रुद्रपुर,पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर के अमेरिकी दौरे और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लंच आमंत्रण को लेकर भारत की राजनीति में एक बार फिर उबाल आ गया है। लेकिन जिस अंदाज़ में कांग्रेस पार्टी ने इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया दी है, वह केवल कूटनीति का विषय नहीं, बल्कि गंभीर राष्ट्रीय चिंताओं का भी प्रतीक बन गया है।


जब कांग्रेस के प्रवक्ताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके यह सिद्ध करने की कोशिश की कि मोदी सरकार इस घटनाक्रम पर मौन है और इसका अर्थ राष्ट्रहित के साथ समझौता है, तब यह प्रश्न भी उठ खड़ा होता है—क्या कांग्रेस को पाकिस्तान से जुड़ी हर हलचल में भारत सरकार को ही घेरने का मौका दिखता है?
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा की भाषा — जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री समर्थकों को ‘भक्त ब्रिगेड’, ‘धोखेबाज सत्ता के दलाल’, और ‘गांजा पीने वाले’ जैसे अपमानजनक विशेषणों से नवाजा — न केवल राजनीतिक शिष्टाचार की अवमानना करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि कांग्रेस अब मुद्दों पर नहीं, बल्कि अपशब्दों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है।
इसका दोष भारत सरकार पर मढ़ना वैसा ही है जैसे चीन में किसी जनरल को कोई चीनी उद्योगपति डिनर पर बुला ले और हम अपने रक्षा मंत्री से उसका हिसाब मांगने लगें।
कांग्रेस की विडंबना: पाकिस्तान से प्रेम और भारत सरकार से बैर?
कांग्रेस का यह पाकिस्तान प्रेम कोई नया नहीं है। बालाकोट एयर स्ट्राइक हो या उरी सर्जिकल स्ट्राइक — हर बार कांग्रेस ने सबूत मांगे। हर बार सेना की कार्रवाई पर सवाल उठाए। आज जब पाकिस्तान का जनरल किसी विदेशी भूमि पर आमंत्रित होता है, तो कांग्रेस की प्रतिक्रिया मानो यह हो कि उन्हें खुद उस भोज में न बुलाए जाने का दुख है।
जयराम रमेश हों या पवन खेड़ा, उनका लहजा ऐसा प्रतीत होता है जैसे जनरल मुनीर कोई पीड़ित शरणार्थी हैं और अमेरिका ने उन्हें सम्मान देकर दुनिया को ‘इंसाफ’ दिखाया है। कांग्रेस का यह ढुलमुल रवैया साफ संकेत देता है कि भारत की विदेश नीति से अधिक उन्हें पाकिस्तान की ‘प्रतिष्ठा’ की चिंता है।
पत्रकारों पर ट्रोलिंग के आरोप: अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का तुष्टिकरण?
पवन खेड़ा ने जिन एंकरों पर कांग्रेस नेताओं को ट्रोल करने का आरोप लगाया, वे वही पत्रकार हैं जो सरकार से सवाल भी करते हैं, विपक्ष से भी। लेकिन जब कोई उनके झूठ या भ्रम का पर्दाफाश करे, तो उन्हें ‘भक्त’ कह देना अब कांग्रेस का नया राजनीतिक हथियार बन गया है।
यह न तो लोकतंत्र के हित में है, न ही भारत की संप्रभुता के। जब देश की सुरक्षा से जुड़े विषयों पर भी कांग्रेस का रुख पाकिस्तान के पक्ष में और पत्रकारों के खिलाफ हो जाए, तो फिर यह सवाल उठना लाज़मी है—क्या कांग्रेस सचमुच भारतीय राजनीति की मुख्यधारा से कट चुकी है?
क्या कांग्रेस अब पाकिस्तानी सेना के सम्मान की प्रहरी बन चुकी है?
मोदी सरकार की विदेश नीति में संतुलन और कूटनीतिक परिपक्वता के अनेक उदाहरण मौजूद हैं। ऐसे में विपक्ष की भूमिका होनी चाहिए रचनात्मक आलोचना की, न कि व्यक्तिगत हमले और विदेशी सेनापतियों के सम्मान को राष्ट्रीय अपमान बताने की।
कांग्रेस को आत्ममंथन करना चाहिए—वह किसके साथ खड़ी है? भारत के लोगों के साथ या पाकिस्तान के प्रतिष्ठानों के साथ?
क्योंकि जब भी जनरल असीम मुनीर जैसे नाम पर भारत में विवाद खड़ा होता है, और उसमें कांग्रेस मुख्य भूमिका निभाती है, तो देश की जनता यही पूछती है—“कांग्रेस की आत्मा दिल्ली में है या इस्लामाबाद में?”
बता दें कि आसिम मुनीर फिलहाल अमेरिका में हैं। रिपोर्टों के अनुसार, पाकिस्तानी सैन्य नेता के अपने अमेरिकी दौरे के दौरान विदेश मंत्री मार्को रुबियो और रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ से भी मिलने की उम्मीद है।
पांच दिवसीय यात्रा पर अमेरिका पहुंचे हैं मुनीर
रविवार को पांच दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर वाशिंगटन पहुंचे मुनीर कथित तौर पर अमेरिका के साथ रणनीतिक संबंधों को मजबूत करना चाहते हैं। डॉन की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि यह यात्रा “मुख्य रूप से द्विपक्षीय प्रकृति की” है और इसके समय के बावजूद, आधिकारिक तौर पर 14 जून को अमेरिकी सेना की 250वीं वर्षगांठ के समारोह से जुड़ी नहीं है।
इससे पहले, ऐसी अफवाहें थीं कि पाकिस्तानी फील्ड मार्शल अमेरिकी सेना दिवस परेड में शामिल होंगे। हालांकि, अमेरिका ने आधिकारिक तौर पर इन दावों का खंडन किया था। व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने कहा, “यह झूठ है। किसी भी विदेशी सैन्य नेता को आमंत्रित नहीं किया गया था।”
आसिम मुनीर का अमेरिका में हुआ विरोध
आसिम मुनीर को अपनी अमेरिकी यात्रा के दौरान सोमवार को विदेशी पाकिस्तानियों और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ कार्यकर्ताओं के विरोध का सामना करना पड़ा था। उनके खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई। सोमवार को जब वाशिंगटन डीसी में आयोजित एक कार्यक्रम में जब पाकिस्तानी आर्मी चीफ आसिम मुनीर का स्वागत किया जा रहा था तो वहां मौजूद लोगों ने “पाकिस्तानियों के कातिल” और “इस्लामाबाद के कातिल” के नारे लगाए। लोगों में उनके खिलाफ जबर्दस्त आक्रोश देखा जा रहा था। आसिम मुनीर के खिलाफ विरोध के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं।

