प हलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव इस कदर बढ़ गया कि दुनिया भर की बड़ी ताकतें चिंतित हो उठीं. खासतौर पर भारतीय ऑपरेशन ‘सिंदूर’ के बाद दोनों देशों के बीच युद्ध की आहट साफ सुनाई देने लगी थी.

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अमेरिका, जो पहले खुद को इस टकराव से अलग रखने की बात कर रहा था, बाद में युद्ध रोकने के लिए बीच-बचाव करने पर मजबूर हो गया.

संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)

अमेरिकी उप-राष्ट्रपति जेडी वेंस ने शुरुआत में दो टूक कह दिया था कि ये हमारी लड़ाई नहीं है, इससे हमें मतलब नहीं है. लेकिन भारत द्वारा पाकिस्तान के प्रमुख सैन्य ठिकानों पर किए गए हमलों के बाद वॉशिंगटन डीसी में हलचल मच गई. विशेषकर नूर खान एयरबेस पर हुए मिसाइल हमले ने अमेरिका को तत्काल एक्शन लेने पर मजबूर कर दिया.

नूर खान एयरबेस पर हमला

भारत ने शुक्रवार और शनिवार की दरम्यानी रात पाकिस्तान के चार प्रमुख एयरबेस और अन्य सैन्य केंद्रों पर शक्तिशाली हमले किए. इन हमलों में सबसे विनाशकारी हमला नूर खान एयरबेस पर हुआ, जिसने पाकिस्तान की सैन्य और राजनीतिक मशीनरी को हिलाकर रख दिया. न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, इस हमले से पाकिस्तान को ऐसा लगा मानो भारत उसके परमाणु कमान प्राधिकरण (Nuclear Command Authority) को निष्क्रिय करने की तैयारी में है.

एक पूर्व अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि पाकिस्तान का सबसे बड़ा डर उसके परमाणु कमान के सिर को काटे जाने को लेकर था. आगे ये भी कहा कि नूर खान पर मिसाइल हमले को एक सीधी चेतावनी की तरह देखा जाना चाहिए कि भारत ऐसा कर सकता है.

न्यूक्लियर नेटवर्क के बेहद पास था टारगेट

नूर खान एयरबेस रावलपिंडी में स्थित है, जो पाकिस्तान की सैन्य गतिविधियों का गढ़ माना जाता है. इस एयरबेस के बेहद करीब ही स्ट्रैटजिक प्लान्स डिविजन (SPD) का मुख्यालय है, जहां से पाकिस्तान के 170 से ज्यादा परमाणु हथियारों की निगरानी, सुरक्षा और संचालन किया जाता है. अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार, इस हमले ने पाकिस्तान को ये अंदेशा दे दिया कि भारत अगला हमला न्यूक्लियर कमांड सेंटर पर कर सकता है.

अमेरिका में क्यों मचा हड़कंप?

नूर खान एयरबेस पर विस्फोट के कुछ ही समय बाद पाकिस्तान ने अमेरिका को आपात कॉल किया. रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका को कुछ खतरनाक जासूसी जानकारियां मिली थी, जिसके बाद उप-राष्ट्रपति जेडी वेंस और विदेश मंत्री मार्को रूबियो को फौरन सक्रिय होना पड़ा. जेडी वेंस ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कॉल किया, जिसके बाद भारत सीजफायर के लिए सहमत हुआ.

ड्रोन हमलों से बढ़ी अशांति

इसी बीच, पाकिस्तान ने भारत की हवाई सुरक्षा की जांच के लिए करीब 400 ड्रोन भारतीय क्षेत्र में भेजे, जिससे तनाव और गहरा गया. अमेरिकी अधिकारियों ने बताया कि नूर खान एयरबेस पाकिस्तान की सैन्य लॉजिस्टिक्स और फ्यूलिंग का एक महत्वपूर्ण केंद्र है, जहां से उसके लड़ाकू विमानों में ईंधन भरा जाता है. इस केंद्र के नष्ट होने की स्थिति में पाकिस्तान की हवाई युद्ध क्षमता पर गंभीर प्रभाव पड़ता.

‘डिकैपिटेशन स्ट्राइक’ की ओर इशारा?

अमेरिकी विशेषज्ञों का मानना है कि भारत का ये हमला सिर्फ एक सामरिक कार्रवाई नहीं बल्कि एक ‘डिकैपिटेशन स्ट्राइक’ का संकेत था- यानी दुश्मन की निर्णय लेने और प्रतिक्रिया देने की क्षमता को प्रारंभिक हमले में ही खत्म कर देना. एक पूर्व अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि भारत शायद पाकिस्तान को परमाणु हमला करने की स्थिति में ही ना पहुंचने देना चाहता था या फिर उसके असर को नगण्य कर देना चाहता था.

📰 ऑपरेशन सिंदूर

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