
शत्रु को ना आंके कम


चाणक्य नीति के अनुसार, अपने शत्रु को युद्ध के दौरान कम आंकना भारी पड़ सकता है। युद्ध के दौरान शत्रु की ताकत और कमजोरियों का सही तरीके से आकलन करना चाहिए। शत्रु को युद्ध के दौरान कम आंकने से हार भी झेलनी पड़ सकती है। चाणक्य कहते हैं जितता वही है जो अपने दुश्मन को कभी कम नहीं आंकता।
संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)
शत्रु की हर गतिविधि पर होनी चाहिए नजर
चाणक्य के अनुसार, युद्ध की स्थिति में शत्रु की हर गतिविधि पर नजर रखना सबसे जरूरी होता है। शत्रु की योजनाओं और गतिविधियों को समझने से हम अपनी रणनीति तैयार कर सकते हैं और शत्रु को परास्त करने में यह नीति सबसे कारगर साबित होती है।
शत्रु को शक्ति ही नहीं बुद्धि से करें परास्त
चाणक्य कहते हैं कि शत्रु को बुद्धि से परास्त करना चाहिए। युद्ध में बुद्धि और चतुराई का उपयोग करके शत्रु को हराया जा सकता है। बुद्धि और चतुराई का उपयोग करते हुए शत्रु की कमजोरियों को जानकर फायदा प्राप्त किया जा सकता है और शत्रु पर जीत हासिल की जा सकती है।
सही समय पर करें वार
चाणक्य के अनुसार, युद्ध की स्थिति में सही समय का इंतजार करना भी जरूरी होता है, यानि धैर्य की आवश्यकता भी युद्ध के दौरान होती है। युद्ध में सही समय पर मौका देखकर हमला करने से शत्रु की पराजय सुनिश्चित की जा सकती है। युद्ध के दौरान धैर्य भी एक बड़ा हथियार साबित हो सकता है।
साम, दाम, दंड, भेद की नीति
चाणक्य युद्ध में साम, दाम, दंड और भेद की नीति का उपयोग करने की भी सलाह देते हैं। साम का अर्थ है शत्रु को समझौता करने के लिए मजबूर करना, दाम का अर्थ है शत्रु को खरीदना, दंड का अर्थ है बात न मानने पर शत्रु को सजा देना और भेद का अर्थ है शत्रु की योजनाओं को भेदना। चाणक्य के अनुसार इन नीतियों को युद्ध के दौरान अपनाकर युद्ध में विजय प्राप्त की जा सकती है।
