रुद्रपुर इंदिरा चौक मजार विवाद के बाद विधायक शिव अरोड़ा को मिली धमकियों से मचा हड़कंप, हिंदू संगठनों का SSP ऑफिस पर प्रदर्शन, सुरक्षा बढ़ाने की मांग

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रुद्रपुर, 27 अप्रैल 2025।इंदिरा चौक पर स्थित एक पुराने मजार को जिला प्रशासन द्वारा हटाए जाने के बाद रुद्रपुर के विधायक शिव अरोड़ा को सोशल मीडिया पर धमकियां और अभद्र गालियां मिलने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। हिंदूवादी संगठनों के साथ भारतीय जनता पार्टी के कई नेता शनिवार को एसएसपी ऑफिस पहुंचे और एसपी क्राइम निहारिका तोमर को ज्ञापन सौंपकर आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। साथ ही विधायक शिव अरोड़ा की सुरक्षा बढ़ाने की भी मांग की गई है।

शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)संवाददाता

इंदिरा चौक मजार तोड़ने की पूरी पृष्ठभूमि रुद्रपुर के प्रमुख व्यावसायिक क्षेत्र इंदिरा चौक पर स्थित एक मजार को हाल ही में जिला प्रशासन ने बुलडोजर की मदद से हटाया था। प्रशासन का कहना था कि यह मजार सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे के तहत बनी थी और नेशनल हाईवे चौड़ीकरण परियोजना में बाधा बन रही थी। मजार हटाने की कार्रवाई के दौरान भारी पुलिस बल तैनात किया गया था ताकि कोई अप्रिय स्थिति उत्पन्न न हो।कार्यवाही के बाद विधायक शिव अरोड़ा ने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में सरकारी भूमि पर अतिक्रमण के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस नीति अपनाई गई है। उन्होंने कहा था, “सरकारी ज़मीन पर अवैध कब्जा किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मजार को हटाना इसी नीति का हिस्सा था।”

सोशल मीडिया पर धमकियों और गाली-गलौच का सिलसिलामजार तोड़ने के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स — फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप ग्रुप्स — पर विधायक शिव अरोड़ा के खिलाफ उग्र प्रतिक्रियाएं आने लगीं। कुछ आपत्तिजनक पोस्ट्स में उन्हें जान से मारने की धमकी दी गई, तो कुछ में उनके खिलाफ गंदी गालियां और धार्मिक विद्वेष फैलाने वाले कमेंट्स डाले गए।

इन धमकियों में कुछ उदाहरण इस प्रकार सामने आए हैं:”देख लेंगे तेरी औकात…””अंजाम भुगतना पड़ेगा…”जहाँ मिलेगा, वहीं सबक सिखाएंगे..मजार तोड़ी है, अब तेरा नंबर है.कुछ पोस्ट्स में शिव अरोड़ा को निशाना बनाते हुए उनके परिवार तक को धमकाने के संकेत दिए गए हैं। सुरक्षा एजेंसियां इन मैसेजों का फॉरेंसिक एनालिसिस कर रही हैं।

हिंदूवादी संगठनों और भाजपा नेताओं का ज्ञापनइस घटनाक्रम से नाराज होकर रुद्रपुर में विहिप, बजरंग दल, हिन्दू जागरण मंच, भाजपा युवा मोर्चा समेत कई संगठनों ने एकजुट होकर एसपी क्राइम निहारिका तोमर को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में स्पष्ट तौर पर मांग की गई कि:सोशल मीडिया पर धमकी देने वालों की पहचान कर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाए।विधायक शिव अरोड़ा की सुरक्षा बढ़ाई जाए, सोशल मीडिया मॉनिटरिंग टीम को सक्रिय कर संदिग्धों पर नजर रखी जाए।ज्ञापन देने वालों में भाजपा के कई स्थानीय नेता, नगर निगम पार्षद, हिंदू संगठनों के पदाधिकारी और सैकड़ों कार्यकर्ता शामिल रहे।

इससे पहले उत्तराखंड में किस-किस विधायक को धमकियां मिलीं

उत्तराखंड के इतिहास में यह कोई पहली घटना नहीं है जब किसी विधायक को सार्वजनिक कार्यवाही के बाद धमकियां मिली हों। पूर्व में भी कई उदाहरण मिलते हैं:वर्ष 2017 में हरिद्वार ग्रामीण विधायक स्वामी यतीश्वरानंद को धर्मांतरण विरोधी बयान के बाद जान से मारने की धमकियां मिली थीं।2021 में लक्सर विधायक संजय गुप्ता को भू-माफियाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करने पर धमकी मिली थी।2019 में रामनगर विधायक दीवान सिंह बिष्ट को अवैध खनन के विरोध में धमकी मिली थी।इन मामलों में कई बार आरोपियों को गिरफ्तार किया गया, कुछ मामलों में पुलिस ने तत्काल प्रभावी कार्रवाई करते हुए संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 506 (आपराधिक धमकी), 504 (शांति भंग करने की कोशिश), और आईटी एक्ट के तहत मामले दर्ज किए थे।

पूर्व सरकारों की सुरक्षा नीति और Z प्लस सुरक्षा का इतिहास

उत्तराखंड में VIP सुरक्षा के नियम केंद्र और राज्य सरकार की गाइडलाइंस पर आधारित हैं। पूर्व में निम्नलिखित मामलों में सुरक्षा दी गई थी:हरक सिंह रावत को मंत्री रहते Z श्रेणी की सुरक्षा मिली थी।त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनने के बाद विशेष कमांडो दस्ते की सुरक्षा प्रदान की गई थी।हरीश रावत को मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए SPG जैसी विशेष सुरक्षा मिली थी।कुछ स्थानीय विधायकों को Y श्रेणी की अस्थायी सुरक्षा मिली थी जब उन्हें गंभीर खतरा था।यदि धमकी का स्तर बहुत गंभीर हो और खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट से इसकी पुष्टि हो जाए, तो विधायक को Z श्रेणी या Y प्लस श्रेणी की सुरक्षा तत्काल मुहैया कराई जा सकती है।

अब तक की पुलिस कार्रवाई और संभावित कदम

अब तक पुलिस ने:विधायक को मिली धमकियों के स्क्रीनशॉट और मैसेज को संकलित कर लिया है।संदिग्ध अकाउंट्स की जांच के लिए साइबर क्राइम सेल को लगाया है।रुद्रपुर और आसपास के इलाकों में सोशल मीडिया पर निगरानी बढ़ा दी है।विधायक की मौजूदा सुरक्षा का रिव्यू शुरू कर दिया गया है।
संभावना है कि आने वाले दिनों में विधायक शिव अरोड़ा को अतिरिक्त पुलिसकर्मी और विशेष वाहन सुरक्षा प्रदान किया जाएगा।
रुद्रपुर में पैदा हुआ यह विवाद न केवल स्थानीय स्तर पर संवेदनशीलता बढ़ा रहा है, बल्कि पूरे उत्तराखंड के लिए एक चेतावनी भी है। विधायकों, जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों को यदि कानून के पालन के दौरान इस तरह की धमकियों का सामना करना पड़ेगा तो यह राज्य के कानून-व्यवस्था तंत्र के लिए चिंता का विषय है। आवश्यकता इस बात की है कि सरकार और पुलिस समय रहते कड़ा संदेश दे — कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में हिंसा और धमकी के लिए कोई जगह नहीं है।



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