
इन एयरबेसों पर उन्नत फाइटर जेट्स, मिलिट्री ड्रोन और हेलिकॉप्टर तैनात किए गए हैं, जिससे भारत की सुरक्षा के लिए नई चुनौती खड़ी हो गई है। इसके जवाब में भारत ने भी चीन सीमा से लगे अपने एयरबेसों को आधुनिक बनाया है और वहां पर राफेल फाइटर जेट्स, आकाश मिसाइल और एस-400 जैसे अत्याधुनिक हथियारों की तैनाती की है।


हाल ही में सामने आई एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत-चीन सीमा के पास स्थित पांच चीनी एयरबेस टिंगरी, लहुंजे, बुरांग, युटियन और यारकंट की सैटेलाइट इमेजरी से यह जानकारी मिली है कि इन ठिकानों को 2024 में नए एप्रन क्षेत्र, इंजन परीक्षण सुविधा और सहायक संरचनाओं के साथ आधुनिक बनाया जा रहा है। कुछ तस्वीरों में ड्रोन भी नजर आ रहे हैं, जो चीन की वायुसेना की ताकत को दर्शाते हैं।
भारतीय वायु सेना चीन की गतिविधियों को लेकर सतर्क
रिपोर्ट के मुताबिक, सबसे पहले 2016 में यारकंट और फिर 2019 में युटियन में आधारभूत निर्माण कार्य शुरू हुआ था। इसके बाद 2021 में टिंगरी, लहुंजे और बुरांग क्षेत्रों में भी शुरुआती निर्माण गतिविधियाँ देखी गईं। अब तक इन सभी ठिकानों को उन्नत किया जा चुका है। हालांकि, भारतीय वायु सेना चीन की इन गतिविधियों को लेकर सतर्क बनी हुई है।
एक TV चैनल से बातचीत में भारतीय वायु सेना ने कहा कि हमारे पास अपनी निगरानी प्रणाली है, और हम पूरी तरह से सतर्क रहते हैं। ऐसा माना जा रहा है कि इन एयरबेसों के सक्रिय होने से हिमालयी सीमाओं पर भारतीय वायु सेना को जो पारंपरिक सामरिक बढ़त मिलती रही है, वह खत्म हो सकती है।
सीमावर्ती इलाकों में तेजी से तैनात हो रहे सैन्य उपकरण
रिपोर्ट में विशेषज्ञों के हवाले से कहा गया है कि टिंगरी, लहुंजे और बुरांग जैसे एयरबेस वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के बेहद नजदीक, यानी 25 से 150 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। इन एयरबेस की नजदीकी चीन की वायु सेना को यह क्षमता देती है कि वह अपने फाइटर जेट, ड्रोन और हेलिकॉप्टरों को सीमावर्ती इलाकों में तेजी से तैनात कर सके और किसी भी तनावपूर्ण स्थिति में तुरंत प्रतिक्रिया दे सके। ये चीनी एयरफील्ड अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड और लद्दाख में मौजूद भारतीय सैन्य ठिकानों तक पहुंच बनाने में सक्षम हैं।
चीनी एयरबेस समुद्र तल से काफी ऊँचाई पर स्थित
बता दें कि तिब्बत क्षेत्र में मौजूद चीनी एयरबेस समुद्र तल से काफी ऊँचाई पर स्थित हैं, जिससे वहाँ विमानों, ड्रोन और हेलीकॉप्टरों को अधिक ऊँचाई पर उड़ान भरनी पड़ती है। इस कारण वहां की पतली हवा, यानी कम घनत्व वाली वायुमंडलीय स्थिति, चीनी वायु सेना की हवाई क्षमताओं को प्रभावित करती है। परिणामस्वरूप, उनके लड़ाकू विमान सामान्य से कम भार और कम इंजन क्षमता के साथ उड़ान भरने को मजबूर होते हैं।
इसके विपरीत, भारतीय वायु सेना को ऐसी चुनौतियों का सामना नहीं करना पड़ता, क्योंकि भारत के अधिकांश एयरबेस मैदानी इलाकों में स्थित हैं। वहाँ घनी हवा के कारण भारतीय लड़ाकू विमान पूरे हथियार और ईंधन के साथ आसानी से उड़ान भर सकते हैं।
