श नि जयंती 2025: धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, शनिदेव का जन्म ज्येष्ठ माह की अमावस्या को हुआ था। इस वर्ष, यह तिथि मंगलवार 27 मई को आएगी, जिससे शनि जयंती मनाई जाएगी।

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इस दिन शनिदेव की विधिपूर्वक पूजा करने से जीवन में आने वाली बाधाएं समाप्त होती हैं और भाग्य का उदय होता है। इस बार शनि जयंती का दिन विशेष है क्योंकि यह हनुमान जी के दिन भी है, जिससे दोनों देवताओं की कृपा प्राप्त करने का अवसर मिलेगा।

संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)

दीप जलाने के शुभ स्थान

परंपरा और शास्त्रों के अनुसार, शनि जयंती की रात विशेष स्थानों पर दीप जलाना अत्यंत शुभ माना जाता है। इससे शनि दोष, साढ़ेसाती, आर्थिक संकट और मानसिक तनाव से राहत मिलती है। आइए जानते हैं उन विशेष स्थानों के बारे में जहां दीप जलाने से भाग्य में सुधार हो सकता है।

शनि मंदिर में दीपक जलाएं

शनि जयंती के दिन शनि मंदिर में जाकर सरसों के तेल का दीपक जलाएं। दीपक जलाते समय “ॐ शं शनैश्चराय नमः” का जाप करें। इससे शनिदेव प्रसन्न होते हैं और जीवन में स्थिरता आती है।

भैरव मंदिर को रोशन करें

शनि देव के सहयोगी माने जाने वाले भैरव बाबा की पूजा से शनि दोष शांत होता है। इस दिन रात को भैरव मंदिर में सरसों के तेल का दीपक जलाएं और भैरव अष्टक का पाठ करें।

पीपल वृक्ष की दीप पूजा

शनि जयंती की रात पीपल के वृक्ष के नीचे दीपक जलाना बहुत फलदायी होता है। दीप जलाकर शनि चालीसा या शनि स्तोत्र का पाठ करें। इससे शनि की ढैय्या या साढ़ेसाती से राहत मिलती है।

मुख्य द्वार को जगमगाना न भूलें

शाम के समय घर के मुख्य द्वार पर घी का दीपक जलाएं। ऐसा करने से मां लक्ष्मी का घर में प्रवेश होता है और दरिद्रता दूर होती है। यह दीपक उत्तर दिशा की ओर रखकर जलाना चाहिए।

सुंदरकांड का पाठ करें

चूंकि इस बार शनि जयंती मंगलवार को है, इसलिए हनुमान जी की विशेष पूजा करें। हनुमान जी के समक्ष चमेली के तेल का दीपक जलाएं और सुंदरकांड का पाठ करें। इससे शनि का प्रभाव कम होता है और संकट समाप्त होते हैं।

अन्य उपाय

  • शनि जयंती का दिन दान का विशेष अवसर होता है। इस दिन काला कपड़ा, काले तिल और लोहे के बर्तन का दान करें।
  • इस दिन कुष्ठ रोगियों को भोजन कराने और गरीबों को कंबल देने से लाभ होता है।
  • इस दिन तामसिक भोजन न करें, जैसे शराब, मांस आदि का सेवन न करें, साथ ही क्रोध से दूर रहें।
✧ धार्मिक और अध्यात्मिक

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