
दरअसल, बलूचिस्तान का ये ऐलान इसलिए सामने आया है क्योंकि भारत ने चीन में हो रही शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में एक जबरदस्त ऐलान कर दिया। चीन में हो रही शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में रक्षा मंत्रियों की बैठक में चीन और पाकिस्तान ने मिलकर भारत के साथ एक बड़ा खेल करने की कोशिश की थी। लेकिन भारत ने पूरा खेल पलट दिया। थोड़े से दुख ये भी रहा कि भारत के खिलाफ षड़यंत्र में रूस ने भी आवाज नहीं उठाई। लेकिन भारत ने अकेले ही चीन और पाकिस्तान को लताड़ दिया।


ये सबकुछ देखकर बलूचिस्तान की जनता खुशी से झूम उठी है। रूस, चीन और पाकिस्तान, ईरान समेत सभी ने पहलगमा को आतंकी हमला नहीं माना है। लेकिन बलूचों को सब ने आतंकी माना है। लेकिन आखिरी वक्त में भारत ने सभी षड़यंत्रों को चकनाचूर कर दिया और इस डाक्यूमेंट पर साइन करने से मना कर दिया। अब भारत की इसी बहादुरी पर बलूचिस्तान की जनता और एक्टिविस्ट ने जबरदस्त बयान दिए हैं। बलूचिस्तान के एक्टिव्स्ट मीर यार बलोच ने कहा है कि शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) से बलूचिस्तान की स्वतंत्रता के लिए वैध और उचित प्रयास को स्वीकार करने का अनुरोध किया है, जबकि पाकिस्तान के अवैध कब्जे को नजरअंदाज करना कूटनीतिक कपट और अंतरराष्ट्रीय अखंडता का उल्लंघन है।
बलूचिस्तान के लोग इस अवसर पर भारत के माननीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को उनके नेतृत्व के लिए एक आभासी प्रशंसा पत्र प्रस्तुत करते हैं। हम बलूच राष्ट्र की शांतिपूर्ण आकांक्षाओं के प्रति उनके अटूट समर्थन के लिए विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर, प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी और भारत के लोगों के प्रति अपनी हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त करते हैं। बलूचिस्तान के साठ करोड़ लोग हाल ही में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में मसौदा प्रस्ताव का समर्थन नहीं करने के अपने सैद्धांतिक और साहसी निर्णय के लिए भारत सरकार की सराहना करते हैं, जिसमें बलूचिस्तान के आत्मनिर्णय के वैध संघर्ष को पाकिस्तान और चीन द्वारा प्रस्तावित आतंकवाद से गलत तरीके से जोड़ने की कोशिश की गई थी। यह स्थिति सत्य या न्याय से समझौता किए बिना आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई के लिए भारत की दीर्घकालिक और दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
सत्तर से ज़्यादा सालों से बलूचिस्तान के लोगों पर पाकिस्तान सरकार का अवैध और हिंसक कब्ज़ा है। हाल के सालों में, शोषणकारी आर्थिक उपक्रमों और संयुक्त सैन्य अभियानों के ज़रिए चीन की सक्रिय मिलीभगत से यह और भी बढ़ गया है, जिसके कारण बड़े पैमाने पर मानवाधिकारों का उल्लंघन हुआ है और जिसे कई पर्यवेक्षक व्यवस्थित जातीय सफ़ाया मानते हैं। बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सैन्य बलों की मौजूदगी को बलूच लोग अवैध मानते हैं। हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील करते हैं कि वे बलूचिस्तान पर पाकिस्तान के निरंतर कब्ज़े के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाएँ और ठोस कार्रवाई करें।

