
बदलती जनसांख्यिकी और रुद्रपुर की नई चुनौती

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के पछुवा दून क्षेत्र में जनसंख्या संतुलन के बदलते आंकड़ों ने पूरे राज्य को चिंतन के लिए विवश कर दिया है। अब यही रुझान उधम सिंह नगर, विशेषकर रुद्रपुर में भी दिखने लगा है। शहर के कई पुराने मोहल्ले और नई कॉलोनियां अब तेजी से मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में बदल रही हैं। भूमि खरीद, बाहरी बसावट और फर्जी दस्तावेज़ों के माध्यम से मतदाता सूचियों व परिवार रजिस्टरों में नाम जोड़ने की शिकायतें यहां भी सामने आ रही हैं।
✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर ( उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी
रुद्रपुर जैसे औद्योगिक और सीमांत जिले में यह बदलाव केवल सामाजिक ही नहीं, बल्कि राजनीतिक संतुलन पर भी प्रभाव डाल सकता है। राज्य गठन के समय जो क्षेत्र सामाजिक सौहार्द और विविधता का प्रतीक थे, आज वहां धर्म आधारित आबादी का असंतुलन दिखने लगा है। सरकार और प्रशासन के लिए यह समय है कि वह न केवल इस जनसांख्यिकीय परिवर्तन की गहराई से जांच करे, बल्कि परिवार रजिस्टरों और मतदाता सूचियों की पारदर्शिता सुनिश्चित करे।
उत्तराखंड की पहचान “देवभूमि” की रही है — इसे जनसंख्या असंतुलन या वोट बैंक की राजनीति का शिकार बनने से रोकना आज की सबसे बड़ी प्रशासनिक और सामाजिक जिम्मेदारी है।
जबकि वहां हिंदू आबादी बहुसंख्यक हुआ करती थी. कई क्षेत्रों में तेजी से मुस्लिम आबादी बढ़ी है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण देहरादून राजधानी का वो क्षेत्र है, जो उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश की सीमा से लगता है. विकासनगर जिसे पछुवा दून कहा जाता है. शुरुआती जांच में सामने आया है कि इस क्षेत्र में करीब 28 गांव ऐसे है, जहां पर मुस्लिम आबादी बढ़ गई है और हिंदुओं की आबादी कम हो गई है. लगातार जनसंख्या असंतुलन की खबरें सामने आने के बाद जब इस मामले में जांच की गई और परिवार रजिस्टरों पर नजर डाली गई तो चौंकाने वाले खुलासे हुए.
फैमिली रजिस्टर में की गई गड़बड़ी
जांच में पाया गया कि मुस्लिम ग्राम प्रधानों ने अपनी कुर्सी को कायम रखने के लिए ग्राम सभा के अधिकारियों की मिलीभगत से अपने रिश्तेदारों के नाम यहां के परिवार रजिस्टरों में एक षड़यंत्र के तहत दर्ज करवा लिए थे. यानी फैमिली रजिस्टर में शादी होने के बाद अभी भी परिवार वालों के नाम दर्ज हैं. जबकि उत्तराखंड से बाहर लड़की की शादी होने के बाद उसका नाम परिवार रजिस्टर से काटा जाना चाहिए था, लेकिन उन लड़कियों का नाम नहीं काटा गया बल्कि दामाद और उसके बच्चों के नाम भी रजिस्टर में दर्ज करवा दिए गए.
जानकारी के मुताबिक, परिवार रजिस्टर में नाम चढ़ाए गए हैं और वे सब सरकारी सुविधाएं ले रहे हैं वोटर लिस्ट में भी नाम है,उनके आधार कार्ड बन गए है राशन कार्ड बन गए हैं. यह सिर्फ देहरादून से सटे विकास नगर पछुवा दून में ही नहीं बल्कि राज्य के कई ऐसे क्षेत्र है जहां पर तेजी से मुस्लिम आबादी बढ़ी है.
फर्जी प्रमाणपत्र से बढ़वाए गए नाम
दरअसल, अगस्त महीने में एक कॉमन सर्विस सेंटर में बड़े पैमाने पर फर्जी प्रमाणपत्र बनाए जाने का मामला सामने आया था. इस मामले में जांच की गई तो यह खुलासा हुआ कि सुनियोजित तरीके से पंचायत चुनाव में वोट बैंक बढ़ाने के लिए न सिर्फ बाहरी लोगों के नाम दर्ज किए जा रहे हैं बल्कि जो नाम काटे जाने चाहिए उनको भी बरकरार रखा गया है.जानकारी के मुताबिक, पछुवा दून के क्षेत्र में ग्रामों में जनसंख्या बदलाव यानी डेमोग्राफी चेंज लगातार देखा जा रहा है. राज्य गठन से पहले जो हिंदू बाहुल्य क्षेत्र थे, अब वहां पर वर्तमान में मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र हो चुके हैं.
गांवों के आंकड़ों से खुलासा
गांव – हिन्दू आबादी – मुस्लिम आबादी
ढकरानी -40% हिंदू – 60% मुस्लिम
2011 में – 60% हिंदू -40% मुस्लिम
ढलीपुर -50% हिंदू -50% मुस्लिम
2011 -75% हिंदू – 25% मुस्लिम
कुंजा- 50% हिंदू- 50% मुस्लिम
2011- 65% हिंदू -35% मुस्लिम
कुंजाग्रांट-23% हिंदू -77% मुस्लिम
2011 – 30% हिंदू – 70% मुस्लिम
कुल्हाल – 15% हिंदू – 85% मुस्लिम
2011 – 20% हिंदू – 80% मुस्लिम
धर्मावाला -50% हिंदू – 50% मुस्लिम
2011 -70% हिंदू – 30% मुस्लिम
तिमली -5% हिंदू – 95% मुस्लिम
2011- 25% हिंदू -75% मुस्लिम
बैरागी वाला-50% मुस्लिम -50% हिंदू
2011 -60% हिंदू – 40% मुस्लिम
जमनीपुर-70% हिंदू -30% मुस्लिम
2011 – 80% हिंदू – 20% मुस्लिम
केदारावाला -30% हिंदू – 70% मुस्लिम
2011 – 55% हिंदू – 45% मुस्लिम
बुलाकी वाला- 75% हिंदू – 25% मुस्लिम
2011- 88% हिंदू – 11% मुस्लिम
मेहूवाला खालसा-55% हिंदू – 45% मुस्लिम
2011 -75% हिंदू – 25 प्रतिशत मुस्लिम
जीवनगढ़ -50% हिंदू – 50% मुस्लिम
2011 में – 65% हिंदू – 35% मुस्लिम
नवाबगढ़ -44% हिंदू – 56% मुस्लिम
2011 में – 60% हिंदू – 40% मुस्लिम
जसोवाला – 55% हिंदू -45% मुस्लिम
2011 -65% हिंदू -35% मुस्लिम
माजरी -30% हिंदू -70% मुस्लिम
2011में – 65% हिंदू – 35% मुस्लिम
आम वाला(पौंधा)- 40% हिंदू- 60% मुस्लिम
2011 में – 45% हिंदू – 55% मुस्लिम
जाटों वाला -20% हिंदू – 80% मुस्लिम
2011 में – 60% हिंदू – 40% मुस्लिम
सभावाला-55% हिंदू -45% मुस्लिम
2011 -75 % हिंदू – 25% मुस्लिम
कल्याणपुर/ हसनपुर- 15% हिंदू – 85% मुस्लिम
2011 – 55% हिंदू – 45% मुस्लिम
शेरपुर- 70% हिंदू -30% मुस्लिम
2011 -75 % हिंदू – 25% मुस्लिम
सिंघनीवाला/शीशम बाड़ा- 50% हिंदू -50% मुस्लिम
2011 -55% हिंदू – 45% मुस्लिम
कुशालपुर – 4% तक हिंदू -96% मुस्लिम
2011 -10% हिंदू – 90% मुस्लिम
ढाकी -20% हिंदू -80% मुस्लिम
2011 -30% हिंदू -70% मुस्लिम
सहसपुर -38% हिंदू -62% मुस्लिम
2011 -50% हिंदू – 50% मुस्लिम
लक्ष्मीपुर -25% हिंदू -75% मुस्लिम
2011 – 30% हिंदू – 70% मुस्लिम
रामपुर कला – 5% हिंदू -95% मुस्लिम
2011 – 20% हिंदू -80% मुस्लिम
शंकरपुर -35% हिंदू -65% मुस्लिम
2011 – 40% हिंदू – 60% मुस्लिम


