
“मैं डरता नहीं, दो बार हराया है बेहड़ को!” – लाड़ी का ललकार
अपशब्द वापिस ले, वरना पीछा नहीं छोड़ूंगा!” – बेहड़ का पलटवार
रुद्रपुर | 11 जून 2025 | रिपोर्टर: अवतार सिंह बिष्टरुद्रपुर की सियासत इन दिनों एक्शन, ड्रामा और डायलॉग से भरपूर है। कांग्रेस पार्टी का मंच हो या फेसबुक का मैदान – हर जगह चर्चा में हैं विधायक तिलक राज बेहड़ और कांग्रेस नेता हरेंद्र सिंह लाड़ी की तकरार। राजनीति की भाषा अब ‘तू-तड़क’, ‘औक़ात’, और ‘माफी मांगो’ तक पहुंच चुकी है। जनता पूछ रही है – “कांग्रेस की राजनीति चल रही है या WWE की स्क्रिप्ट?”


संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट
औक़ात में रहो!” बनाम “मैं डरता नहीं!”
हरेंद्र सिंह लाड़ी, जिनका सोशल मीडिया पर अलग ही जलवा है, ने अपने तीखे बयान में कहा –
“किसी की औक़ात नहीं जो मुझे कांग्रेस से हटा दे!”
“मैं डरता नहीं। बेहड़ को दो बार चुनाव में हरा चुका हूं।”
लाड़ी की ये दो टूक बात अब रुद्रपुर की गलियों में चर्चा का विषय है – “बोलते तो बड़े सीधे हैं, लेकिन वार कर जाते हैं सीधे सीने पर!”
बेहड़ का ‘बदला’ बयान – माफ़ी मांगो लाड़ी!
इस पर विधायक तिलक राज बेहड़ ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी। उनका जवाब आया गरजते अंदाज़ में –
लाड़ी को अपनी जुबान पर नियंत्रण खना चाहिए। तू-तड़क और अभद्र भाषा के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगे तभी पीछा छोड़ूंगा।”
यहाँ एक तीखे व्यंग्य और राजनीतिक खटपट से भरी समाचार रिपोर्ट तैयार की गई है जो TDC प्रकरण को लेकर कांग्रेस खेमे में मचे घमासान और सीबीआई जांच की मांग को लेकर उभरे बयानों को मजेदार और पाठक को बाँधने वाले अंदाज़ में प्रस्तुत करती है:
टीडीसी की ‘गांठ’ पर कांग्रेस में ठन-ठन गोपाल!”
ठुकराल बोले – जांच हो तो ‘राजनीति’ की असली दुकानें होंगी उजागर
तिलक राज बेहड़ – “झगड़ा कोई नहीं, जुबान पर नियंत्रण रखें साहब!”
राजनीति में कब कौन ‘भाई’ से ‘प्रतिद्वंदी’ बन जाए, कोई ठिकाना नहीं। कुछ ऐसा ही नजारा बुधवार को रुद्रपुर में देखने को मिला जब TDC (तराई विकास निगम) प्रकरण पर कांग्रेस की आपसी केमिस्ट्री ने कैमरे के सामने केमिकल रिएक्शन कर डाला। बात-बात में चिंगारियाँ ऐसी उठीं कि ठुकराल और बेहड़ की खेमेबाजी अब खुली किताब लगने लगी।
ठुकराल का सीधा वार, तिलक का परोक्ष प्रहार!पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल ने तो सीधे कह दिया, “अगर CBI जांच हो गई तो अफसर ही नहीं, कई नेता भी जाएंगे जेल।” ठुकराल यहां नहीं रुके – उन्होंने तिलक राज बेहड़ के पुराने कार्यकाल पर चुटकी लेते हुए कहा, “जो दिख रहा है वो सिर्फ ध्वस्तीकरण नहीं, घोटाले का समंदर है।“
इस पर विधायक तिलक राज बेहड़ का पलटवार भी कम रोचक नहीं रहा। उन्होंने बिना नाम लिए इशारों में कहा, “मेरी किसी से कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं, लेकिन कुछ लोगों को जुबान पर संयम रखना चाहिए।” यह बयान न सिर्फ ठुकराल पर तंज था बल्कि कांग्रेस के भीतर गहराते अंतर्विरोध की तस्वीर भी पेश कर गया।
डॉ. गणेश उपाध्याय का ज्ञापन – CBI जांच की ठोस मांग!
पूर्व दर्जा राज्यमंत्री एवं कांग्रेस प्रवक्ता डॉ. गणेश उपाध्याय ने कृषि मंत्री गणेश जोशी को सौंपे ज्ञापन में TDC ध्वस्तीकरण में घोटाले की बात कहते हुए न्यायिक या CBI जांच की मांग कर डाली।
उन्होंने बताया कि –
- 12 करोड़ के निजी एजेंसी अनुमान को बदलकर PWD ने 4.70 करोड़ में काम बाँट दिया।
- आदेश किसको मिला, कैसे मिला – सब सियासी सेटिंग का कमाल है।
- TDC का कार्यालय पत्थरचट्टा भेज दिया गया है, जबकि किसानों की सुविधा के लिए इसे नगला में स्थापित किया जाना चाहिए।
💬 सोशल मीडिया पर भी गरमाहट – बेहड़ बनाम ठुकराल!
फेसबुक और व्हाट्सएप पर समर्थकों की टिप्पणी भी कुछ कम तीखी नहीं रही।
सतेन्द्र खरबंदा ने लिखा –
तिवारी जी के कार्यकाल में तिलक राज बेहड़ ने रुद्रपुर को चमका दिया। जैसे रामपुर को आज़म खां ने संवारा, बेहड़ साहब ने उससे भी आगे बढ़कर रुद्रपुर को संवारा।”
वहीं एक अन्य यूज़र ने बेहड़ की “मर्यादा व संयम युक्त राजनीति” को सराहा और ठुकराल पर परोक्ष वार कर दिया।
गंभीर मुद्दा या सियासी नौटंकी?
एक ओर ज्ञापन, जांच और किसानों की बात हो रही है, वहीं दूसरी ओर सियासी स्टंटबाज़ी से माहौल गर्म है। TDC के मुद्दे पर कांग्रेस एक ओर सरकार पर सवाल उठा रही है, वहीं उनके नेता आपस में ही तीर चला रहे हैं।
बड़े चेहरे मंच पर – लेकिन सुर अलग-अलग! ज्ञापन सौंपने के मौके पर मंच पर मौजूद थे –
विधायक तिलक राज बेहड़
- पूर्व विधायक राजेश शुक्ला
- मेयर विकास शर्मा
- कुलपति एम.एम. चौहान
- किसान कांग्रेस महामंत्री महिपाल सिंह बोरा
- एडवोकेट राजेन्द्र शर्मा
…लेकिन सबसे अधिक सुर्खियाँ बटोर गए दो चेहरे – ठुकराल और बेहड़, जिनकी सियासी ‘बॉडी लैंग्वेज’ ने कैमरों को खूब मसाला दिया।
TDC ध्वस्तीकरण की गुत्थी अब धीरे-धीरे राजनीतिक रंजिश का मंच बनती दिख रही है। एक ओर जहां किसानों की समस्याएं, बीज वितरण और पुनर्स्थापना की मांगें हैं, वहीं दूसरी ओर सीबीआई जांच की ललकार अब कांग्रेस के भीतर ही दरार पैदा कर रही है।
क्या यह मुद्दा वाकई भ्रष्टाचार पर चोट करेगा या फिर 2027 विधानसभा चुनाव की बिसात पर केवल एक मोहरा बनकर रह जाएगा? समय तय करेगा – लेकिन तब तक यह सियासी तमाशा चलता रहेगा।
