करना चाहिए?

सरकार को निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए:

  1. सीबीआई जांच: पूरे भूमि घोटाले की सीबीआई जांच करवाई जाए, ताकि दोषियों को सजा मिले।
  2. सख्त भूमि कानून: बाहरी व्यक्तियों द्वारा खरीदी गई अवैध जमीन को तत्काल सरकार के अधीन किया जाए।
  3. राजनीतिक संरक्षण समाप्त हो: नेताओं और अधिकारियों की मिलीभगत से हो रहे अवैध कॉलोनी निर्माण को रोका जाए।
  4. जनता को जागरूक किया जाए: स्थानीय जनता को इस भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़ा होने के लिए प्रेरित किया जाए।

हर बार जांच की घोषणा होती है, लेकिन परिणाम शून्य ही रहता है। सरकार को चाहिए कि वह सख्ती से भू-माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई करे, ताकि उत्तराखंड की भूमि को बचाया जा सके। अगर जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो यह घोटाला और बढ़ता जाएगा और राज्य की जमीन धीरे-धीरे रसूखदारों की संपत्ति बन जाएगी।


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