रुद्रपुर, 7 अगस्त 2025।एक लंबे समय से ऊधमसिंह नगर जनपद, विशेषकर रुद्रपुर और आसपास के क्षेत्रों में अवैध कॉलोनियों की बेतरतीब बढ़त और भूमि की नियमविहीन खरीद-फरोख्त ने न केवल शहरी नियोजन के तानेबाने को छिन्न-भिन्न किया है, बल्कि सरकारी तंत्र में व्याप्त गहरी सांठगांठ और भ्रष्टाचार की परतें भी उजागर की हैं।


जिलाधिकारी नितिन सिंह भदौरिया द्वारा दिए गए निर्देशों के क्रम में अपर जिलाधिकारी कौस्तुभ मिश्र द्वारा रजिस्ट्रार कार्यालय खेड़ा का औचक निरीक्षण इस दिशा में एक प्रशंसनीय और साहसी कदम कहा जा सकता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जिन भी अवैध कॉलोनियों की रजिस्ट्री हुई है, उनकी गहन जांच होगी और दोषियों पर कठोर कार्रवाई तय है। उन्होंने यह भी कहा कि जो भूमि नियमों के विपरीत रजिस्ट्री कराई गई है, उसे सरकार में निहित किया जाएगा।
लेकिन प्रश्न यह उठता है कि वर्षों से ये अवैध कॉलोनियां अस्तित्व में कैसे आती रहीं? क्या केवल भूमाफिया ही इसके लिए ज़िम्मेदार हैं, या फिर सरकारी महकमे के कुछ “मूल्यवान” अधिकारी भी इस खेल में हिस्सेदार रहे हैं?
भ्रष्टाचार की जड़ में कौन?अवसरवाद, राजनीतिक संरक्षण और अधिकारियों की मिलीभगत – यही है इस भ्रष्टाचार के त्रिकोण की असली ताकत। सब रजिस्ट्रार कार्यालय, पटवारी, कानूनगो, तहसीलदार, नगर निगम के कुछ कर्मचारी, और भूमाफिया – इन सबकी साझेदारी से अवैध प्लॉटिंग, फर्जी नक्शे, नियमविरुद्ध रजिस्ट्री और बाद में विद्युत-पानी कनेक्शन की सुविधा तक, सब कुछ “सिस्टम” का हिस्सा बन चुका है।
यह कोई रहस्य नहीं कि रजिस्ट्री कार्यालयों में “रेट तय” होते हैं। बिना रिश्वत या “सुविधा शुल्क” के न तो रजिस्ट्री होती है, न ही रिकॉर्ड में बदलाव। एक सामान्य नागरिक को तो घंटों-घंटों लाइन में लगना पड़ता है, जबकि दलालों के माध्यम से काम मिनटों में होता है। यह असमानता ही भ्रष्टाचार की जड़ है।
भू-माफियाओं का उदय कैसे हुआ?हर बार जब शहर का मास्टर प्लान घोषित होता है, उससे पहले कुछ गिने-चुने लोगों को पहले ही उसकी जानकारी होती है। वे सस्ते में जमीनें खरीदते हैं, फिर मास्टर प्लान में बदलाव करवा लेते हैं। कॉलोनाइज़र, नेता और अधिकारी – इनका त्रिगुट इस पूरी व्यवस्था को चला रहा है। गरीब और मध्यमवर्गीय जनता जब मकान खरीदती है, तो बाद में पता चलता है कि उनकी कॉलोनी अवैध है। तब तक न तो पैसा वापस मिलता है, न ही न्याय।
अब उम्मीद की किरणअपर जिलाधिकारी कौस्तुभ मिश्र के निरीक्षण को यदि एक सामान्य प्रशासनिक औपचारिकता न मानकर एक सख्त कार्रवाई की शुरुआत के रूप में देखा जाए, तो यह पूरे जनपद में एक चेतावनी है – अब भ्रष्टाचार और अवैध कॉलोनियों को बख्शा नहीं जाएगा। सरकार की ओर से यह कदम न केवल नगरीय विकास को दिशा देगा, बल्कि जनता को यह भरोसा भी दिलाएगा कि प्रशासन उनके हितों के लिए जागरूक है।
क्या होना चाहिए आगे डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम लागू हो – हर रजिस्ट्री, भू-खंड, और कॉलोनी की स्थिति ऑनलाइन पारदर्शी रूप से उपलब्ध हो।
- सब रजिस्ट्रारों की जवाबदेही तय हो – जिन कॉलोनियों की रजिस्ट्री नियमविरुद्ध हुई है, वहां संबंधित अधिकारियों की संपत्ति की जांच हो।
- जन शिकायत पोर्टल सक्रिय हो – आम जनता अपने क्षेत्र की अवैध कॉलोनी या फर्जी रजिस्ट्री की सूचना दे सके।
- राजनीतिक हस्तक्षेप से मुक्ति मिले – किसी भी जांच को निष्पक्ष बनाए रखने के लिए राजनीतिक दबाव को रोका जाए।
✍️अवतार सिंह बिष्ट,हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी
रुद्रपुर सहित पूरे ऊधमसिंह नगर में अब समय आ गया है कि शहरी विकास को नियमों की परिधि में लाया जाए और भूमाफिया संस्कृति को जड़ से समाप्त किया जाए। भ्रष्टाचार के दलदल से निकलने के लिए प्रशासन का यह कदम सराहनीय है, बशर्ते यह कार्रवाई केवल एक-दो निरीक्षण तक सीमित न रह जाए, बल्कि एक दीर्घकालीन रणनीति के रूप में लागू हो।
जनता की नजरें अब शासन-प्रशासन पर टिकी हैं।
क्या यह अभियान महज ‘खबरों की शोभा’ बनकर रह जाएगा या वाकई सिस्टम को झकझोर देगा?
यह उत्तर आने वाले समय में खुद जनता देगी।
✍️ अवतार सिंह बिष्ट, विशेष संवाददाता –हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स रुद्रपुर

