बिहार विधानसभा चुनाव 2025 अब अपने निर्णायक दौर में प्रवेश कर चुका है। पहले चरण के मतदान से पहले राज्य की सियासत पूरी तरह गर्मा गई है। चुनावी रैलियों, आरोप-प्रत्यारोप और रणनीतिक बैठकों ने पूरे बिहार का माहौल चुनावी बना दिया है।

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इस बीच, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने शीर्ष नेताओं को मैदान में उतारकर प्रचार अभियान को और धार दे दी है।

भाजपा की ओर से मिली जानकारी के अनुसार, शुक्रवार, 24 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बिहार दौरे पर रहेंगे। प्रधानमंत्री मोदी इस दिन समस्तीपुर और बेगूसराय में भाजपा की बड़ी चुनावी रैलियों को संबोधित करेंगे, जहां वे एनडीए उम्मीदवारों के समर्थन में वोट मांगेंगे। वहीं, अमित शाह की सीवान और बक्सर में जनसभाएं प्रस्तावित हैं। शाह इससे पहले 17 अक्टूबर को छपरा के तरैया में रैली कर चुके हैं, जहां उन्होंने महागठबंधन पर तीखा हमला बोला था और नीतीश कुमार सरकार की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए एनडीए की एकजुटता का संदेश दिया था।

भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा भी गुरुवार को औरंगाबाद के गोह और वैशाली के पातेपुर में रैलियां कर चुके हैं। पार्टी का उद्देश्य पहले चरण की सभी महत्वपूर्ण सीटों पर प्रचार की पूरी ताकत झोंकने का है। एनडीए की रणनीति साफ है मोदी, शाह और नड्डा की तिकड़ी के जरिए जनता के बीच विकास, सुशासन और स्थिरता का संदेश पहुंचाना।

उधर, विपक्षी महागठबंधन (राजद, कांग्रेस, वाम दल) के भीतर अब भी सीट बंटवारे और उम्मीदवार चयन को लेकर मतभेद पूरी तरह खत्म नहीं हुए हैं। कई जगहों पर बागी नेता टिकट न मिलने से नाराज होकर मैदान में उतर चुके हैं। वहीं, ऐसे में भाजपा ने विपक्ष पर “महा-लठबंधन” का तंज कसा है। पार्टी ने कहा है कि महागठबंधन अब “महाभ्रमबंधन” बन चुका है, जहां नेता एक-दूसरे से ही असंतुष्ट हैं।

बता दें कि इस बार चुनाव आयोग ने भी बेहद सख्ती बरती है। आयोग ने साफ निर्देश दिया है कि सभी राजनीतिक विज्ञापनों के लिए प्री-सर्टिफिकेशन अनिवार्य होगा, ताकि भ्रामक प्रचार और झूठे दावे रोके जा सकें। इसके साथ ही 824 फ्लाइंग स्क्वॉड की तैनाती की गई है, जो पूरे राज्य में आचार संहिता उल्लंघन पर निगरानी रखेंगे। आयोग का संदेश स्पष्ट है इस बार चुनाव में किसी तरह की लापरवाही या नियम उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

पहले चरण का मतदान 6 नवंबर को होगा। इस चरण में 18 जिलों की 121 सीटों पर 1314 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमाएंगे। इन सीटों पर कई दिलचस्प मुकाबले देखने को मिल सकते हैं। वहीं, कुछ सीटों पर सियासी समीकरण अचानक बदल गए है, मोहनियां सीट से राजद प्रत्याशी श्वेता सुमन का नामांकन रद्द हो गया है, जबकि कुढ़नी से पूर्व विधायक अनिल सहनी ने राजद छोड़कर नया मोर्चा खोल दिया है। इन घटनाओं से महागठबंधन के अंदरूनी संकट और गहराने के संकेत मिल रहे हैं।

इस चुनाव में जनता के बीच रोजगार, शिक्षा, महंगाई, महिला सुरक्षा और कानून-व्यवस्था जैसे मुद्दे प्रमुख हैं। भाजपा और एनडीए विकास और स्थिरता के वादे के साथ मैदान में हैं, जबकि महागठबंधन महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार के सवालों को लेकर सत्तारूढ़ दल को घेरने में जुटा है।

कुल मिलाकर, बिहार की सियासत इस वक्त अपने चरम पर है। मोदी, शाह और नड्डा के दौरे से भाजपा का चुनावी अभियान पूरी गति पकड़ चुका है, जबकि महागठबंधन अपनी एकजुटता साबित करने की कोशिश कर रहा है। जैसे-जैसे 6 नवंबर करीब आ रहा है, वैसे-वैसे बिहार का राजनीतिक पारा और तेज होता जा रहा है।


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