हिंदू धर्म के मुताबिक पूजा एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है, जिसके जरिए भक्त और ईश्वर का जुड़ाव होता है. पूजा धार्मिक कर्तव्य होने के साथ साथ आत्मा की शुद्धि और मानसिक शांति के लिए भी बेहद जरूरी है.

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ऐसे में हिंदू धर्म में पूजा के कई प्रकार होते हैं, जिसका चुनाव व्यक्ति अपनी इच्छा, आस्था, समय और साधनों के अनुसार करता है.

संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट

हिंदू धर्म में पूजा कई प्रकार के होते हैं. इनमें नित्य पूजा, नैमित्तिक पूजा, काम्य पूजा, आत्म पूजा, यज्ञ और हवन पूजा आदि शामिल है. हिंदू धर्म में पूजा के इन सभी प्रकार का अपना महत्व है. आइए जानते हैं इसके बारे में.

नित्य पूजा क्या है?
जो पूजा रोजाना की जाती है, जिसमें स्नान करने के बाद धूप, दीप और भगवान को पुष्प अर्पण करना शामिल होता है, उसे नित्य पूजा कहते हैं. हिंदू धर्म को मानने वाले ज्यादातर लोग नित्य पूजा करते हैं. इसके लिए वे अपने घरों में देवी-देवताओं की मूर्ति या चित्रों का इस्तेमाल करते हैं.

नैमित्तिक पूजा क्या है?
नैमित्तिक पूजा उसे कहते हैं, जो पूजा किसी खास अवसरों या पर्व त्योहारों पर की जाती है. जन्माष्टमी, शिवरात्रि और दीपावली जैसे त्योहारों पर की जाने वाली पूजा नैमित्तिक पूजा कहलाती है.

काम्य पूजा किसे कहते हैं?
जब कोई व्यक्ति किसी खास उद्देश्य जैसे संतान प्राप्ति, लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए धन वृद्धि या विवाह के लिए पूजा करता है, उसे काम्य पूजा कहा जाता है. इस पूजा में व्रत, जप-तप जैसे धार्मिक अनुष्ठानों का पालन करना होता है.

आत्म पूजा क्या है?
आत्म पूजा से अभिप्राय मानसिक रूप से की जाने वाली पूजा, जिसमें व्यक्ति मन, मस्तिष्क और आत्मा से ईश्वर का ध्यान करता है. इसे खास उपवास के मौके पर किया जाता है.

यज्ञ या हवन पूजा क्या है?
यज्ञ या हवन पूजा का अर्थ जिस पूजा में अग्नि के माध्यम से देवी-देवताओं को आहुतियां दी जाती है. यह पूजा बेहद प्रभावशाली मानी जाती है. इसके साथ ही इसमे विशेष अनुष्ठान भी किए जाते हैं.

पंचोपचार या षोडशोपचार पूजा क्या है?
पंचोपचार पूजा में भगवान की पूजा 5 वस्तुओं से की जाती है. जिनमें गंध, पुष्प, दीप, धूप और नैवेद्य शामिल है. जबकि षोडशोपचार पूजा में 16 विधियों से भगवान की पूजा अर्चना की जाती है.

पूजा के विभिन्न प्रकारों से भगवान का अनुसरण किया जाता है. इन सभी पूजा का अपना महत्व और फल होता है.


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