
दिल्ली में 1 जुलाई 2025 से लागू हुआ पुरानी गाड़ियों पर फ्यूल बैन कानून किसी साधारण प्रशासनिक आदेश की तरह नहीं है। यह फैसला राजधानी की सड़कों पर सिर्फ वाहन नहीं, बल्कि कई सवाल और शक भी खड़े कर रहा है।


संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट
सरकार कहती है, मकसद साफ है—प्रदूषण रोकना।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का हवाला दिया जा रहा है। एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) के पुराने आदेश भी टेबल पर हैं, जो कहते हैं कि 15 साल से पुराने पेट्रोल और 10 साल से पुराने डीजल वाहन दिल्ली जैसे प्रदूषित शहरों में चलने के लायक नहीं। सच भी है—PM 2.5 और NOx जैसे जहरीले कणों के बड़े स्रोत यही वाहन हैं।
लेकिन सवाल यह है—क्या केवल वाहनों की उम्र ही प्रदूषण का पैमाना होना चाहिए?दिल्ली में आज ही कई लोग कह रहे हैं—“गाड़ी पुरानी है, पर रख-रखाव शानदार है। प्रदूषण जांच (PUC) सर्टिफिकेट भी पास है। फिर सिर्फ उम्र के आधार पर जब्ती क्यों?”
AI आधारित ANPR (Automatic Number Plate Recognition) कैमरे से धरपकड़ हो रही है। आश्रम चौक पर एक 15 साल पुरानी मर्सिडीज को सीज किया गया। वाहन मालिक कहता है—“मेरी गाड़ी नई जैसी है, पर सरकार ने कबाड़ घोषित कर दी।” पूसा गेट पर एक वैध Hyundai i10 को ANPR ने गलती से ‘एक्सपायर’ बता दिया। सवाल यह भी उठ रहा है कि टेक्नोलॉजी पर इतना भरोसा कितना सही है, जब सिस्टम वैध गाड़ियों को भी पकड़ रहा है?
क्या ये ग्रीन मिशन है या ग्रीन बिजनेस?यहां से चर्चा और गहरी हो जाती है।सरकार कह रही है—पुराने वाहन स्क्रैप कराओ, नई गाड़ी पर टैक्स छूट पाओ। एक्स-शोरूम कीमत का 5-6% स्क्रैप वैल्यू मिल जाएगी। मगर बाजार हकीकत क्या कहता है?
दिल्ली में सेकंड हैंड कार बाजार दम तोड़ रहा है। मर्सिडीज, BMW, ऑडी जैसी लक्जरी कारें, जो कभी करोड़ों की थीं, आज एक लाख रुपये में बिक नहीं रहीं।
- जिन लोगों के पास सीमित आय है, वे इस फैसले से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। नई कार की लागत तो दूर, EMI तक अफोर्ड नहीं कर सकते।
- स्क्रैप वैल्यू इतनी कम है कि उससे नई गाड़ी का डाउन पेमेंट भी नहीं निकलता।
यहां कुछ पर्यावरणविद पूछ रहे हैं—“कहीं यह इलेक्ट्रिक, हाइड्रोजन, सोलर कारों की मार्केटिंग की तैयारी तो नहीं?”
- सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को जोर-शोर से प्रमोट कर रही है।
- पेट्रोल-डीजल वाहन कंपनियों पर दबाव बढ़ रहा है कि वे इलेक्ट्रिक या अल्टरनेट फ्यूल टेक्नोलॉजी में निवेश करें।
- पुरानी गाड़ियां हटेंगी तो ऑटो सेक्टर में नई बिक्री का रास्ता साफ होगा।
यह सच है कि इलेक्ट्रिक वाहनों का भविष्य उज्जवल है। मगर समस्या यह है कि भारत में EV इंफ्रास्ट्रक्चर अब भी शुरुआती दौर में है। चार्जिंग स्टेशन कम हैं, बैटरी महंगी है, और रेंज की चिंता हर ग्राहक को सता रही है।
जनता की नाराज़गी क्यों जायज़ है?जिनकी गाड़ी आज भी बेहतरीन हालत में है, उन्हें ‘कबाड़’ कहकर सड़कों से हटाया जा रहा है।
- मिडिल क्लास और लोअर मिडिल क्लास के लिए यह सीधा आर्थिक झटका है।
- लोग कह रहे हैं—“अगर सरकार PUC पास गाड़ी को भी सजा देगी, तो प्रदूषण तो रहेगा ही, पर जनता की जेब खाली हो जाएगी।”
- पेट्रोल पंप एसोसिएशन भी नाराज है। उन्हें कहा गया है कि ऐसे वाहनों को फ्यूल न दें, वरना उन पर भी जुर्माना। मगर गाड़ी की उम्र पहचानने का जिम्मा आखिर पेट्रोल पंप पर कैसे डाला जाए?
दिल्ली में और क्या-क्या हो रहा है?हर पेट्रोल पंप पर AI कैमरे और हूटर लग रहे हैं। जैसे ही कोई ओवरएज गाड़ी आती है, हूटर बज जाता है।
- पुलिस पेट्रोलिंग बढ़ा रही है। दो ELV (End-of-Life Vehicle) जब्त किए गए।
- गाड़ियों का स्क्रैप मार्केट ओवरफ्लो हो चुका है। पुराने वाहन बेचने की कोशिश कर रहे लोग उत्तराखंड, राजस्थान, पंजाब जैसे राज्यों में कस्टमर ढूंढ़ रहे हैं।
- हरियाणा भी इस राह पर है। 1 नवंबर 2025 से फरीदाबाद, गुरुग्राम, सोनीपत में फ्यूल बैन लागू होगा और 1 अप्रैल 2026 से पूरे प्रदेश में।
- फिलहाल 15 साल पुरानी CNG गाड़ियों पर बैन रोक दिया गया है। लेकिन आशंका है, यह रोक स्थायी नहीं है।
तो रास्ता क्या है?प्रदूषण पर नियंत्रण जरूरी है। कोई इनकार नहीं करता। लेकिन—
- PUC को मजबूत बनाइए, उम्र आधारित नहीं, उत्सर्जन आधारित नियम लाइए।
- टेक्नोलॉजी के भरोसे सब न छोड़िए। मशीनें भी गलतियां करती हैं।
- मिडिल क्लास के लिए बेहतर मुआवजा और सस्ती EV उपलब्ध कराइए।
- इलेक्ट्रिक इंफ्रास्ट्रक्चर तेज़ी से बढ़ाइए।
- कानून लागू करें, पर इंसानियत के साथ।
यह लड़ाई सिर्फ धुएं की नहीं, भरोसे और रोज़मर्रा की जिंदगी की भी है। सरकार को याद रखना होगा—प्रदूषण से लड़ते-लड़ते कहीं जनता का दम ही न घुट जाए।
–

