पंचांग के अनुसार, हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नृसिंह जयंती मनाई जाती है. इस दिन पूरे मनोभाव से भगवान विष्णु (Lord Vishnu) के अवतार भगवान नृसिंह की पूजा की जाती है.

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नृसिंह भगवान का आधा शरीर मनुष्य का और आधा शरीर सिंह का है. दुराचारी राजा हिरण्यकश्यप का वध करने के लिए भगवान नृसिंह (Lord Narsimha) अवतरित हुए थे. पौराणिक कथाओं के अनुसार हिरण्यकश्यप को यह वरदान प्राप्त था कि उसे ना कोई मनुष्य मार सकता है और ना ही कोई पशु, इसीलिए भगवान विष्णु नरसिंह या नृसिंह अवतार लेकर हिरण्यकश्यप का वध कर सके. इस साल नृसिंह जयंती की चतुर्दशी तिथि की शुरूआत पिछले दिन 10 मई को हो गई थी और इस तिथि का समापन आज 11 मई रात 8 बजकर 1 मिनट पर हो जाएगा. इस चलते आज 11 मई, रविवार के दिन नृसिंह जयंती मनाई जा रही है. यहां जानिए क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त और किस तरह संपन्न की जा सकती है नृसिंह पूजा.

संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)

नृसिंह जयंती की पूजा का शुभ मुहूर्त | Narsimha Jayanti Puja Shubh Muhurt

नृसिंह जयंती का व्रत आज रखा जा रहा है और इस व्रत का पारण कल 12 मई की सुबह 5 बजकर 32 मिनट पर किया जा सकता है. पंचांग के अनुसार आज 11 मई के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 4 बजकर 21 मिनट से लेकर शाम 7 बजकर 3 मिनट तक रहेगा. इस समयावधि में भगवान नृसिंह की पूजा की जा सकती है.

नृसिंह जयंती की पूजा विधि

भगवान नृसिंह की पूजा (Narsimha Puja) शाम के समय की जाती है. ऐसे में पूजा के स्थान को अच्छी तरह साफ किया जाता है. इसके बाद चौकी पर भगवान नृसिंह की प्रतिमा रखी जाती है और फिर नरसिंह भगवान के समक्ष दीपक जलाते हैं, भगवान के मंत्रों का जाप किया जाता है और भोग लगाकर पूजा का समापन होता है.

इस दिन वस्त्र व अन्न का दान करना भी बेहद शुभ कहा जाता है. इसके अलावा, भगवान नृसिंह के मंदिर जाकर पूजा की जा सकती है. कहते हैं इससे कालसर्प दोष दूर होता है.

नृसिंह जयंती पर करें इन मंत्रों का जाप

नैवेद्यं शर्करां चापि भक्ष्यभोज्यसमन्वितम्। ददामि ते रमाकांत सर्वपापक्षयं कुरु।।

ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम्। नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्यु मृत्युं नमाम्यहम्॥

नृसिंह गायत्री मंत्र:

ॐ उग्रनृसिंहाय विद्महे, वज्रनखाय धीमहि। तन्नो नृसिंहः प्रचोदयात्।

नृसिंह कवच:

नारायणानन्त हरे नृसिंह प्रह्लादबाधा हरेः कृपालु:


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