
ड्रग्स फ्री देवभूमि मिशन” के तहत चंपावत, पिथौरागढ़ पुलिस और एसटीएफ ने नेपाल सीमा से सटे क्षेत्र गढ़ीगोठ पुल, पम्पापुर (टनकपुर) में एक महिला को 5 किलो 688 ग्राम एमडीएमए ड्रग्स के साथ पकड़।


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इसकी अंतर्राष्ट्रीय बाजार में अनुमानित कीमत 10.23 करोड़ रुपए से अधिक आंकी गई है।
मेथामफेटामाइन नाम की सिंथेटिक ड्रग
समाज में नशा जड़ जमाते जा रहा है। चरस, शराब, स्मैक के बाद अब सिंथेटिक तरीके का नशा भी पहुंचने लगा है। कभी नशे के विरुद्ध आंदोलन चलाने वाले उत्तराखंड में आए दिन नशे की खेप पकड़ी जाती रही है। शनिवार को बनबसा में मेथामफेटामाइन नाम की सिंथेटिक ड्रग पकड़ी गई है। इसे एमडी नाम से जाना जाता है। नशा तस्कर इसे कोकेन के सस्ते विकल्प के रूप में प्रसारित करते हैं।
आमतौर पर इसे महानगरों में पकड़ा जाता है। पुलिस सूत्रों के अनुसार एमडी को म्याऊ-म्याऊ, वाइट पाउडर, एम केट व एक्स्टसी नामों से जाना जाता है। बड़े शहरों व क्लबों में इसका उपयोग होता है। बड़े शहरों में इसकी काफी मांग है। पश्चिमी देशों में युवा इसका अधिक उपयोग करते हैं। भारत में क्लब में इसका चलन बढ़ रहा है। शुक्रवार को एमडी ड्रग्स की खेप के साथ पकड़ी गई ईशा का पति राहुल कुमार बनबसा में मोबाइल की दुकान चलता है। पुलिस के अनुसार उसका कुनाल से संपर्क है और लगातार मुंबई आना-जाना रहता है।
पिछले वर्ष पकड़े 82 अभियुक्त
चंपावत पुलिस ने 2024 में नशा तस्करी के 56 मामलों में 82 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया। वर्ष में 1.280 किलो स्मैक व 60.5 किलो चरस पकड़ी गई। इस वर्ष भी स्मैक व चरस की खेप पकड़ी जाती रही है। पहली बार एमडी ड्रग्स की खेप मिलने से पुलिस के लिए चुनौती बढ़ गई है।
टीम में ये रहे शामिल
एमडी ड्रग्स की खेप पकड़ने में सीओ वंदना वर्मा, एसओजी प्रभारी चंपावत लक्ष्मण जगवाण, पिथौरागढ़ प्रकाश पांडे, एसओ बनबसा एसएस कोरंगा, एसआइ सोनू सिंह, हेड कांस्टेबल संजय शर्मा, कांस्टेबल नासिर, उमेश राज, सूरज कुमार, कुलदीप सिंह, मदन सिंह, जगदीश कन्याल, कमल आदि शामिल रहे।
एमडी ड्रग्स के स्रोत के साथ ही नेपाल व नाइजीरिया से नेटवर्क की जांच कर रहे हैं। दोनों फरार आरोपितों की गिरफ्तारी के बाद मामले में कुछ अन्य के नाम भी सामने आ सकते हैं। पुलिस कार्रवाई जारी रखेगी। – अजय गणपति, एसपी, चंपावत

