जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद उपराष्ट्रपति पद के लिए कई नामों पर चर्चा चल रही है। एनडीए गठबंधन ने उपराष्ट्रपति कैंडिडेट के चुनाव के लिए पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा को जिम्मेदारी सौंपी है।

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इस मीटिंग का सीधा संदेश था कि सहयोगी दल पीएम मोदी और बीजेपी पर भरोसा कर रहे हैं।✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर (उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी)

इस मीटिंग से कई निष्कर्ष निकाले जा रहे है। सबसे मुख्य तो यह है कि जेपी नड्डा नौ सितंबर तक बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने रहेंगे। उपराष्ट्रपति की तारीख तक उन्हें हटाया जाना काफी मुश्किल नजर आ रहा है। जेपी नड्डा जनवरी 2020 से अध्यक्ष हैं, उनका कार्यकाल जून 2024 तक खत्म होना था लेकिन अब काफी समय बीत चुका है। बीजेपी द्वारा नए राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव नहीं किया गया है। हालांकि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ इस मामले में अलग राय रखता है।

RSS-BJP के बीच रुकी बातचीत
आरएसएस नए बीजेपी अध्यक्ष के चुनाव को लेकर अलग नजरिया है। यही कारण है कि बीजेपी और आरएसएस के बीच काफी लंबे समय से बातचीत रुकी हुई है। 12 जनवरी 2025 को दोनों के बीच पहली बार बातचीत हुई थी, जिसमें मनोहर लाल खट्टर के नाम पर चर्चा हुई। लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। दिल्ली विधानसभा चुनाव के वक्त भी दोनों के बीच बातचीत शुरू हुई लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।

द ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के अनुसार, आरएसएस शिवराज सिंह चौहान को अगला बीजेपी अध्यक्ष बनाना चाहता है लेकिन कहीं न कहीं मामला अटक रहा है। भूपेंद्र यादव और धर्मेंद्र प्रधान के नाम भी चर्चा की गई। आरएसएस के जोर देने पर बीजेपी ने फिर से जुलाई में चुनाव के लिए प्रक्रिया शुरू की। अब पार्टी यूपी, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक और दिल्ली में नए अध्यक्ष के चुनाव में देरी का कारण बता रही है। जबकि केंद्रीय नेतृत्व के पास नड्डा को बदलने का सीधा अधिकार है। बीजेपी अध्यक्ष के चुनाव में देरी को लेकर नरेंद्र मोदी और मोहन भागवत के बीच खटास की चर्चा है।

बीजेपी के पाले में गेंद
आरएसएस के एक सूत्र ने बताया की संघ ने बीजेपी को एक अध्यक्ष के गुणों के बारे में जानकारी दी है। कि संघ संगठनात्मक निष्ठा को व्यक्तिगत निष्ठा से ऊपर रखता है। अब आरएसएस ने नए अध्यक्ष के चुनाव को लेकर गेंद बीजेपी के पाले में डाल दी है। सूत्रों का यह भी कहना है कि संघ मोदी के फैसले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहता है।

वहीं अन्य सूत्रों का कहना है कि भागवत और मोदी के बीच संबंध काफी अच्छे हैं। 2013 में मोहन भागवत ने ही मोदी को पीएम पद का उम्मीदवार बनाया था। मोदी ने मधुकरराव भागवत को अपना गुरु बताया था।

75 की उम्र में रिटायर पर भागवत का बयान
हाल में ही मोहन भागवत ने 75 साल की उम्र में रिटायर होने की बात कही थी। वहीं कुछ लोगों का कहना है कि यह टिप्पणी मोदी के लिए नहीं थी। कई सालों पहले तत्कालीन आरएसएस चीफ केएस सुदर्शन ने अटल बिहारी वाजपेयी को रिटायर होने की सलाह दी थी। लेकिन वाजपेयी ने उन्हें जवाब देते हुए कहा था कि मैं न तो थका हूं, न ही रिटायर हुआ हूं। उस समय भी आरएसएस चीफ की बात को निजी माना गया और वाजपेयी पार्टी में बने रहे।


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