
इस वर्ष यह ब्लैक मून अमावस्या 23 अगस्त को है। इस दिन व्रत रहते हैं। 23 अगस्त को सूर्य व चन्द्रमा दोनों एकसाथ सिंह राशि में रहेंगे। इस रात्रि ब्लैक मून रहेगा। ब्लैक मून एक खगोलीय घटना है, जब किसी माह में दो अमावस्या होती है। इसका तातपर्य यह है कि चन्द्रमा पृथ्वी व सूर्य के बीच से गुजरता है व हमें दिखाई नहीं देता है। ब्लैक मून 29 माह में एक बार आता है। यह ब्लैक चांद शनि अमावस्या भी कही जाएगी। यह व्रत पापों के प्रायश्चित के लिए है। प्रातःकाल मौन रखकर गंगा स्नान या किसी पवित्र नदी में स्नान करते हैं। यदि आप घर पर हैं तो पहले स्नान के पात्र में गंगा जल डालिये फिर जल उसके बाद तिल व आंवला तब स्नान करें। प्रातःकाल ब्रम्हमुहूर्त में पूजा करें। पूरे दिन अपने इष्ट भगवान के नाम का मानसिक जप करें। अपने इष्ट के नाम का निरन्तर जप करते रहें। व्रत निराजल या फलाहार रहें। अगले दिन प्रातःकाल पारण करें।


✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर (उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी)
पितरों की शांति व तांत्रिक अनुष्ठान के लिए इस अमावस्या का बहुत महत्व है –
1. जो लोग सफलता चाहते हैं उनके लिए यह अमावस्या वरदान है। इस अमावस्या को व्रत रखकर विशेष पूजा पाठ करके भंडारा करना चाहिए। जिनके पितरों में किसी की कभी अकाल मृत्यु हुई है वो इस दिन विशेष तांत्रिक अनुष्ठान भी कर सकते हैं। त्रिपिंडी श्राद्ध भी करवा सकते हैं। जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष हो वो आज त्रिपिंडी श्राद्ध करके उसकी शांति करवा सकते हैं।
2. इस दिन दुर्गासप्तशती का पाठ करना चाहिए। श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ विशेष फलदायी है। प्रातःकाल पवित्र नदी में स्नान करके दान पुण्य करना चाहिए।संकटों से मुक्ति के लिए श्री रामचरितमानस में सुंदरकांड का पाठ करना बहुत ही लाभकारी होता है।इस दिन नदी में स्नान करते समय गायत्री मंत्र का जप करते रहें तथा स्नान के उपरांत नदी के तट पर पवित्र आसन पर बैठकर गीता का पाठ करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। संगम स्नान का विशेष महत्व है।
3. राजनीति में विजय प्राप्ति हेतु तथा किसी भी प्रकार की बाधाओं को समाप्त करने के लिए इस अमावस्या के दिन बंगलामुखी पूजा आरम्भ कराकर सकुशल विधिवत सम्पन्न कराने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
किस मंत्र का करना चाहिए जाप?
इस शुभ मुहूर्त में बृहस्पति (ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः) तथा चंद्रमा के बीज मंत्र (ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्रमसे नमः) का जप करें। महामृत्युंजय मंत्र भी फलदायी है। इस समय श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ बहुत लाभ देता है।

