इसके चलते एयर इंडिया को यूरोप, अमेरिका और अन्य गंतव्यों के लिए वैकल्पिक लंबा मार्ग अपनाना पड़ रहा है, जिससे कंपनी को सालाना लगभग 600 मिलियन डॉलर का अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ सकता है।


संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)
सरकार से मुआवजे की मांग
एक रिपोर्ट के मुताबिक, एयर इंडिया ने सरकार को लिखी एक चिट्ठी में अनुमान जताया है कि अगर यह प्रतिबंध एक साल तक जारी रहता है, तो कंपनी को लगभग 600 मिलियन डॉलर (करीब 50 अरब रुपए) का अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ सकता है। कंपनी ने केंद्र सरकार से इस वित्तीय नुकसान की भरपाई के लिए ‘सब्सिडी मॉडल’ लागू करने की मांग की है। चिट्ठी में यह भी कहा गया है कि प्रभावित अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए सब्सिडी एक तर्कसंगत और अस्थायी समाधान है, जिसे हालात सामान्य होते ही वापस लिया जा सकता है।
एयर इंडिया पर सबसे गहरा असर
लंबी दूरी की अंतरराष्ट्रीय उड़ानों का संचालन करने के कारण एयर इंडिया पर इस प्रतिबंध का सबसे अधिक असर पड़ा है। वैकल्पिक मार्गों से उड़ान भरने के कारण ईंधन की खपत में बढ़ोतरी, अतिरिक्त क्रू की तैनाती और उड़ानों की अवधि में इजाफा जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। अप्रैल 2025 में एयर इंडिया, इंडिगो और एयर इंडिया एक्सप्रेस ने नई दिल्ली से यूरोप, अमेरिका और मध्य पूर्व के लिए करीब 1,200 अंतरराष्ट्रीय उड़ानें संचालित की थीं, जिनमें अधिकांश में पाकिस्तान का एयरस्पेस उपयोग होता था।
टाटा समूह के अधीन, फिर भी संकट
हालांकि एयर इंडिया अब टाटा समूह के स्वामित्व में है लेकिन यह अभी भी बदलाव और पुनर्गठन की प्रक्रिया में है। वित्त वर्ष 2023-24 में कंपनी को 520 मिलियन डॉलर का घाटा हुआ, जबकि राजस्व 4.6 बिलियन डॉलर रहा। अब एयर इंडिया सरकार से उम्मीद कर रही है कि वह राष्ट्रीय हित में उठाए गए इन कदमों से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए मदद करेगी।

