वैदिक पंचांग अनुसार, हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर करवा चौथ (Karwa Chauth Sargi 2025) व्रत किया जाता है। इस त्योहार को देशभर में बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है।

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इस व्रत को सुहागिन महिलाएं करती हैं और रात में चंद्र दर्शन करने के बाद व्रत का पारण करने का विधान है।

त्रिलोचन पनेरु कृष्णात्रेय रुद्रपुर उत्तराखंड।

धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस व्रत को करने से पति को लंबी आयु का वरदान प्राप्त होता है और वैवाहिक जीवन सदैव खुशहाल रहता है। साथ ही पति-पत्नी के रिश्ते में मधुरता आती है।

✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर ( उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी

इस व्रत की शुरुआत सरगी (Karwa Chauth Sargi 2025) में शामिल चीजों को खाने के बाद से होती है। इस परंपरा को सूर्योदय से पहले निभाया जाता है। इस दिन सरगी सास अपनी बहु को देती है। जिसमें फल, मिठाई और सुहाग की चीजों को शामिल किया जाता है।

सरगी का महत्व (Sargi Significance)

करवा चौथ के दिन सरगी में शामिल चीजों का सेवन ब्रह्म मुहूर्त में करने का विधान है। इसके बाद करवा चौथ का व्रत की शुरुआत होती है। सनातन धर्म में सरगी का विशेष महत्व है। सरगी में फल और मिठाई के अलावा शृंगार की सामग्री को भी शामिल किया जाता है।

करवा चौथ सरगी 2025 Time (Karwa Chauth Sargi Time 2025)

करवा चौथ के दिन ब्रह्म मुहूर्त 04 बजकर 40 मिनट से 05 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। ऐसे में ब्रह्म मुहूर्त के दौरान सरगी (karwa chauth 2022 Sargi Time) में शामिल चीजों का सेवन कर ससकते हैं।

करवा चौथ 2025 डेट और शुभ मुहूर्त (Karwa Chauth 2025 Date and Shubh Muhurat)

वैदिक पंचांग के अनुसार, इस बार करवा चौथ का पर्व 10 अक्टूबर (Karwa Chauth 2025 Kab Hai) को मनाया जाएगा।

कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत- 09 अक्टूबर को देर रात 10 बजकर 54 मिनट पर

कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का समापन- 10 अक्टूबर को शाम 07 बजकर 38 मिनट पर

इस दिन चंद्रोदय शाम को 07 बजकर 42 मिनट पर (karwa chauth 2025 chand kab niklega) होगा।

करवा चौथ के दिन इन बातों का रखें ध्यान

  • करवा चौथ व्रत के दौरान किसी के बारे में गलत न सोचें
  • किसी से वाद-विवाद न करें
  • घर और मंदिर की साफ-सफाई का ध्यान रखें।
  • काले रंग के कपड़े धारण न करें।
  • व्रत कथा का पाठ करें।
  • चंद्र दर्शन और अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण करें।

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