
मइया यशोदा कान्हा जी को दिन के आठों प्रहर भोजन करवाथी थी. इस परंपरा के तहत आज भी कृष्ण पूजा में अष्टयाम सेवा करने का विधान है. आइए अष्टयाम सेवा के बारे में विस्तार से जानें.


अष्टयाम सेवा के बारे में
हिन्दू धर्म की मानें तो दिन के 24 घंटे में आठ प्रहर हैं जिनमें भगवान की पूरी श्रद्धा के साथ सेवा की जाती है. अष्टयाम सेवा हालांकि मुख्य रूप से श्री कृष्ण के बाल स्वरूप यानी कि लड्डू गोपाल की करने का विधान और परंपरा है. अष्टयाम सेवा को लेकर मान्यता है कि लड्डू गोपाल इस सेवा से जल्द प्रसन्न हो जाते हैं और घर परिवार को रोग, दोष, दुख-संताप, पाप से मुक्त करते हैं. जो भी व्यक्ति लड्डू गोपाल की आठ प्रहर की भक्ति करता है उसके घर नकारात्मकता कभी नहीं आती और समृद्धि बनी रहती है. अष्टयाम सेवा में आठ तरह की सेवा का विधान है- मंगला, श्रृंगार, ग्वाल, राजभोग, उत्थापन, भोग, आरती और शयन।
क्या है अष्टयाम सेवा की विधि?
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मंगला सेवा: दिन के शुरू होते ही सबसे पहले लड्डू गोपाल की मंगला सेवा की जाती है जिसमें बड़ी ही दुलार से भगवान को जगाया जाता है और फिर पूजा की जाती है और इसी दौरान भोग कर आरती की जाती है.
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श्रृंगार सेवा: लड्डू गोपाल का जलाभिषेक कर श्रृंगार सेवा को शुरू किया जाता है, इस सेवा में भगवान को पंचामृत से स्नान करवाया जाता है, साफ पोशाक धारण करवाए जाते हैं और सुंदर श्रृंगार किया जाता है.
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ग्वाल सेवा: लड्डू गोपाल को खाने की कुछ चीजें ग्वाल सेवा में पोटली में बांधकर अर्पित की जाती है. भाव में प्रभु अपने भ्रमण के लिए जाते हैं और रास्ते में भूख लगने पर पोटली से कुछ आहार ग्रहण करते हैं.
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राजभोग सेवा: राजभोग सेवा का भाव ये है कि भ्रमण से प्रभु जब लौट आते हैं तो उन्हें बहुत भूख लगी होती है, ऐसे में भगवान को 56 भोग पवाया जाता है.
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उत्थापन सेवा: भगवान की आरती उताकर उत्थापन सेवा की जाती है जिसके पीछे का भाव ये होता है कि भगवान पूरी सृष्टि में घूम रहे होते हैं ऐसे कोई उनके सुंदर रूप को देख उनकों नजर न लगा दें इसके लिए उनकी आरती उतारी जाती है.
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भोग और शयन सेवा: लड्डू गोपाल को शाम के समय दूध का भोग लगाकर शयन सेवा की जाती है. इस दौरान रात का भोग तो अर्पित किया जाता है और भगवान को थपकी देकर सुलाया जाता है. लड्डू गोपाल बाल रूप में हैं ऐसे में छोटे बच्चे की तरह उनको भी थपकी देने का विधान है.
क्या है अष्टयाम सेवा के नियम?
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अष्टयाम सेवा करते समय भगवान के लिए प्रेम भावना रखें.
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अष्टयाम सेवा करते समय शुद्धता से समझौता न करें.
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अष्टयाम सेवा करते समय भगवान को कतई बासी या जूठा भोग न कराएं.
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अष्टयाम सेवा करवाते समय आसन पर बैठ जाएं और बड़े दुलार से लड्डू गोपाल को भोग अर्पित करें.
