नेपाल में सोशल मीडिया बैन के बाद भड़के Gen-Z आंदोलन (Gen-Z Protest) में मौत का आंकड़ा बढ़कर 19 हो गया है। हिमालयन टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, मरने वालों में 16 काठमांडू और दो इटाहारी के थे।

Spread the love

वहीं प्रदर्शन में 200 से ज्यादा लोग घायल भी हुए हैं। घायलों में प्रदर्शनकारी, सुरक्षाकर्मी और पत्रकार शामिल हैं।

✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर ( उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नेपाल में इस वक्त राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। प्रधानमंत्री आवास पर आपातकालीन कैबिनेट मीटिंग बुलाई गई है और इसमें नेपाल के गृहमंत्री रमेश लेखक ने नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देने की घोषणा की है। उधर छात्र सड़कों से हटने को तैयार नहीं हैं।

नेपाल में सेना को उतारा गया

दरअसल नेपाल में सरकार द्वारा सोशल मीडिया कंपनियों के एक हफ्ते के भीतर नियमों के तहत रजिस्टर करने का अल्टीमेटम दिया था। डेडलाइन पूरी होने के बाद भी मेटा, गूगल समेत दर्जनभर प्लेटफॉर्म्स ने रजिस्ट्रेशन नहीं कराया गया था। इसके बाद ओली सरकार ने कार्रवाई करते हुए इन प्लेटफॉर्म्स को बैन करने का फैसला किया था।

सरकार के इसी फैसले के विरोध में नेपाल के युवा सड़कों पर उतर आए। पहले सुरक्षाबलों ने लाठीचार्ज, आंसू गैस के गोले और रबर बुलेट से भीड़ को नियंत्रित करने की कोशिश की, लेकिन स्थिति बिगड़ने के बाद सेना को उतारना पड़ा। नेपाल के कई शहरों में कर्फ्यू (Nepal Curfew) लगा दिया गया है। वहीं घायल हुए लोगों के लिए मुफ्त इलाज की घोषणा की गई है।

भारत से सटी नेपाल की सीमा पर चौकसी बढ़ा दी गई है। नेपाल में सभी परीक्षाएं भी स्थगित कर दी गई हैं। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि सुरक्षाबल उन पर गोलियां चला रहे हैं। वहीं ट्रॉमा सेंटर और सिविल अस्पतालों में भी झड़प की खबरें हैं।

इन सब के बावजूद भी प्रदर्शनकारी पीछे हटने को तैयार नहीं हैं. अब वे प्रधानमंत्री केपी ओली के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं.

काठमांडू की सड़कों पर उतरे लोगों में खासा गुस्सा देखा जा रहा है. उनका कहना है कि विरोध प्रदर्शन रुकने वाला नहीं है. अब ये प्रदर्शन सोशल मीडिया के खिलाफ नहीं बल्कि भ्रष्टाचार के खिलाफ है. यही नहीं, विरोध प्रदर्शन के दौरान बच्चों को स्कूल की ड्रेस में माथे पर गोली मारी गई है. जिन बच्चों की मौत हुई है उनके माता-पिता का क्या हाल होगा, ये सरकार ने सोचा है क्या.

आक्रोशित लोगों का कहना है कि बच्चों के माथे पर गोली मारी गई है. ये सभी बच्चे 18 से 19 साल के हैं. अब हमारी मांग है कि इस सरकार को गिराया जाए और नई सरकार का गठन किया जाए. हम प्रधानमंत्री का इस्तीफा चाहते हैं. अब ये सरकार नहीं चाहिए. जब तक सरकार नहीं हटती है तब तक आंदोलन जारी रहेगा. वहीं, लोग सड़कों से हटने को तैयार नहीं हैं. प्रदर्शन को रोकने के लिए भारी संख्या में काठमांडू की सड़कों पर सुरक्षाबलों की तैनाती की गई है.

21 लोगों की हुई है मौत

बीते दिन सोशल मीडिया पर बैन से गुस्साए 18 से 30 साल के युवा वर्ग ने सरकार के खिलाफ हल्ला बोल दिया. प्रदर्शनकारियों की बेकाबू भीड़ ने संसद पर कब्जे की कोशिश की. कई जगह गोलियां चलीं, कर्फ्यू लगाना पड़ा है फिर भी ‘Gen-Z’ यानी 18 से 30 साल के युवाओं के क्रोध को दबाया नहीं जा सका. काठमांडू और इटाहारी में हिंसक प्रदर्शन हुए हैं. 21 से अधिक प्रदर्शनकारियों की मौत हो चुकी है. करीब 256 लोगों का इलाज चल रहा है.

नेपाल में अचानक शुरू हुए इस भीषण प्रदर्शन के पीछे की वजह ओली सरकार का हालिया फैसला है. सरकार ने नियमों का हवाला देकर अचानक 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बैन लगा दिए, जिनमें यूट्यूब, फेसबुक और ट्विटर भी शामिल हैं. नेपाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को 7 दिन के भीतर रजिस्ट्रेशन कराने का आदेश दिया था.

सरकार पर क्या लग रहे हैं आरोप?

नियमों के मुताबिक, हर कंपनी को नेपाल में लोकल ऑफिस रखना, गलत कंटेंट हटाने के लिए लोकल अधिकारी नियुक्त करना और कानूनी नोटिसों का जवाब देना जरूरी कर दिया गया है, लेकिन देश के युवाओं का आरोप है सरकार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता खत्म करना चाहती है. सरकार अपने भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए सोशल मीडिया बैन कर रही है. चीन की सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्म्स को बंद नहीं किया गया है. हालात बिगड़ने के बाद नेपाल के राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने सरकार और पुलिस से विरोध संभालने में संयम बरतने की अपील की है.


Spread the love