पाकिस्तान के अशांत बलूचिस्तान प्रांत के सुराब सिटी पर बलूचिस्तान आर्मी ने कब्जे के साथ ही 1 पाकिस्तानी अधिकारी को मौत के घाट उतार दिया। इससे पीएम शहबाज शरीफ भी बौखला गए हैं।पाकिस्तान में अब नई टेंशन का जन्म, बलोच लड़ाकों की नई रणनीति ने मचाया हड़कंप; जानें क्या है पूरा मामला

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शहबाज ने इस हमले की कड़ी निंदा की है। बता दें कि बलूच चरमपंथियों द्वारा किए गए हमले में सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी की मौत हो गई।

संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट

अधिकारियों के अनुसार, बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) के चरमपंथियों ने शुक्रवार देर रात खुजदार जिले के सोराब शहर पर हमला किया। उन्होंने कुछ समय के लिए शहर पर कब्जा कर लिया, कई सरकारी संपत्तियों को आग के हवाले कर दिया और एक बैंक को लूट लिया।

बैंकों में लूटपाट के साथ किया कब्जा

बलूचिस्तान सरकार के प्रवक्ता शाहिद रिंद ने बताया कि हमलावरों ने सरकारी कार्यालयों में तोड़फोड़ की, बैंक से नकदी लूटी और कई सरकारी अधिकारियों के आवासों को भी जला दिया। इस हमले में अतिरिक्त उपायुक्त (राजस्व) हिदायत बुलेदी बलूच की मौत हो गई। वह हमले के दौरान डटे रहे और गंभीर रूप से घायल हो गए थे। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने हिदायत बुलेदी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उन्होंने “चरमपंथियों से मुकाबला करते हुए असाधारण साहस और कर्तव्यनिष्ठा” का परिचय दिया।

बलूचिस्तान और पाकिस्तान का क्या है झगड़ा?

बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है (क्षेत्रफल के हिसाब से), जो दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। यह अफगानिस्तान, ईरान और अरब सागर की सीमा से लगा हुआ है। बलूचिस्तान प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर है। खासकर गैस, तांबा, सोना, कोयला और यूरेनियम का भंडार है। 1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन के समय बलूचिस्तान एक अर्ध-स्वतंत्र राज्य (खान ऑफ कलात) था। बलूच नेताओं के अनुसार पाकिस्तान ने 1948 में जबरन बलूचिस्तान का विलय कर लिया। तभी से बलूचिस्तान में पाकिस्तान के खिलाफ विरोध और विद्रोह की शुरुआत हुई।

पाकिस्तान के लिए बलूचिस्तान का सुराब शहर अचानक सबसे बड़ी चिंता का विषय बन गया है। बलोच लड़ाकों ने दावा किया है कि उन्होंने इस अहम शहर पर पूरा कब्जा जमा लिया है। यह वही इलाका है जो क्वेटा से बेहद करीब है और पाकिस्तान की रणनीतिक धुरी माने जाने वाले क्वेटा-कराची हाईवे के पास स्थित है।

अगर यह इलाका लंबे समय तक बलोच विद्रोहियों के हाथ में रहा तो न केवल पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा पर असर पड़ेगा, बल्कि चीन के सहयोग से चल रहे आर्थिक प्रोजेक्ट CPEC की राह भी मुश्किल में पड़ सकती है।

बलोचिस्तान पाकिस्तान के लिए लंबे समय से सिरदर्द बना हुआ है, लेकिन सुराब जैसे अहम शहर पर कब्जा इस लड़ाई को नई दिशा दे सकता है। सुरक्षा एजेंसियों के लिए यह बड़ी चुनौती है कि किस तरह से वो एक रणनीतिक इलाके को फिर से नियंत्रण में लें। इस घटना ने पाकिस्तान की सेना और खुफिया तंत्र की कार्यक्षमता पर सवाल खड़े कर दिए हैं, खासकर तब जब पाकिस्तान की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया तक सामने नहीं आई है।

सुराब पर कब्जा क्यों है इतना बड़ा अलार्म
सुराब शहर भले ही छोटा है, लेकिन उसकी रणनीतिक स्थिति बेहद अहम है। यह बलूचिस्तान की राजधानी क्वेटा से सिर्फ 150 किलोमीटर दूर है और पाकिस्तान के लिए जरूरी क्वेटा-कराची हाईवे पर बसा है। पहले भी इस हाईवे को बंद किया जा चुका है और अब फिर से इसके प्रभावित होने की आशंका है। यही हाईवे CPEC के लिए भी महत्वपूर्ण है, ऐसे में सुराब का जाना सीधे इस मेगा प्रोजेक्ट पर खतरे की घंटी बन सकता है।

बलोच लड़ाकों ने जताया कब्जे का दावा
बलोच लड़ाकों ने दावा किया है कि सुराब के सभी सरकारी दफ्तर अब उनके कब्जे में हैं और शहर में पाकिस्तान सरकार की कोई पकड़ नहीं बची है। अभी तक पाकिस्तान की तरफ से कोई अधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है, लेकिन यदि यह दावा सही साबित होता है तो यह एक बड़ी सैन्य और राजनीतिक विफलता मानी जाएगी। यह वही बलूचिस्तान है, जिसने पहले भी खुद को एक स्वतंत्र राष्ट्र के तौर पर घोषित करने की कोशिश की थी।


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