
शांतिपूरी उधम सिंह नगर,स्वतंत्रता दिवस केवल राष्ट्रीय ध्वज फहराने और परेड तक सीमित नहीं है, बल्कि यह दिन उन लोगों को भी समर्पित होता है, जिन्होंने समाज और राष्ट्र निर्माण में अपने-अपने स्तर पर असाधारण योगदान दिया है। इसी क्रम में रुद्रपुर के शान्तिपुरी स्थित राजकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की प्रभारी प्रधानाध्यापिका ब्रिजेश गुप्ता को वित्तीय वर्ष 2024-25 में विभागीय उत्कृष्ट कार्यों के लिए जिलाधिकारी नितिन भदौरिया द्वारा सम्मानित किया जाना, न केवल विद्यालय परिवार के लिए गर्व का क्षण है, बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए प्रेरणा का विषय भी है।
सम्मान की सार्थकता?आज के समय में जब सरकारी विद्यालयों पर प्रायः उपेक्षा और अव्यवस्था के आरोप लगते हैं, वहीं शान्तिपुरी का यह विद्यालय एक उज्ज्वल अपवाद बनकर सामने आया है। प्रधानाध्यापिका ब्रिजेश गुप्ता का यह सम्मान केवल व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह पूरी शिक्षा व्यवस्था को यह संदेश देता है कि ईमानदारी, समर्पण और नवीन प्रयासों से सरकारी विद्यालय भी उत्कृष्टता की मिसाल पेश कर सकते हैं।



समाज की भागीदारी?सम्मान समारोह के दौरान विद्यालय संरक्षक और राज्य आन्दोलनकारी डॉ. गणेश उपाध्याय ने जिस तरह से शिक्षिका और विद्यालय के प्रयासों की सराहना की, वह इस बात का प्रमाण है कि समाज और विद्यालय के बीच गहरा जुड़ाव शिक्षा की गुणवत्ता को कई गुना बढ़ा सकता है। डॉ. उपाध्याय जैसे लोग, जिन्होंने राज्य निर्माण की लड़ाई में अपनी भूमिका निभाई, जब शिक्षा के क्षेत्र में मार्गदर्शन देते हैं, तो उससे विद्यालयों को नई दिशा और छात्रों को आत्मविश्वास मिलता है।
✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर (उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी)

उपलब्धियों का विस्तार?विद्यालय की उपलब्धियां केवल कक्षा तक सीमित नहीं हैं।
दो छात्राओं का चयन हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड से कोटा के लिए होना इस बात का प्रमाण है कि यहां से निकलने वाली प्रतिभाएं राष्ट्रीय स्तर तक पहचान बना रही हैं।
एथलेटिक्स और जूडो जैसी खेल प्रतियोगिताओं में भागीदारी और सफलता यह बताती है कि विद्यालय केवल अकादमिक उपलब्धियों तक सीमित नहीं है, बल्कि समग्र शिक्षा की ओर अग्रसर है।
विज्ञान क्विज प्रतियोगिताओं में शानदार प्रदर्शन यह दर्शाता है कि यहां विज्ञान और तकनीकी शिक्षा को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है।
इन उपलब्धियों का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि ग्रामीण या अर्द्ध-शहरी पृष्ठभूमि से आने वाले बच्चों के पास अक्सर संसाधनों की कमी होती है। बावजूद इसके, यदि छात्राएं राष्ट्रीय और राज्य स्तर की प्रतियोगिताओं में भाग लेकर सफलता हासिल करती हैं, तो यह विद्यालय और शिक्षकों की कड़ी मेहनत का परिणाम है।
शिक्षा का बदलता चेहरा?यह घटना हमें यह सोचने पर विवश करती है कि यदि प्रत्येक सरकारी विद्यालय को प्रेरणादायी नेतृत्व और समाज का सहयोग मिल जाए, तो शिक्षा का स्तर कितना ऊँचा उठ सकता है। वर्तमान समय में शिक्षा सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं रह सकती। खेल, कला, विज्ञान और सामाजिक चेतना का सम्मिलित विकास ही बच्चों को भविष्य का जिम्मेदार नागरिक बनाएगा।
डॉ. गणेश उपाध्याय ने जो अपील की कि “शिक्षक भविष्य में भी इसी प्रकार छात्राओं को अवसर उपलब्ध कराते रहें”, वह केवल एक औपचारिक बयान नहीं है, बल्कि एक दीर्घकालिक लक्ष्य की ओर इशारा है। आज आवश्यकता है कि:
- सरकारी विद्यालयों को पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराए जाएं।
- समाजसेवी और राज्य आन्दोलनकारी विद्यालयों से जुड़कर बच्चों को प्रेरित करें।
- छात्राओं को विशेष रूप से खेल, विज्ञान और कौशल आधारित शिक्षा की ओर बढ़ावा दिया जाए।
- हर सम्मान और उपलब्धि को नए संकल्प में बदलकर शिक्षा का वातावरण और भी मजबूत किया जाए।
शान्तिपुरी कन्या विद्यालय का उदाहरण पूरे उत्तराखंड और देश के लिए यह संदेश है कि शिक्षा में बदलाव के लिए न ही केवल सरकारी योजनाएं पर्याप्त हैं और न ही केवल व्यक्तिगत प्रयास। इसके लिए शिक्षक, समाज, प्रशासन और अभिभावकों की सामूहिक जिम्मेदारी जरूरी है।
ब्रिजेश गुप्ता का सम्मान इस बात का प्रतीक है कि जब शिक्षक अपने कर्तव्य को मिशन की तरह निभाते हैं, तो सरकारी विद्यालय भी “मॉडल स्कूल” बन सकते हैं। यह सम्मान केवल एक अध्यापिका का नहीं, बल्कि उन हजारों छात्राओं का है, जो बड़े सपने देखने और उन्हें पूरा करने की राह पर अग्रसर हैं।

