
राजनायिक के परिचय पत्र प्रस्तुत करने का क्या मतलब है?


दरअसल, इस कार्यक्रम में तुर्की के राजदूत अली मूरत एर्सॉय (ali murat ersoy) को भारत के राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना परिचय प्रस्तुत करना था। जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार ने ये कार्यक्रम अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किया है। बता दें ये परिचय-पत्र एक औपचारिक दस्तावेज होता है जो किसी राजनयिक को किसी अन्य संप्रभु राज्य में राजदूत या उच्चायुक्त नियुक्त करता है। अब देखने ये होगा कि बिना परिचय प्रस्तुत पेश किए तुर्की के राजदूत इंडिया में कितने दिन रुक पाएंगे, क्या उन्हें वापस भेजा जाएगा?
संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)
राजदूत और उच्चायुक्त में क्या अंतर होता है
दुनिया के अलग-अलग देशों के बीच अच्छे संबंध बनाए रखने के लिए देशों के प्रतिनिधि नियुक्त किए जाते हैं। इन्हें आमतौर पर राजनयिक प्रतिनिधि कहा जाता है। इनमें से दो प्रमुख पद होते हैं राजदूत (Ambassador) और उच्चायुक्त (High Commissioner)। किसी भी देश के राजदूत और उच्चायुक्त दोनों ही राजनयिक होते हैं, लेकिन उनके कार्यक्षेत्र अलग-अलग होते हैं। राजदूत को गैर-राष्ट्रमंडल देशों में भेजा जाता है, जबकि उच्चायुक्त को राष्ट्रमंडल देशों के बीच नियुक्त किया जाता है। दोनों किसी दूसरे देश में अपने देश को रिप्रेजेंटेट करते हैं।
राजदूत होता है दूतावास का प्रमुख
राजदूत वह शीर्ष स्तर का राजनयिक होता है जिसे एक देश दूसरे गैर-कॉमनवेल्थ (Non-Commonwealth) देश में नियुक्त करता है। यह व्यक्ति अपने देश का पूर्ण प्रतिनिधित्व करता है और संबंधित देश की राजधानी में स्थित दूतावास (Embassy) का प्रमुख होता है।
उच्चायुक्त केवल उच्चायुक्तालय कार्यालय का प्रमुख होता है
उच्चायुक्त वह राजनयिक होता है जिसे एक कॉमनवेल्थ (Commonwealth) देश दूसरे कॉमनवेल्थ देश में नियुक्त करता है। यह भी अपने देश का शीर्ष प्रतिनिधि होता है, लेकिन वह उच्चायुक्तालय (High Commission) नामक कार्यालय का प्रमुख होता है।
राजदूत और उच्चायुक्त की क्या होती हैं जिम्मेदारियां
चाहे वह राजदूत हो या उच्चायुक्त, दोनों का मुख्य उद्देश्य अपने देश और मेजबान देश के बीच बेहतर संबंध बनाए रखना होता है। इसमें राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और सुरक्षा से जुड़े मामलों का समन्वय शामिल होता है। यहां बता दें कि भारत का अमेरिका में जो प्रमुख प्रतिनिधि है, वह राजदूत कहलाता है, जबकि भारत का श्रीलंका या कनाडा में जो प्रमुख प्रतिनिधि होता है, वह उच्चायुक्त कहलाता है। सिर्फ इसलिए क्योंकि अमेरिका कॉमनवेल्थ का हिस्सा नहीं है और श्रीलंका व कनाडा हैं। राजदूत और उच्चायुक्त दोनों ही देशों के शीर्ष राजनयिक होते हैं, और इनकी शक्तियां और भूमिका लगभग समान होती हैं। दोनों में अंतर केवल ऐतिहासिक और संगठनात्मक कारणों से नाम और तैनाती के देशों के आधार पर होता है।
कॉमनवेल्थ देश कौन से होते हैं?
कॉमनवेल्थ ऑफ नेशंस (Commonwealth of Nations) एक स्वैच्छिक संगठन है जिसमें मुख्यतः वे देश शामिल हैं जो कभी ब्रिटिश साम्राज्य का हिस्सा थे। भारत, पाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, बांग्लादेश, श्रीलंका, दक्षिण अफ्रीका आदि इसके सदस्य हैं।
गैर-कॉमनवेल्थ देश क्या होता है?
गैर-कॉमनवेल्थ देश वह देश होता है जो कॉमनवेल्थ ऑफ नेशंस (Commonwealth of Nations) का सदस्य नहीं है। जैसे अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस, जर्मनी, जापान ब्राजील, सऊदी अरब, इटली और नेपाल आदि। बता दें ये सभी देश कभी ब्रिटिश साम्राज्य का हिस्सा नहीं रहे हैं।
