
अब भारत-पाकिस्तान के बीच आठ प्रमुख संधियों के टूटने का भी खरता मंडरा रहा है।


संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)
विश्लेषज्ञों का कहना है कि अगर भारत और पाकिस्तान के बीच आठ प्रमुख संधियां टूट जाती हैं तो इससे क्षेत्रीय अस्थिरता, परमाणु तनाव और आर्थिक नुकसान और मानवीय संकट जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि युद्ध के लिए अगर भारत के पास शक्तिशाली हथियार हैं तो पाकिस्तान भी कमजोर नहीं है। युद्ध से दोनों ही देशों का आर्थिक नुकसान होगा, जिसका खामियाजा पाकिस्तान और भारत की जनता को उठाना होगा।
जल्द टूट सकते हैं ये आठ समझौते
- नेहरू-लियाकत समझौता (1950)
- सिंधु जल संधि (1960)
- शिमला समझौता (1972)
- धार्मिक स्थलों की यात्रा पर प्रोटोकॉल (1974)
- परमाणु प्रतिष्ठानों की जानकारी पर समझौता (1988)
- हवाई क्षेत्र के उल्लंघन की रोकथाम (1991)
- लाहौर घोषणा (1999)
- एलओसी युद्धविराम समझौता (2003)
नेहरू-लियाकत समझौता
8 अप्रैल 1950 को भारत के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री लियाकत अली खान ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए। दोनों देशों में अल्पसंख्यकों के लिए शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करना।
सिंधु जल संधि
19 सितंबर 1960 को विश्व बैंक की मध्यस्थता में भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने कराची में इस संधि पर हस्ताक्षर किए। यह संधि सिंधु नदी और इसकी सहायक नदियों (सतलुज, ब्यास, रावी, सिंधु, चिनाब, झेलम) के जल बंटवारे को नियंत्रित करती है।
शिमला समझौता
दोनों देशों के बीच शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए 2 जुलाई 1972 को शिमला में भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए। इसमें दोनों देश के विवादों को द्विपक्षीय बातचीत से हल व तीसरे पक्ष की मध्यस्थता नहीं लेने को तय किया गया।
धार्मिक स्थलों की यात्रा पर प्रोटोकॉल
14 सितंबर 1974 को दोनों देशों ने धार्मिक तीर्थयात्रियों की यात्रा को सुगम बनाने के लिए इस प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए। इसके तहत भारतीय सिख तीर्थयात्री पाकिस्तान में ननकाना साहिब जैसे गुरुद्वारों की यात्रा कर सकते हैं और पाकिस्तानी नागरिक भारत में हजरत निजामुद्दीन औलिया और अजमेर शरीफ जैसे धार्मिक स्थलों की यात्रा कर सकते हैं।
परमाणु प्रतिष्ठानों की जानकारी पर समझौता
31 दिसंबर 1988 को हस्ताक्षरित यह समझौता 27 जनवरी 1991 को प्रभावी हुआ। दोनों देशों ने परमाणु हथियारों के बढ़ते खतरे को देखते हुए इस पर सहमति जताई। इसके तहत दोनों देश प्रत्येक वर्ष 1 जनवरी को अपने परमाणु प्रतिष्ठानों की सूची साझा करेंगे।
हवाई क्षेत्र के उल्लंघन की रोकथाम
6 अप्रैल 1991 को दोनों देशों ने हवाई क्षेत्र के उल्लंघन से होने वाले तनाव को कम करने के लिए इस समझौते पर हस्ताक्षर किए। इसके तहत युद्धक विमान सीमा के 10 किमी के दायरे में उड़ान नहीं भरेंगे। हवाई उल्लंघन की स्थिति में तुरंत सूचना दी जाएगी।
लाहौर घोषणा
1998 में दोनों देशों के परमाणु परीक्षणों के बाद, तनाव कम करने के लिए 21 फरवरी 1999 को भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने लाहौर में इस घोषणा पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता औपचारिक रूप से लागू है, लेकिन हाल के तनाव इसे और कमजोर कर सकते हैं।
एलओसी युद्धविराम समझौता
नवंबर 2003 में दोनों देशों ने नियंत्रण रेखा (एलओसी) और कार्यकारी सीमा पर युद्धविराम लागू करने पर सहमति जताई। इसके तहत एलओसी पर गोलीबारी और सैन्य कार्रवाई बंद की जाएगी।
