आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 2025 की शुरुआत 26 जून, गुरुवार से हो रही है और यह पर्व 4 जुलाई तक मनाया जाएगा। यह नवरात्रि नौ दिवसीय दुर्गा उपासना का विशेष रूप है, जो साधना और शक्ति अर्जन के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है।

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हिंदू पंचांग के अनुसार, हर वर्ष चार बार नवरात्रि आती है जिसमें चैत्र और शारदीय नवरात्रि को सार्वजनिक रूप से बड़े स्तर पर मनाया जाता है, जबकि आषाढ़ और माघ महीने में आने वाली नवरात्रियों को “गुप्त नवरात्रि” कहा जाता है। इन गुप्त नवरात्रियों में देवी दुर्गा की आराधना गोपनीय और साधनात्मक स्वरूप में की जाती है, विशेषकर तांत्रिक, साधक और ध्यान करने वाले लोग इस समय को सिद्धि प्राप्ति के लिए बेहद फलदायक मानते हैं।

इन नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना की जाती है, लेकिन परंपरागत पूजा के बजाय विशेष तांत्रिक विधियों से साधना की जाती है। साधकों के लिए यह समय संयम, एकांत और नियमों का पालन करते हुए साधना में लीन रहने का होता है। आइए जानते हैं कि आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना का शुभ मुहूर्त क्या है और इन नौ दिनों में किन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए।

घटस्थापना का शुभ मुहूर्त

  • प्रातः काल घटस्थापना मुहूर्त: सुबह 05:45 बजे से 07:14 बजे तक
  • अभिजित मुहूर्त: दोपहर 11:46 बजे से 12:38 बजे तक
  • अवधि: कुल 52 मिनट

इन नियमों का रखें ध्यान

  • मांस, मदिरा और तामसिक आहार से पूर्ण परहेज़ करें। गुप्त नवरात्रि के नौ दिन आत्मिक और मानसिक शुद्धि के लिए बेहद पवित्र माने जाते हैं। ऐसे में मांस, शराब, लहसुन, प्याज जैसे तामसिक तत्वों का सेवन आपके भीतर नकारात्मक ऊर्जा ला सकता है, जो साधना में विघ्न डाल सकता है। इस दौरान सात्विक भोजन करें, जैसे फल, दूध, शाकाहारी हल्का भोजन।
  • स्वच्छता और पवित्रता का विशेष ध्यान रखें। देवी की पूजा के लिए तन, मन और स्थान का शुद्ध होना अनिवार्य होता है। रोज़ स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें और पूजा स्थल को साफ, सुव्यवस्थित और सुगंधित बनाए रखें। गंदगी और अव्यवस्था साधना के प्रभाव को कम कर सकती है।
  • पूजा स्थल शांत और व्यवस्थित रखें। गुप्त नवरात्रि में साधना के लिए एक विशेष स्थान तय करें, जहां शांति हो और बार-बार आना-जाना न हो। अपवित्र या अस्त-व्यस्त स्थान पर पूजा करने से देवी की कृपा कम हो सकती है।
  • वाणी, व्यवहार और विचारों पर नियंत्रण रखें। इस पावन समय में क्रोध, कटु शब्द, झूठ और अपमान जैसे नकारात्मक भावों से बचें। जितना हो सके विनम्र, शांत और सहनशील बने रहें। किसी की निंदा या अपमान न करें – ऐसा करने से मां दुर्गा अप्रसन्न हो सकती हैं।
  • माता की मूर्ति और पूजन सामग्री को सम्मानपूर्वक छुएं। बिना स्नान किए या गंदे हाथों से माता की प्रतिमा, कलश या पूजन सामग्री को स्पर्श न करें। देवी से जुड़ी किसी वस्तु का अनादर करने से साधना में रुकावट आ सकती है।
  • पूजा के समय एकाग्रता बनाए रखें। गुप्त नवरात्रि की साधना गंभीर और गोपनीय होती है। पूजा करते समय बीच में उठना, बात करना या ध्यान भटकाना साधना की ऊर्जा को प्रभावित करता है। इसलिए पूजा के समय मोबाइल आदि से दूरी रखें और पूरी श्रद्धा से मन लगाएं।
  • मंत्रों और स्तोत्रों का जप अवश्य करें। मां दुर्गा के बीज मंत्र, स्तुति, चालीसा या सप्तशती का पाठ प्रतिदिन करें। यह न केवल साधना को बल देता है, बल्कि मानसिक शांति और आंतरिक शक्ति भी प्रदान करता है।
  • शुद्धता और नियम का पालन करें। गुप्त नवरात्रि के ये नौ दिन बहुत ऊर्जावान होते हैं। यदि आप पूरे नियम और भक्ति से इन दिनों को बिताते हैं तो निश्चित रूप से मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन के कष्टों से मुक्ति और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

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