
संपादकीय लेख
उत्तराखंड पुलिस का गौरव: स्वतंत्रता दिवस पर सेवा और समर्पण को सलाम”


स्वतंत्रता दिवस केवल हमारे देश के स्वतंत्रता संग्राम की याद का दिन नहीं है, बल्कि यह दिन उन लोगों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का भी अवसर है, जो अपनी निष्ठा, ईमानदारी और साहस से देश और समाज की सेवा कर रहे हैं। इस वर्ष, उत्तराखंड पुलिस के 143 अधिकारी और कर्मचारी इस गर्व और सम्मान के क्षण के भागीदार बनेंगे, जब उन्हें उनकी सेवाओं और विशिष्ट कार्यों के लिए सम्मानित किया जाएगा।।✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर (उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी)
सबसे गर्व की बात यह है कि इनमें से 16 कार्मिकों को मुख्यमंत्री सराहनीय सेवा पदक प्रदान किया जाएगा — जिनमें सात को उनकी दीर्घकालिक उत्कृष्ट सेवा के आधार पर और नौ को किसी विशिष्ट कार्य में अद्वितीय योगदान के लिए यह सम्मान मिलेगा। इन पदकों से सम्मानित होने वाले अधिकारी और कर्मचारी न केवल पुलिस बल की शान बढ़ाते हैं, बल्कि जनता के विश्वास को भी मजबूत करते हैं।
मुख्यमंत्री सराहनीय सेवा पदक पाने वालों में श्वेता चौबे, सेनानायक आईआरबी द्वितीय जैसी महिला अधिकारी शामिल हैं, जो साबित करती हैं कि सुरक्षा और अनुशासन में महिलाओं की भूमिका निरंतर बढ़ रही है। वहीं, पौड़ी गढ़वाल, हरिद्वार, चमोली जैसे पर्वतीय जिलों से लेकर देहरादून और नैनीताल तक, विभिन्न क्षेत्रों के पुलिसकर्मियों का चयन यह दर्शाता है कि राज्य के हर कोने में समर्पित पुलिस बल मौजूद है।
इसके साथ ही, डीजीपी डिस्क गोल्ड और सिल्वर भी सेवा के आधार पर और विशिष्ट कार्य के लिए प्रदान किए जाएंगे। इन पुरस्कारों की खासियत यह है कि इन्हें पाने वाले सिर्फ थाने-चौकी के पारंपरिक कामकाज तक सीमित नहीं हैं, बल्कि विजिलेंस, एसटीएफ, एएनटीएफ, सीआईडी, फायर सर्विस, एसडीआरएफ और खेलों में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले पुलिसकर्मी शामिल हैं।
विशेष उल्लेख उन खिलाड़ियों का भी होना चाहिए, जिन्होंने 38वें राष्ट्रीय खेलों में उत्तराखंड पुलिस का नाम रोशन किया और अपने पदकों के जरिए यह साबित किया कि वर्दी सिर्फ कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए नहीं, बल्कि खेल और राष्ट्र गौरव में भी योगदान दे सकती है।
इस पूरी चयन प्रक्रिया की पारदर्शिता भी प्रशंसनीय है — डीजीपी दीपम सेठ के अनुसार, चयन पहले जिला, फिर रेंज और अंत में पुलिस मुख्यालय स्तर पर समितियों के माध्यम से किया गया। यह प्रक्रिया न केवल निष्पक्षता को सुनिश्चित करती है, बल्कि पूरे बल में प्रतिस्पर्धा और प्रेरणा की भावना को भी प्रबल करती है।
हमारा मानना है कि ऐसे सम्मान सिर्फ व्यक्तिगत उपलब्धियों का उत्सव नहीं होते, बल्कि पूरी पुलिस व्यवस्था के मनोबल को ऊँचा उठाते हैं। उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्य में, जहां कानून-व्यवस्था बनाए रखने की चुनौतियां भौगोलिक कठिनाइयों से और जटिल हो जाती हैं, वहां इस तरह की मान्यताएं और भी महत्वपूर्ण हो जाती हैं।
स्वतंत्रता दिवस के इस अवसर पर, हम सभी नागरिकों की ओर से इन 143 वीरों को सलाम करते हैं — चाहे वह वर्दी में सड़कों पर तैनात हों, सीमावर्ती क्षेत्रों में गश्त कर रहे हों, अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रहे हों या फिर खेल मैदान में तिरंगे की शान बढ़ा रहे हों।
ये सभी सम्मानित पुलिसकर्मी आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरणा हैं कि सेवा, साहस और ईमानदारी के मार्ग पर चलकर ही असली देशभक्ति का परिचय दिया जा सकता है।
जय हिंद!

