इसलिए उस विमान को रेडी कर दिया गया है, जिसका आखिरी बार अमेरिका में 9/11 हमले के बाद इस्तेमाल किया गया था। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले पर विचार के बीच अमेरिका का ‘डूम्सडे प्लेन’ वॉशिंगटन पहुंचा। न्यू यॉर्क पोस्ट के अनुसार, E-4B नाइटवॉच विमान लुइसियाना से उड़कर मेरीलैंड के जॉइंट बेस एंड्रूज्ज पहुंचा। कहा जाता है कि जब धरती पर कहीं परमाणु बम फटने की आशंका हो। जब दुनिया के किसी कोने में महाविनाशक न्यूक्लियर हथियारों के इस्तेमाल का तनाव हो। जब अमेरिका के वजूद के खात्मे का खतरा हो। जब अमेरिका को कयामत के दिनों का अहसास हो तब आसमान में डूम्सडे प्लेन नजर आता है।


संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट
हवा में उड़ते हुए निया पर हमला किया जा सकता
अमेरिका के कयामत लाने वाले विमान के वाशिंगटन पहुंचने की खबर से दुनिया में टेंशन और बढ़ने की आशंका है । “डूम्सडे प्लेन” को परमाणु संघर्ष की स्थिति में उड़ान नियंत्रण केंद्र के रूप में कार्य करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। डूम्सडे प्लेन को बोइंग 747 को मोडिफाई करके बनाया गया है इसे ई-4बी नाइटवॉच भी कहा जाता है। ये बेहद आधुनिक तकनीकों से लैस विमान है और अगर इशारा भी कर दे तो तुरंत अमेरिका के 4,315 परमाणु बम एक साथ हरकत में आ सकते हैं। यानी अमेरिका जब चाहे दुनिया के किसी भी हिस्से में विनाश बरपा सकता है। केवल साल 2020 में अमेरिका ने इस श्रेणी के प्लेन्स के रखरखाव पर लगभग 223 मिलियन डॉलर खर्च किए। ये तीन डेक वाले इस प्लेन में 112 क्रू रह सकते हैं। इसमें खिड़कियां नहीं होती हैं और अमेरिका का दावा है कि ये कितना भी भयंकर परमाणु हमला सह सकते हैं। तो इस तरह से ये हवा में उड़ते वॉर रूम ही हैं, जहां से दुनिया पर हमला किया जा सकता है।
1973 में बनाया गया था
डूम्स डे प्लेन को दूसरे विश्व युद्ध के बाद साल 1973 में तैयार किया गया था। उस वक्त सोवियत संघ के साथ अमेरिका के रिश्ते काफी तनावपूर्ण थे। शीत युद्ध कभी भी तीसरे विश्व युद्ध में तब्दिल हो सकता था। जिसके मद्देनजर अमेरिका ने ये प्लेन तैयार किया था। लंबे चौड़े क्रू को रख सकते लायक बड़ा प्लेन लगातार 12 घंटे तक बिना ईंधन के उड़ान भर सकता है। लेकिन इस प्लेन के प्रतिघंटा उड़ान भरने की कीमत करीब 160 हजार डॉलर है।

