
उन्होंने भारत और वैश्विक समुदाय से बलूचिस्तान की आजादी हेतु समर्थन देने की मांग की है. मीर ने कहा है कि बलूचिस्तान के लोगों ने अपना फैसला सुना दिया है, इसलिए दुनिया को चुप नहीं रहना चाहिए. यह हमारा राष्ट्रीय निर्णय है कि हम अब पाकिस्तान का हिस्सा नहीं रहेंगे.


संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)
बलूच नेता ने भारतीय नागरिकों से आग्रह किया है कि सोशल मीडिया पर सक्रिय लोग और बुद्धिजीवी बलूचों को ‘पाकिस्तान के अपने लोग’ कहने से परहेज करें. क्योंकि अब हम पाकिस्तानी नहीं बलूचिस्तानी हैं. बलूचियों ने संयुक्त राष्ट्र से भी स्वतंत्र देश मान लेने का आग्रह किया है. पाक का बड़ा भू-भाग बलूचिस्तान प्रांत में लंबे समय से स्वतंत्रता की जो लड़ाई लड़ रहा था, वह सफलता के शिखर पर है.
बलूचिस्तान को नए देश के रूप में मान्यता मिल जाती है तो 1971 के बाद पाकिस्तान की भूमि पर दूसरा बड़ा विभाजन दिखाई देगा. प्रसिद्ध लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता मीर यार बलूच को बलूच के लोगों के अधिकारों की वकालत के लिए जाने जाते हैं. बलूचों ने संयुक्त राष्ट्र से बलूचिस्तान में शांति रक्षक बल भेजने और पाक सेना को बलूच सीमा क्षेत्र से बाहर कर देने का आग्रह भी किया है.
भारत ने तो ऑपरेशन सिंदूर के अंतर्गत पाक और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में मौजूद केवल आतंकी ठिकानों पर लक्ष्य साधकर उन्हें नष्ट किया. परंतु किसी सैन्य ढांचे को निशाना नहीं बनाया. किंतु मीरयार बलूच ने दावा किया है कि बलूच स्वतंत्रता सेनानियों ने डेरा बुगती में पाक के 100 गैस कुओं पर हमला किया. पाक सेना को बंकरों से खदेड़ दिया.
बलूचिस्तान में विद्रोह की आग चरम पर है. बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी आजादी की मांग करने वाला सबसे पुराना सशस्त्र अलगाववादी संगठन है. यह संगठन पहली बार 1970 में अस्तित्व में आया था. इसने जुल्फिकार अली भुट्टो के कार्यकाल में बलूचिस्तान प्रांत में सशस्त्र विद्रोह का शंखनाद कर किया था.
कालांतर में सैनिक तानाशाह जियाउल हक द्वारा सत्ता हथियाने के बाद बलूच नेताओं के साथ बातचीत हुई, जिसके परिणामस्वरूप संघर्ष विराम की स्थिति बन गई थी. नतीजतन बलूचिस्तान में सशस्त्र विद्रोह खत्म हो गया था और बीएलए का भी कोई वजूद नहीं रह गया था. किंतु कारगिल युद्ध के बाद सैन्य तानाशाह जनरल परवेज मुशर्रफ ने नवाज शरीफ का तख्तापलट कर सत्ता हथिया ली.
इसके बाद मुशर्रफ के संकेत पर साल 2000 में बलूचिस्तान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश नवाबमिरी की हत्या कर दी गई और मुशर्रफ ने कुटिल चतुराई बरतते हुए पाक सेना से इस मामले में आरोपी के रूप में बलूच नेता खेरबक्ष मिरी को गिरफ्तार करा दिया. इसके बाद फिनिक्स पक्षी की तरह बीएलए फिर उठ खड़ा हुआ. इसके बाद से ही जगह-जगह हमले शुरू हो गए.
