
छले एक दशक में भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी स्थिति मजबूत की है और रणनीतिक रूप से कई देशों के साथ साझेदारी भी गहरी की है। आइए जानें कि कौन-से देश भारत के साथ खड़े हो सकते हैं, कौन पाकिस्तान का समर्थन करेंगे, और कौन रहेंगे तटस्थ।


संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह
अमेरिका का बदलता मिजाज
भारत और अमेरिका के संबंध बीते वर्षों में काफी प्रगाढ़ हुए हैं, खासकर QUAD (क्वाड) गठबंधन के माध्यम से। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारत को अमेरिका एक अहम साझेदार मानता है। पहलगाम हमले के बाद अमेरिका ने भारत के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होने का संदेश दिया था। संभावित युद्ध की स्थिति में अमेरिका भारत को कूटनीतिक समर्थन, खुफिया जानकारी और रक्षा उपकरण दे सकता है, हालांकि प्रत्यक्ष सैन्य हस्तक्षेप की संभावना कम है। बीते दिनों जब अमेरिका ने सीजफायर का क्रेडिट लेते हुए पाक के साथ व्यापारिक समझौता किया तो ये बात भारत को कम पसंद आई है। भारत ने सीजफायर पर स्पष्टीकरण देते हुए ट्रंप की इस बात खारिज कर दिया।
रूस हर तरह से तैयार
भारत और रूस के बीच पारंपरिक रणनीतिक संबंध हैं। S-400 मिसाइल सिस्टम और सुखोई-30 जैसे हथियारों की आपूर्ति इसी रिश्ते का उदाहरण हैं। 1971 के युद्ध में रूस भारत के साथ खड़ा था और वर्तमान में भी वह संयुक्त राष्ट्र और रक्षा आपूर्ति के मोर्चे पर भारत को समर्थन दे सकता है।
फ्रांस ने दिया राफेल
फ्रांस भारत का अहम रक्षा सहयोगी है। राफेल डील हो या रणनीतिक साझेदारी, दोनों देशों के बीच सहयोग गहरा रहा है। युद्ध की स्थिति में फ्रांस से भारत को हथियारों की आपूर्ति और कूटनीतिक समर्थन मिलने की संभावना है।
इजरायल पुराना साथी
भारत-इजरायल संबंध रक्षा और तकनीकी क्षेत्र में मजबूत हुए हैं। कारगिल युद्ध के दौरान इजरायल ने भारत को ड्रोन और नाइट विजन उपकरण दिए थे। मौजूदा हालात में भी इजरायल भारत को तकनीकी सहायता, सैन्य उपकरण और खुफिया इनपुट मुहैया करा सकता है।
जापान और ऑस्ट्रेलिया
क्वाड के अन्य सदस्य जापान और ऑस्ट्रेलिया भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी में शामिल हैं। ये देश प्रत्यक्ष युद्ध में शामिल भले न हों, लेकिन कूटनीतिक समर्थन और आर्थिक मदद की संभावना प्रबल है।
सऊदी अरब और यूएई
इन इस्लामिक देशों के भारत के साथ आर्थिक और आतंकवाद विरोधी सहयोग मजबूत हुए हैं। हालांकि पाकिस्तान के साथ इनके संबंध ऐतिहासिक रहे हैं, लेकिन हाल के वर्षों में बदलाव देखा गया है। युद्ध की स्थिति में ये देश भारत को कूटनीतिक समर्थन दे सकते हैं, लेकिन शायद दोनों पक्षों के बीच संतुलन बनाए रखने की कोशिश करें। हालांकि यूएई ने पाकिस्तान को आर्थिक मदद देने की बात कही है।
पाकिस्तान को मिल सकता है इन देशों का साथ
चीन
चीन पाकिस्तान का सबसे करीबी रणनीतिक सहयोगी है। चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर (CPEC) और हालिया रक्षा उपकरणों की आपूर्ति इस साझेदारी की मिसाल हैं। युद्ध में चीन पाकिस्तान को ड्रोन, मिसाइल, खुफिया मदद दे सकता है, लेकिन भारत के साथ इसके मजबूत व्यापारिक रिश्तों (2023 में $136.2 अरब) को देखते हुए सीमित हस्तक्षेप की संभावना है।
तुर्की
तुर्की और पाकिस्तान के बीच हाल के वर्षों में सैन्य रिश्ते मजबूत हुए हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक तुर्की ने पाकिस्तान को युद्ध सामग्री भी भेजी है। युद्ध की स्थिति में तुर्की पाकिस्तान को कूटनीतिक और रक्षा समर्थन दे सकता है।
इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC)
OIC में पाकिस्तान की सक्रिय भूमिका रही है। मलेशिया, ईरान जैसे कुछ सदस्य देश राजनीतिक तौर पर पाकिस्तान के पक्ष में खड़े हो सकते हैं, लेकिन भारत के साथ उनके आर्थिक हित उन्हें युद्ध में तटस्थ रहने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।
अफगानिस्तान
भारत ने अफगानिस्तान में बुनियादी ढांचे और शिक्षा के क्षेत्र में भारी निवेश किया था। पहले वह भारत समर्थक दिखा, लेकिन हाल के बीजिंग त्रिपक्षीय समझौते के बाद उसका झुकाव पाकिस्तान की ओर हो गया है।
ये देश हैं तटस्थ
उत्तर कोरिया
पाकिस्तान के साथ कभी तकनीकी सहयोग रहा है, लेकिन वर्तमान में दोनों के रिश्ते ठंडे हैं। उत्तर कोरिया की भारत के साथ भी दूरी बनी रहती है, ऐसे में युद्ध की स्थिति में वह तटस्थ रह सकता है।
बांग्लादेश
1971 में भारत की मदद से स्वतंत्र होने के बावजूद, हाल के वर्षों में राजनीतिक दृष्टिकोण में अस्पष्टता देखी गई है। हालांकि, पाकिस्तान को खुला समर्थन देने की संभावना कम है।
भारत को अमेरिका, रूस, फ्रांस, इजरायल, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों का संभावित समर्थन मिल सकता है, जबकि पाकिस्तान के पक्ष में चीन और तुर्की जैसे सीमित सहयोगी होंगे। कुछ इस्लामिक देश कूटनीतिक संतुलन बनाए रख सकते हैं। हालांकि वैश्विक समुदाय की प्राथमिकता यही होगी कि टकराव से बचा जाए और कूटनीति के जरिये तनाव खत्म किया जाए।
