
एक प्रेरणादायक कहानी: बेटी बनकर विदा हुई बहू,चार साल पहले, मनोज सिंह अपने घर एक नई बहू लाए थे। उस लड़की ने हंसी-खुशी से नए परिवार में कदम रखा, लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। कुछ समय बाद, मनोज सिंह के बेटे का असमय देहांत हो गया। घर में सन्नाटा पसर गया, और उस बहू के चेहरे की मुस्कान छिन गई।


शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)संवाददाता
सास-ससुर के लिए यह दुख असहनीय था, मगर उनकी नजरें अपनी विधवा बहू की उदासी पर टिक गईं। समाज में अक्सर देखा जाता है कि ऐसी परिस्थितियों में बहू को मायके भेज दिया जाता है या उसे अकेलेपन में जीने को मजबूर किया जाता है। लेकिन मनोज सिंह और उनकी पत्नी ने एक अनोखा रास्ता चुना। उन्होंने अपनी बहू को न सिर्फ बेटी माना, बल्कि उसके जीवन को फिर से सजाने का फैसला किया।मनोज सिंह ने सोचा, “हमने अपने बेटे को खो दिया, लेकिन हमारी बेटी को दुख में नहीं डूबने देंगे।” उन्होंने अपनी बहू के लिए एक योग्य वर की तलाश शुरू की। उनकी खोज एक ऐसे युवक पर जाकर खत्म हुई, जिसकी जिंदगी भी दुखों से भरी थी। उस युवक के पिता की मृत्यु दो साल पहले हो चुकी थी, और उसकी पहली पत्नी ने तलाक देकर उसे अकेला छोड़ दिया था। दोनों की कहानियां अलग थीं, मगर दर्द एक जैसा था। मनोज सिंह ने इस मौके को दोनों के लिए नई शुरुआत का जरिया बनाया।आज, चार साल बाद, वही बहू, जो दुख के साये में घर आई थी, एक बेटी के रूप में ससुराल से विदा हो रही थी। मनोज सिंह और उनकी पत्नी ने पूरे सम्मान के साथ उसका कन्यादान किया। सास-ससुर ने न सिर्फ उसका दूसरा विवाह करवाया, बल्कि उसे वही प्यार और आशीर्वाद दिया, जो एक मां-बाप अपनी बेटी को देते हैं। गांव के लोग इस अनोखी शादी के गवाह बने। हर आंख में खुशी के आंसू थे, और हर दिल में मनोज सिंह के इस नेक काम के लिए सम्मान।यह कहानी उत्तराखंड की देवभूमि की मिट्टी से उपजी है, जहां मानवता और प्रेम अभी भी जिंदा है। मनोज सिंह और उनके परिवार ने समाज को एक नई राह दिखाई। उन्होंने साबित किया कि बहू सिर्फ बहू नहीं, बल्कि बेटी भी हो सकती है। यह कहानी नई पीढ़ी के लिए एक आईना है, जो बताती है कि प्यार, सम्मान और करुणा से किसी का जीवन बदला जा सकता है।हिमालय की कंदराओं में बसे इस परिवार को भोलेनाथ का आशीर्वाद मिले, और यह जोड़ा सुखी जीवन जिए। उत्तराखंड की ऐसी कहानियां हमें बार-बार याद दिलाती हैं कि यह धरती वाकई देवतुल्य है। आइए, इस प्रेरणादायक कहानी को साझा करें, ताकि समाज में और भी मनोज सिंह जैसे लोग सामने आएं, जो अपने कर्मों से इतिहास रचें।नवदंपत्ति को सुखी जीवन के लिए शुभकामनाएं, और ऐसे सास-ससुर को हृदय से नमन!
