अ मेरिकी पत्रकार लौरा लूमर ने एक महत्वपूर्ण खुलासा किया है। उनकी जांच के अनुसार, इस्माइल रॉयर, जो आतंकवादी गतिविधियों में शामिल रहे हैं, और शेख हमजा यूसुफ, जिन पर आतंकवाद से संबंधित आरोप हैं, को ट्रंप प्रशासन ने व्हाइट हाउस सलाहकार बोर्ड में शामिल किया है।

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इन नियुक्तियों ने प्रशासन की जांच प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। रॉयर का संबंध लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी), अल-कायदा और 2008 के मुंबई हमलों से है, जबकि यूसुफ पर हमास और मुस्लिम ब्रदरहुड से संबंधों के आरोप हैं।

संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)

इस्माइल रॉयर का परिचय

इस्माइल रॉयर, जिनका जन्म का नाम रैंडल टॉड रॉयर है, एक अमेरिकी नागरिक हैं जिन्होंने इस्लाम अपनाया और जिहादी नेटवर्क में शामिल हो गए। लूमर की रिपोर्ट के अनुसार, रॉयर का संबंध लश्कर-ए-तैयबा, मुस्लिम ब्रदरहुड, हमास और ‘वर्जिनिया जिहाद नेटवर्क’ से रहा है। 2000 में, उन्होंने पाकिस्तान में एक आतंकी प्रशिक्षण शिविर में भाग लिया।

रॉयर की आपराधिक पृष्ठभूमि

पत्रकार ने ट्वीट किया, “एक मुस्लिम ब्रदरहुड और हमास जिहादी इस्माइल रॉयर, जिसे डीओजे ने पाकिस्तान में आतंकी शिविर में प्रशिक्षण लेते पाया, उसे आज व्हाइट हाउस सलाहकार बोर्ड में नियुक्त किया गया है!” 2003 में, रॉयर पर अमेरिका के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश और अल-कायदा व लश्कर को सामग्री समर्थन देने के आरोप लगे। 2004 में, उन्होंने हथियारों और विस्फोटकों के इस्तेमाल में मदद के आरोप स्वीकार किए और 20 साल की सजा काटी, जिसमें से 13 साल बाद 2017 में रिहा हुए।

शेख हमजा यूसुफ का विवादास्पद इतिहास

हमजा यूसुफ कैलिफोर्निया के ज़ायतुना कॉलेज के सह-संस्थापक हैं, जो शरिया कानून सिखाता है। रिपोर्ट्स के अनुसार, यूसुफ ने जिहाद की वास्तविक परिभाषा को कमतर आंका और मुस्लिम ब्रदरहुड व हमास से संबंध रखे। लूमर ने बताया कि 9/11 से दो दिन पहले, यूसुफ ने जामिल अल-अमीन के लिए धन उगाही कार्यक्रम में भाग लिया, जो एक पुलिस अधिकारी की हत्या के लिए मुकदमे का सामना कर रहे थे। यूसुफ ने अमेरिका को नस्लवादी देश बताया और अल-अमीन के खिलाफ आरोपों को गलत ठहराया।

व्हाइट हाउस की चुप्पी

फिलहाल, व्हाइट हाउस ने इन नियुक्तियों पर उठे सवालों का जवाब नहीं दिया है। सलाहकार बोर्ड धार्मिक स्वतंत्रता आयोग के तहत काम करता है, जो ट्रंप प्रशासन को धार्मिक स्वतंत्रता और आस्था-आधारित नीतियों पर सलाह देता है।


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